सऊदी अरब / नाबालिग रहते हुए किए गए अपराधों के लिए सऊदी अरब में 26-वर्षीय युवक को दी गई फांसी

मानवाधिकार समूहों ने कहा है कि सऊदी अरब में 26-वर्षीय मुस्तफा हाशेम अल-दरविश को उन अपराधों के लिए फांसी दी गई है जो उसने नाबालिग रहते हुए किए थे। सऊदी के अधिकारियों के अनुसार, मुस्तफा पर एक आतंकी समूह बनाने और सशस्त्र विद्रोह की कोशिश के आरोप थे। वहीं, मुस्तफा के परिवार को ऑनलाइन खबरों से फांसी की जानकारी मिली।

रियाद: द सन में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी लड़के का नाम मुस्तफा अल दर्विश था. उसकी उम्र अभी महज 26 साल थी. जान लें कि सऊदी अरब कई बार कह चुका है कि वह नाबालिग बच्चों को मौत की सजा नहीं देगा. फिर भी मुस्तफा को फांसी दे दी गई. मुस्तफा को जिस आरोप में गिरफ्तार किया गया था, वह उसने 17 साल की उम्र में कथित रूप से किया था.

बता दें कि मुस्तफा पर आरोप था कि वह 17 साल की उम्र में अरब स्प्रिंग से जुड़े प्रदर्शन में शामिल हुआ था. मुस्तफा शिया समुदाय था. पुलिस ने मुस्तफा के फोन से एक आपत्तिजनक फोटो बरामद की थी, जिसकी वजह से उसे मौत की सजा दे दी गई.

सऊदी अरब पुलिस के मुस्तफा पर आरोप

सऊदी अरब पुलिस के मुताबिक, मुस्तफा को उसके दो साथियों के साथ साल 2015 में पहली बार गिरफ्तार किया गया था. उसके मोबाइल में जो फोटो थी, वो देश की सुरक्षा के लिए खतरा थी. मुस्तफा करीब 10 दंगों में शामिल हुआ था.

टॉर्चर से तंग आकर कबूल किया गुनाह

गौरतलब है कि मौत से पहले मुस्तफा ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा था कि 6 साल तक उसके ऊपर मौत की तलवार लटकती रही. पुलिस के टॉर्चर से तंग आकर उसने अपना गुनाह कबूल किया.

मुस्तफा के परिजनों ने सुनाई आपबीती

मुस्तफा के परिजनों ने कहा कि उनके बेटे को मार दिया जाना पूरे परिवार के लिए मौत के जैसा है. सभी का रो-रोकर बुरा हाल है. फोन में सिर्फ एक आपत्तिजनक फोटो होने की वजह से उसे मौत के घाट उतार दिया गया.