रूस ने कोरोना की पहली वैक्सीन बनाने का दावा किया / सरकारों को पीछे छोड़ रूसी यूनिवर्सिटी ने दो ट्रायल पूरे किए, कहा- यह दो साल तक कोरोना से सुरक्षा देगी

रूस के सेचेनोव यूनिवर्सिटी का दावा है कि उसने दुनिया की सबसे पहली कोरोना वैक्सीन तैयार कर ली है। इसका नाम Gam-COVID-Vac Lyo रखा गया है। यूनिवर्सिटी के मुताबिक, इंसानों पर वैक्सीन का ट्रायल सफल रहा है। सेचनोव यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल पैरासिटोलॉजी ट्रॉपिकल एंड वेक्टर-बॉर्न डिसीज के डायरेक्टर अलेक्जेंडर लुकाशेव का कहना है, हमारा मकसद इंसानों को सुरक्षा देने के लिए कोविड-19 की वैक्सीन को सफलतापूर्वक तैयार करन

Vikrant Shekhawat : Jul 13, 2020, 03:08 PM

मॉस्को. रूस के सेचेनोव यूनिवर्सिटी का दावा है कि उसने दुनिया की सबसे पहली कोरोना वैक्सीन तैयार कर ली है। इसका नाम Gam-COVID-Vac Lyo रखा गया है। यूनिवर्सिटी के मुताबिक, इंसानों पर वैक्सीन का ट्रायल सफल रहा है। सेचनोव यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल पैरासिटोलॉजी ट्रॉपिकल एंड वेक्टर-बॉर्न डिसीज के डायरेक्टर अलेक्जेंडर लुकाशेव का कहना है, हमारा मकसद इंसानों को सुरक्षा देने के लिए कोविड-19 की वैक्सीन को सफलतापूर्वक तैयार करना था। अलेक्जेंडर के मुताबिक, सुरक्षा के लिहाज से वैक्सीन की जांच की जा चुकी है। जल्द ही यह बाजार में उपलब्ध होगी।


दावा- यह लम्बे समय तक इम्युनिटी बरकरार रखेगी

वैक्सीन तैयार करने वाले गेमली इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी के डायरेक्टर अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग ने रूस के रक्षा मंत्रालय के आधिकारिक अखबार क्रासन्या ज़वेजदा से कहा, पहले और दूसरे का वैक्सीन ट्रायल पूरा हो गया है। यह वायरस से लड़ने के लिए शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाएगी और उसे लम्बे समय तक बरकरार रखेगी। अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग का दावा है कि इस बात की गारंटी है कि वैक्सीन अगले दो साल तक कोरोना से बचाएगी। 


सफल रहा ट्रायल 
इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसलेशनल मेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी के निदेशक वदिम तरासोव के मुताबिक, गेमली इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने टीके को तैयार किया है जो ट्रायल में सफल रहा है। रशियन न्यूज एजेंसी TASS के मुताबिक, पहले चरण का ट्रायल 18 से शुरू हुआ था जिसमें 18 वॉलंटियर शामिल हुए थे। वहीं, दूसरे चरण के ट्रायल की शुरुआत 23 जून को हुई थी जिसमें 20 वॉलंटियर्स को वैक्सीन दी गई थी।


रूस के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, वैक्सीन में वॉलंटियर के दो समूह शामिल किए गए हैं और ट्रायल 15 जुलाई को खत्म होगा। 13 जुलाई को दूसरे समूह के वॉलंटियर्स में वैक्सीन का दूसरा हिस्सा इंजेक्ट किया जाएगा। जो इन्हें लम्बे समय तक इम्युनिटी देंगे। 

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, 50 लोगों वाले ट्रायल के पहले समूह में ज्यादातर सर्विसमैन शामिल रहे। इसके अलावा 5 महिलाओं और 10 हेल्थ वर्करों को भी इसी समूह में रखा गया था। वहीं दूसरे समूह में शहर के नागरिकों को शामिल किया गया।  


रूस ने ही कोविड-19 की दवा 'कोरोनाविर' बनाई
हाल ही में रशिया की फार्मा कम्पनी आर-फार्म ने कोविड-19 के इलाज के लिए नई दवा भी तैयार की। नई एंटीवायरल दवा का नाम कोरोनाविर रखा गया है। क्लीनिकल ट्रायल के बाद दवा को कोविड-19 के मरीजों पर इलाज के लिए अनुमति दी गई। कम्पनी का दावा है कि यह दवा कोरोना के मरीजों पर बेहतर असर करती है। कोरोनाविर वायरस के रेप्लिकेशन (वायरस की संख्या बढ़ना) को रोकती है।

कम्पनी का दावा, यह कोविड-19 की जड़ पर वार करती है
कम्पनी का दावा है कि 'कोरोनाविर' देश की पहली ऐसी दवा है जो पूरी तरह कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए है। दुनियाभर में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं लेकिन समस्या की जड़ वायरस है। संक्रमित मरीजों में यह दवा कोरोना की संख्या को बढ़ने से रोकती है।


55 फीसदी सुधार देखा गया
रशियन फार्मा कम्पनी आर-फार्म के मुताबिक, क्लीनिकल ट्रायल के दौरान कोरोनाविर और दूसरी थैरेपी-दवा ले रहे कोविड-19 के मरीजों की तुलना की गई। रिपोर्ट में सामने आया कि दूसरी दवा और थैरेपी के मुकाबले नई दवा लेने वाले मरीजों में 55 फीसदी अधिक सुधार देखा गया। 
कम्पनी का दावा है कि यह दावा कोविड-19 के लक्षणों पर फोकस करने की जगह बीमारी को टार्गेट करती है। यह दवा मरीजों को देने पर 14 दिन बाद अंतर को समझा गया। क्लीनिकल ट्रायल में सामने आया कि कोरोनाविर देने के पांचवे दिन 77.5 फीसदी मरीजों में कोरोनावायरस नहीं मिला।