G20 Summit India / G20 में पुतिन-जिनपिंग नहीं दिखेंगे, कैसे होंगे बड़े इकोनॉमिक फैसले?

Vikrant Shekhawat : Sep 04, 2023, 06:52 PM
G20 Summit India: भारत इस साल जी20 देशों की अध्यक्षता कर रहा है. वर्ल्ड लीडर्स के इस शिखर सम्मेलन की दिल्ली में तैयारियां जोरों पर हैं. लेकिन वर्ल्ड की दो बड़ी इकोनॉमिक और वीटो पावर यानी चीन और रूस इससे नदारद रहेंगे. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की गैर-मौजूदगी में वर्ल्ड इकोनॉमिक्स से जुड़े बड़े फैसलों पर आखिर कैसे मुहर लगेगी?

रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर दुनिया बंटी हुई है, और अब इसका असर भारत में पहली बार होने जा रही जी20 बैठक पर भी दिखेगा. ये बात अब साफ हो चुकी है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत नहीं आ रहे हैं, उनकी जगह प्रीमियर ली कियांग चीन का नेतृत्व करेंगे. वहीं रॉयटर्स की खबर के मुताबिक रूस ने भी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की जी20 से गैर-मौजूदगी के बारे पक्की खबर दे दी है.

20 से ज्यादा बैठकों में नहीं आया संयुक्त बयान

भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान सालभर में मंत्री, केंद्रीय बैंक और अन्य प्रतिनिधि मंडल स्तर की अब तक 20 से ज्यादा बैठक हो चुकी हैं. लेकिन किसी भी बैठक के बाद जी20 देशों का एक भी संयुक्त बयान सामने नहीं आया है. इसकी वजह यूक्रेन युद्ध को लेकर पूरब और पश्चिम के देशों का एक मत नहीं हो पाना है. इस विसंगति ने दुनिया की इकोनॉमी और मानव जाति के कल्याण से जुड़े कई फैसलों पर एक राय बनाने में दिक्कत आ रही है.

फूड सिक्योरिटी, कर्ज के बोझ पर अटकेगी बात?

इस हफ्ते दिल्ली में जब जी20 देशों के वर्ल्ड लीडर्स मिलेंगे तब फूड सिक्योरिटी, इकोनॉमीज पर बढ़ता कर्ज का बोझ और जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक सहयोग को लेकर चर्चा होगी. इसी के साथ आने वाले समय की समस्याओं जैसे क्रिप्टोकरेंसी, एआई से रोजगार पर खतरा और अन्य आर्थिक मसलों पर भी विचार-विमर्श होगा. तब रूस और चीन के शीर्ष नेताओं की गैर-मौजूदगी में फैसला करना मुश्किल होगा, और वर्ल्ड लीडर्स को सहमति पर पहुंचने के लिए कोई अलग रास्ता निकालना होगा.

जी20 में दिखेगा पश्चिम का दबदबा

रूस और चीन की इस गैर-मौजूदगी से भारत में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन में पश्चिमी देशों का दबदबा दिखेगा. इसमें अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, जर्मन चांसलर ओलाफ स्कॉज, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रां शामिल रहेंगे. वहीं सऊदी अरब के मोहम्मद बिन सलमान और जापान के फुमियो किशिदा भी होंगे, जिन्हें हमेशा से पश्चिमी देशों का ही पक्षधर माना जाएगा.

इंडोनेशिया वाला तरीका आएगा काम?

इस बार की जी20 बैठक अहम है. भारत इस मौके को अपनी इकोनॉमिक पावरहाउस बनने की क्षमता के साथ-साथ दक्षिण एशिया क्षेत्र की बड़ी पावर बनने के तौर भुनाना चाहता है. ऐसे में अगर शिखर सम्मेलन के बाद कोई संयुक्त बयान नहीं आता है, तो भारत के लिए ये राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर बड़ी चुनौती बन सकती है.

हालांकि एक पक्ष का मानना है कि इस बार भी पिछले साल की तरह आखिरी मौके पर कोई रास्ता सामने आ सकता है. पिछली जी20 बैठक इंडोनेशिया के बाली में हुई थी और वहां के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने आखिरी मौके पर वर्ल्ड लीडर्स को जॉइंट स्टेटमेंट देने के लिए मना लिया था. इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्ल्ड लीडर्स के साथ व्यक्तिगत संबंध उन्हें जॉइंट स्टेटमेंट देने के लिए राजी कर सकते हैं.

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