सऊदी अरब ने ट्रंप प्रशासन के तहत अमेरिका के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण सफलताएं हासिल की हैं। इन उपलब्धियों में प्रमुख रक्षा और व्यापार समझौतों को अंतिम रूप देना शामिल है, जो पहले इजराइल के साथ पूर्ण सामान्यीकरण की शर्त पर निर्भर थे और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की वाशिंगटन में छवि में तेजी से सुधार हुआ है, और ट्रंप प्रशासन ने खशोगी मामले को पीछे छोड़कर सऊदी अरब के साथ संबंधों को मजबूत करने की इच्छा दिखाई है, खासकर सऊदी अरब के लगभग एक ट्रिलियन डॉलर के निवेश के वादे और ट्रंप के परिवार के साथ व्यावसायिक संबंधों को देखते हुए। यह बदलाव पिछले प्रशासन की नीति से बिल्कुल विपरीत है, जिसने इन समझौतों को इजराइल-फिलिस्तीन शांति प्रक्रिया से जोड़ा था।
अमेरिकी नीति में महत्वपूर्ण बदलाव
ट्रंप प्रशासन ने सऊदी अरब के साथ बड़े रक्षा और व्यापार समझौतों को अंतिम रूप देने से पहले इजराइल के साथ पूर्ण सामान्यीकरण की लंबे समय से चली आ रही शर्त को छोड़ दिया है। यह एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक जीत है। पहले, बिडेन प्रशासन ने स्पष्ट किया था कि किसी भी व्यापक अमेरिकी-सऊदी समझौते के लिए द्विपक्षीय रक्षा और व्यापार समझौतों, इजराइल के साथ सऊदी अरब के सामान्यीकरण, और इजराइल द्वारा फिलिस्तीनी राज्य के लिए मार्ग सुनिश्चित करने के तीन हिस्सों को एक साथ आगे बढ़ना होगा और हालांकि, इजराइल ने फिलिस्तीनी राज्य की संभावना को खारिज कर दिया था, और सऊदी अरब ने अपनी स्थिति नरम नहीं की थी। अब, ट्रंप प्रशासन ने इन हिस्सों को अलग कर दिया है, जिससे सऊदी अरब को अपनी इच्छित रक्षा, आर्थिक और क्षेत्रीय सुरक्षा संबंधी सुविधाएं मिल गई हैं, जबकि उसे इजराइल के साथ संबंध सामान्य करने की शर्त को नहीं मानना पड़ा। यह नीतिगत बदलाव सऊदी अरब के लिए एक बड़ी राहत है, क्योंकि इसने उसे अपनी रणनीतिक आवश्यकताओं को पूरा करने का अवसर दिया है, बिना किसी ऐसी शर्त के जिसे वह स्वीकार करने को तैयार नहीं था।
रणनीतिक रक्षा और सुरक्षा लाभ
इस सप्ताह, अमेरिका ने सऊदी अरब को प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी (Major Non-NATO Ally) घोषित किया है। यह दर्जा सऊदी अरब को अमेरिका के साथ विशेष रक्षा और सुरक्षा सहयोग के अवसर प्रदान करता है, जिसमें उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकी तक पहुंच और संयुक्त सैन्य अभ्यास शामिल हैं, जिससे उसकी सैन्य क्षमताएं काफी बढ़ जाती हैं और इसके साथ ही, अमेरिका ने F-35 लड़ाकू विमानों की बिक्री की योजना को भी आगे बढ़ाया है, जो इजराइल के विमानों के समान होंगे। F-35 दुनिया के सबसे उन्नत लड़ाकू विमानों में से एक हैं, और इनकी बिक्री सऊदी। अरब की वायु शक्ति को काफी बढ़ाएगी, जिससे क्षेत्र में शक्ति संतुलन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। इन कदमों के अलावा, दोनों देशों ने एक नया रणनीतिक रक्षा समझौता भी किया है, जो दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक सुरक्षा प्रतिबद्धताओं को मजबूत करेगा और क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने में मदद करेगा। यह समझौता सऊदी अरब की सुरक्षा को और अधिक मजबूत करेगा, जिससे उसे क्षेत्रीय चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलेगी।
क्षेत्रीय प्रभाव और कूटनीतिक सफलताएं
क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था को तेल पर निर्भरता से मुक्त करने के। प्रयासों को ध्यान में रखते हुए, अमेरिका और सऊदी अरब ने एक AI सहयोग ढांचा शुरू किया है। इस ढांचे में सऊदी अरब को एडवांस चिप्स की बिक्री की मंजूरी शामिल है, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता और उच्च-तकनीकी उद्योगों के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह सहयोग सऊदी अरब को अपनी अर्थव्यवस्था में विविधता लाने और ज्ञान-आधारित उद्योगों में निवेश करने में मदद करेगा, जो 'विजन 2030' के लक्ष्यों के अनुरूप है। इसके अतिरिक्त, एक महत्वपूर्ण खनिज समझौता भी किया गया है, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में सऊदी अरब। की भूमिका को बढ़ाएगा और उसे महत्वपूर्ण खनिजों के उत्पादन और व्यापार में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाएगा। परमाणु ऊर्जा में सहयोग बढ़ाने का मार्ग भी खोला गया है, जिससे सऊदी अरब को शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमों में अमेरिकी विशेषज्ञता और प्रौद्योगिकी तक पहुंच मिल सकेगी, जो उसकी ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
ट्रंप प्रशासन ने मोहम्मद बिन सलमान के क्षेत्रीय अनुरोधों को भी पूरा किया है। इसमें सूडान के गृह युद्ध को समाप्त करने में मदद करने पर सहमति देना शामिल है, जो सऊदी अरब के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय चिंता का विषय रहा है। यह अमेरिकी समर्थन सऊदी अरब को क्षेत्र में अपनी कूटनीतिक भूमिका और प्रभाव को मजबूत करने में मदद करेगा, जिससे वह क्षेत्रीय स्थिरता में अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकेगा। ओवल ऑफिस में क्राउन प्रिंस ने इन नए समझौतों को अमेरिका और सऊदी अरब दोनों के लिए लाभकारी बताया। मंगलवार को ट्रंप के बगल में बैठकर उन्होंने कहा, "आज हमारे इतिहास में एक बहुत महत्वपूर्ण समय है। " यह बयान दोनों देशों के बीच संबंधों में आए इस नए युग की गहराई और महत्व को दर्शाता है, जहां सऊदी अरब ने अपनी रणनीतिक प्राथमिकताओं को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया है और अमेरिका के साथ एक मजबूत साझेदारी स्थापित की है।