देश / समीर वानखेड़े से मुंबई पुलिस ने की 9 घंटे पूछताछ, जानिए क्या है मामला

Zoom News : Feb 23, 2022, 10:15 PM
मुंबई एनसीबी के पूर्व जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े से बुधवार को ठाणे में कोपरी पुलिस ने करीब नौ घंटे तक पूछताछ की। वह रात करीब 8.15 बजे थाने से बाहर निकले और दावा किया कि वह जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं। दरअसल, शराब लाइसेंस खरीदते समय फर्जीवाड़ा करने और जानबूझकर गलत जानकारी देने के आरोप में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में वे थाने पहुंचे थे।

समीर वानखेड़े बुधवार सुबह 11.30 बजे ठाणे के कोपरी थाने पहुंचे और करीब नौ घंटे की पूछताछ के बाद थाने से बाहर निकले। शराब लाइसेंस खरीदते समय फर्जीवाड़ा करने और जानबूझकर गलत जानकारी देने के आरोप में अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में वे थाने पहुंचे थे। कोपरी पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने पुष्टि करते हुए कहा, "अदालत के आदेश के अनुसार वानखेड़े ने पुलिस स्टेशन का दौरा किया था और हमने उनका विस्तृत बयान दर्ज किया है। जांच जारी है और जरूरत पड़ने पर हम उन्हें फिर बुलाएंगे।"

हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए वानखेड़े ने कहा, "मामला विचाराधीन है इसलिए मैं मामले या दर्ज किए गए बयान पर टिप्पणी नहीं कर सकता, लेकिन पुलिस अपना काम कर रही है और जब भी वे मुझे इस मामले में बुलाएंगे मैं उनका सहयोग करूंगा।" हालांकि उन्होंने राज्य के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक की ईडी द्वारा गिरफ्तारी पर कोई सवाल पूछने से इनकार कर दिया।

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने 20 फरवरी को आबकारी विभाग की शिकायत पर ठाणे के कोपरी पुलिस थाने में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में एनसीबी के पूर्व जोनल निदेशक समीर वानखेड़े को गिरफ्तारी जैसे कठोर कदमों से 28 फरवरी तक रोक लगाई थी। आरोप लगाया कि वानखेड़े ने आबकारी कार्यालय को एक हलफनामा प्रस्तुत किया था जिसमें दिखाया गया था कि वह शराब का लाइसेंस हासिल करने के लिए एक वयस्क है, जबकि वह उस वक्त 18 साल के नहीं हुए थे।

ठाणे के डीएम ने इस महीने की शुरुआत में रेस्टोरेंट को सील करने के आदेश भी जारी किए थे। कलेक्टर के आदेश के बाद वानखेड़े द्वारा ठाणे जिला कलेक्टर के 1 फरवरी के आदेश को चुनौती देते हुए एक याचिका भी दायर की गई, हाई कोर्ट ने उनकी तत्काल सुनवाई देने से इनकार कर दिया। उस याचिका में वानखेड़े ने कहा था कि वह दिसंबर 1997 में 18 वर्ष के हो गए थे जिसके बाद पिछले 23 वर्षों से लाइसेंस का सालाना नवीनीकरण किया जा रहा था और इसलिए रद्द करने का आदेश उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन था और उसे रद्द कर दिया जाना चाहिए। बता दें कि नवाब मलिक ने नवंबर 2021 में यह मुद्दा उठाया था कि वानखेड़े को इसके लिए योग्य उम्र न होने के बावजूद लाइसेंस मिल गया।

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