Vikrant Shekhawat : Jan 22, 2025, 06:00 AM
Share Market: सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) शेयर बाजार में पारदर्शिता और निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए नए नियमों की घोषणा करता रहता है। अब SEBI एक ऐसे नियम को लागू करने पर विचार कर रहा है, जिससे निवेशकों को आईपीओ (IPO) में अलॉट हुए शेयरों को कंपनी की लिस्टिंग से पहले ही बेचने का मौका मिल सकेगा। SEBI प्रमुख माधवी पुरी बुच ने मंगलवार को एक कार्यक्रम के दौरान इस प्रस्तावित योजना की जानकारी दी।
नया नियम क्यों है जरूरी?
माधवी पुरी बुच के अनुसार, जब निवेशक किसी कंपनी के आईपीओ में पैसा लगाते हैं और उन्हें शेयर अलॉट हो जाते हैं, तो अक्सर वे ग्रे मार्केट में इन शेयरों की कीमत देखकर उन्हें बेचने के बारे में सोचते हैं। लेकिन, ग्रे मार्केट में ट्रेडिंग असुरक्षित और अनियमित होती है, जिससे निवेशकों को नुकसान का खतरा बढ़ जाता है। SEBI इस प्रक्रिया को एक नियामित प्लेटफॉर्म पर लाने की योजना बना रहा है, जिससे निवेशक सुरक्षित और पारदर्शी तरीके से प्री-लिस्टिंग ट्रेडिंग कर सकें।प्री-लिस्टिंग ट्रेडिंग की प्रक्रिया
वर्तमान में, किसी कंपनी का आईपीओ खुलने के बाद निवेशक एक निर्धारित समय सीमा में आवेदन करते हैं। शेयर अलॉटमेंट के बाद, कंपनी की लिस्टिंग होती है। यह प्रक्रिया आमतौर पर 24 घंटे के भीतर पूरी होती है। इस दौरान ग्रे मार्केट में बड़े पैमाने पर शेयरों की ट्रेडिंग होती है। अगर SEBI का नया नियम लागू होता है, तो निवेशक लिस्टिंग से पहले ही नियामित प्लेटफॉर्म पर अपने शेयरों को खरीद या बेच सकेंगे।ग्रे मार्केट पर लगाम लगाने की योजना
ग्रे मार्केट में शेयरों की संभावित कीमतों को देखकर कई निवेशक बेहतर रिटर्न के लिए आईपीओ में पैसा लगाते हैं। हालांकि, इसमें धांधली और उच्च जोखिम शामिल होते हैं। ग्रे मार्केट की इन अनियमित गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए SEBI प्री-लिस्टिंग ट्रेडिंग को अनुमति देने पर विचार कर रहा है।निवेशकों को होगा फायदा
SEBI के इस कदम से निवेशकों को कई फायदे होंगे:- पारदर्शिता: प्री-लिस्टिंग ट्रेडिंग की सुविधा नियामित प्लेटफॉर्म पर होने से सभी लेन-देन पारदर्शी होंगे।
- सुरक्षा: ग्रे मार्केट में ट्रेडिंग के जोखिम से बचाव होगा।
- लिक्विडिटी: निवेशक लिस्टिंग का इंतजार किए बिना अपनी पूंजी का उपयोग कर सकेंगे।
संभावित चुनौतियाँ
हालांकि यह कदम निवेशकों के लिए लाभदायक साबित हो सकता है, लेकिन इसे लागू करने के दौरान कई चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं:- निवेशकों को नए नियमों के प्रति जागरूक करना।
- प्लेटफॉर्म पर सुचारू और सुरक्षित ट्रेडिंग सुनिश्चित करना।
- ग्रे मार्केट के प्रभाव को पूरी तरह खत्म करना।