बिजनेस / आरबीआई ने लगातार 8वीं बार रेपो रेट को 4% के निम्नतम स्तर पर बरकरार रखा

Zoom News : Oct 08, 2021, 11:25 AM
नई दिल्ली: रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में मौद्रिक नीति समति (एमपीसी) ने नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। लगातार आठवीं बार ब्याज दरों में कोई कमी नहीं की गई है। रेपो रेट 4% और रिवर्स रेपो रेट 3.35% पर स्थिर है। इस फैसले से अभी और सस्ते होम लोन की उम्मीदें टूट गई हैं। गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि खाद्यान्नों के रिकॉर्ड उत्पादन के कारण आने वाले महीने में खाद्य मुद्रास्फीति कम बने रहने की उम्मीद है। संक्रमण की दर में कमी और टीकाकरण से निजी उपभोग को प्रोत्साहन मिल रहा है, जबकि मुख्य मुद्रास्फीति अब भी जटिल बनी हुई है।

गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक वृद्धि के टिकाऊ आधार पर पुनरुद्धार के लिए अभी अपने नरम रुख को जारी रखेगा। उन्होंने बताया कि कोविड-19 की शुरुआत के बाद से केंद्रीय बैंक से 100 से अधिक उपाय किए हैं। मुद्रास्फीति का रुख उम्मीद से अधिक अनुकूल है और आर्थिक गतिविधियां धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही हैं। दास ने आगे कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने 2021-22 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को 9.5 फीसद पर कायम रखा।

 रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास की मुख्य बातें

भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 में देश की वास्तविक जीडीपी में 9.5 फीसद की तेजी का अनुमान लगाया है।

इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 7.9 फीसद, तीसरी तिमाही में 6.8 फीसद और चौथी तिमाही में 6.1 फीसद।

वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में देश की वास्तविक जीडीपी 17.1 फीसद रह सकती है।

वित्त वर्ष 2021-2022 में सीपीआई मुद्रास्फीति 5.3 फीसद रह सकती है। पिछली बैठक में 5.7 फीसद का अनुमान लगाया गया था।

दूसरी तिमाही में महंगाई दर 5.1 फीसद रह सकती है, तीसरी तिमाही में 4.5 और चौथी तिमाही में यह 5.8 फीसद हो सकती है।

वित्त वर्ष 2022-2023 की पहली तिमाही में सीपीआई मुद्रास्फीति 5.2 फीसद रह सकती है।

रेपो रेट 4% और रिवर्स रेपो रेट 3.35% पर स्थिर

आईएमपीएस की सीमा को दो लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये किया गया।

रिजर्व बैंक ने देशभर में ऑफलाइन तरीके से खुदरा डिजिटल भुगतान की रूपरेखा का प्रस्ताव किया।

दूसरी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में क्षमता इस्तेमाल सुधरा, आगे और सुधार की उम्मीद।

बता दें रिजर्व बैंक महंगाई बढ़ने के डर से ब्याज दरों में कटौती से पहले भी इनकार कर चुका है। साथ ही महंगाई पर अंकुश के लिए वह चौतरफा कोशिश करने का सुझाव दे चुका है। रिजर्व बैंक को महंगाई दर को चार फीसद पर दो फीसद घट-बढ़ के साथ दायरे में रखने का लक्ष्य दिया गया है, जबकि खुदरा महंगाई कई माह से पांच फीसद से ऊपर है। विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह से ईंधन की कीमतें बढ़ रही हैं उसमें रिजर्व बैंक के लिए महंगाई पर अंकुश रखना आसान नहीं होगा।

कर्ज लेने की बजाय जमा करने की होड़

कोरोना संकट में लोगों की आय घटी है। इसके बावजूद वह कर्ज लेने की बजाय बैंकों में जमा करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। रिजर्व बैंक के आंकड़े इसकी गवाही दे रे हैं। रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक बैंकों का ऋण 24 सितंबर को समाप्त पखवाड़े में 6.67 फीसद बढ़कर 109.57 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इस दौरान बैंकों की जमा 9.34 फीसद की बढ़ोतरी के साथ 155.95 लाख करोड़ रुपये रही।

यानी जमा की रफ्तार कर्ज से डेढ़ गुना अधिक है। एक साल पहले 25 सितंबर, 2020 को समाप्त पखवाड़े में बैंकों का ऋण 102.72 लाख करोड़ रुपये और जमा 142.62 लाख करोड़ रुपये थी। इससे पिछले 10 सितंबर, 2021 को समाप्त पखवाड़े में बैंकों का ऋण 6.7 फीसद और जमा 9.32 फीसद बढ़ी थी। वित्त वर्ष 2020-21 में बैंकों का ऋण 5.56 फीसद और जमा 11.4 फीसद बढ़ी थी।

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