- भारत,
- 06-Aug-2025 06:00 PM IST
Reserve Bank Of India: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) की मुफ्त सेवा को लेकर एक बड़ा बयान दिया है, जिसने डिजिटल भुगतान के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने स्पष्ट किया कि UPI को चलाने में लागत आती है, और यह लागत किसी न किसी को वहन करनी होगी।
UPI की मुफ्त सेवा पर सवाल
गवर्नर मल्होत्रा ने कहा, “मैंने कभी नहीं कहा कि UPI हमेशा मुफ्त रहेगा। इस सेवा से जुड़ी लागतें हैं, और कोई न कोई उसका भुगतान करेगा।” यह बयान डिजिटल भुगतान की दुनिया में एक बड़े बदलाव का संकेत देता है। UPI, जो भारत में डिजिटल लेनदेन का पर्याय बन चुका है, अब तक अपनी मुफ्त और तेज़ सेवा के लिए जाना जाता है। लेकिन गवर्नर के इस बयान ने यह सवाल उठाया है कि क्या यह मॉडल लंबे समय तक टिकाऊ है?
लागत का बोझ कौन उठाएगा?
गवर्नर ने जोर देकर कहा कि UPI सिस्टम को टिकाऊ बनाना सबसे बड़ी प्राथमिकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि लागत का भुगतान चाहे सरकार करे, बैंक करें, व्यापारी करें या उपभोक्ता, यह सुनिश्चित करना होगा कि सिस्टम बिना किसी रुकावट के चलता रहे। उन्होंने कहा, “कोई भी सेवा तभी टिकाऊ होती है जब उसकी लागत को कवर किया जाए।” यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि भविष्य में UPI लेनदेन पर शुल्क लग सकता है, जो उपभोक्ताओं, व्यापारियों या बैंकों पर डाला जा सकता है।
जीरो कॉस्ट मॉडल का अंत?
यह पहली बार नहीं है जब RBI गवर्नर ने UPI की लागत को लेकर चिंता जताई है। जुलाई 2025 में फाइनेंशियल एक्सप्रेस BFSI शिखर सम्मेलन में उन्होंने कहा था कि UPI का जीरो-कॉस्ट मॉडल लंबे समय तक नहीं चल सकता। वर्तमान में सरकार इस सेवा को सब्सिडी दे रही है, जिसके कारण बैंकों और अन्य कंपनियों पर प्रत्यक्ष खर्च का बोझ नहीं पड़ रहा। लेकिन जैसे-जैसे UPI लेनदेन की संख्या बढ़ रही है, लागत भी तेजी से बढ़ रही है। यह स्थिति भविष्य में सब्सिडी मॉडल को और दबाव में ला सकती है।
ICICI बैंक ने शुरू किया शुल्क
इसी बीच, एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ICICI बैंक ने UPI लेनदेन पर प्रोसेसिंग शुल्क लागू करना शुरू कर दिया है। ET की एक रिपोर्ट के अनुसार, ICICI बैंक अब पेमेंट एग्रीगेटर्स (PA) से लेनदेन के आधार पर शुल्क वसूल रहा है। अगर PA का एस्क्रो खाता ICICI बैंक में है, तो 2 बेसिस प्वाइंट (₹100 पर ₹0.02) तक का शुल्क लगेगा, अधिकतम ₹6 प्रति ट्रांजैक्शन। वहीं, जिन PA के पास ICICI में एस्क्रो खाता नहीं है, उनसे 4 बेसिस प्वाइंट तक शुल्क लिया जाएगा, अधिकतम ₹10 प्रति ट्रांजैक्शन। हालांकि, अगर व्यापारी का खाता ICICI बैंक में है और लेनदेन उसी खाते से किया गया है, तो कोई शुल्क नहीं लगेगा।
क्या होगा उपभोक्ताओं पर असर?
ICICI बैंक का यह कदम UPI के भविष्य के लिए एक संकेत हो सकता है। अगर अन्य बैंक भी इसी तरह शुल्क लागू करते हैं, तो यह उपभोक्ताओं और छोटे व्यापारियों पर अतिरिक्त बोझ डाल सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि UPI की लोकप्रियता का एक बड़ा कारण इसकी मुफ्त सेवा रही है। अगर शुल्क लागू होता है, तो यह डिजिटल भुगतान की गति को प्रभावित कर सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां नकद लेनदेन अभी भी प्रचलित है।
भविष्य में क्या?
RBI गवर्नर का बयान और ICICI बैंक का कदम इस बात की ओर इशारा करते हैं कि UPI का मॉडल बदलने वाला है। सरकार, बैंक और अन्य हितधारकों को मिलकर यह तय करना होगा कि इस लागत को कैसे और कौन वहन करेगा। विशेषज्ञों का सुझाव है कि लागत को कम करने के लिए तकनीकी नवाचार और बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देना होगा। साथ ही, उपभोक्ताओं को भी इस बदलाव के लिए तैयार रहना होगा।
UPI ने भारत में डिजिटल भुगतान को एक नई ऊंचाई दी है, लेकिन इसकी टिकाऊ भविष्य के लिए लागत और राजस्व का संतुलन जरूरी है। क्या UPI मुफ्त रहेगा या शुल्क आधारित होगा, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा। लेकिन यह निश्चित है कि इस डिजिटल क्रांति को बनाए रखने के लिए कुछ बड़े फैसले लेने होंगे।
