Rajasthan / पाकिस्तान की इम्पोर्ट ड्यूटी बचाने अफगानिस्तान का ठप्पा लगकर दुबई के रास्ते भारत आ रही साजी

Zoom News : Jul 11, 2020, 07:35 AM

पाकिस्तान की साजी खार से ही बीकानेर के पापड़ में स्वाद का तड़का लगता है। इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ने पर व्यापारियों ने रास्ता निकाला। अफगानिस्तान की बताकर दुबई से मंगवानी शुरू कर दी। अब ये व्यापारी डायरेक्टर ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस की निगरानी में हैं। 


डीआरआई ने गुरुवार को शहर के ऐसे 8-10 व्यापारियों के यहां जांच की, जो दुबई से साजी मंगवाते हैं। इन सभी के यहां से दस्तावेज जब्त किए। जांच में सामने आया है कि इम्पोर्ट ड्यूटी बचाने के चक्कर में अफगानिस्तान का माल बताकर साजी दुबई के रास्ते मंगवाई जा रही है।

यह सारा खेल कंट्री ऑफ ओरिजन सर्टिफिकेट यानी सीओओ का है। दुबई से यह सर्टिफिकेट मिलता है, जिसमें माल अफगानिस्तान का बताया जाता है। इससे इंपोर्ट ड्यूटी 15% ही लगती है। जबकि पाकिस्तान से मंगवाने पर 220% इम्पोर्ट ड्यूटी देनी पड़ती है और ईजीएसटी 28% अलग। 

दुबई से इम्पोर्ट का यह खेल सितंबर 2019 में शुरू हुआ था। ऑनलाइन इंटरनेशनल ट्रांजेक्शन के कारण डीआरआई की पकड़ में आ गया। जनवरी से इस ट्रांजेक्शन पर नजर रखी जा रही थी। इम्पोर्ट ड्यूटी बचाकर 6 माह में करोड़ों की साजी की खरीद-फरोख्त हो गई। व्यापारियों ने भी अच्छा मुनाफा कमाया। हालांकि छानबीन में अफगानिस्तान से भी सीधी खरीद होने की जानकारी मिली है, लेकिन उसकी मात्रा कम बताई जा रही है।

पुलमावा हमले के बाद महंगी हुई
पुलवामा हमले के बाद केंद्र सरकार ने पाकिस्तानी वस्तुओं पर इम्पोर्ट शुल्क 220% तक बढ़ा दिया। इसका सर्वाधिक असर साजी के इम्पोर्ट पर पड़ा। बीकानेर में इक्का-दुक्का व्यापारी ही हैं, जो आज भी पाकिस्तान से ही साजी का इम्पोर्ट कर रहे हैं। जबकि अधिकतर दुबई से मंगवा रहे हैं। यही कारण है कि यहां साजी के भाव में एक किलो पर 60 रुपए तक का फर्क आता है। 
1 साल में 2000 मीट्रिक टन तक खपत

वैश्विक बाजार में बीकानेर एकमात्र साजी का सबसे बड़ा खरीदार माना जाता है। कारण, यहां पापड़ उद्योग बड़े पैमाने पर है। साजी व्यापारियों के मुताबिक एक साल में 1500 से 2000 मीट्रिक टन साजी की खपत होती है। इसका उत्पादन पाकिस्तान में ही सर्वाधिक होता है।

भारत में यह बीकानेर संभाग सहित कुछ हिस्से में ही पाई जाती है। लेकिन, बीकानेरी पापड़ में पाकिस्तान की साजी का ही उपयोग किया जाता है। अन्य जगह की साजी यहां कारगर नहीं है। बाजार में इसका मूल्य 150 से 200 रुपए प्रति किलो है। 

  • साजी एक नेचुरल उपज है। खारे पानी मे होती है। सेमग्रस्त एरिया इसके लिए फायदेमंद है। इसी वजह से लूणकरणसर में सालों से खड़े पानी के आसपास साजी होने लगी है। सरकार संरक्षण दे तो अनूपगढ़, रायसिंहनगर, खाजूवाला एरिया में इसकी अच्छी पैदावर हो सकती है। फिर हमें पाकिस्तान पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। -इंद्र मोहन वर्मा, बागवानी सलाहकार, स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय
  • बीकानेर में पापड़ उद्योग बहुत बड़े स्तर पर फैला हुआ है। लाखों परिवारों के रोजगार का जरिया है। साजी के बिना इसको खाने का कोई मजा नहीं है। यदि सरकार इसे बढ़ावा दे तो साजी प्रचुर मात्रा में हो सकती है। वर्तमान में इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ने से यहां के किसान मुनाफा कमा सकते हैं। हमने केंद्रीय कृषि मंत्री से भी साजी को संरक्षण देने की मांग कर रखी है। -मक्खन अग्रवाल, सचिव, बीकानेर पापड़ भुजिया मैन्युफेक्चर एसोसिएशन

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