Mohammed Shami News / शमी रमजान में रोजे न रखने पर ट्रोल हुए, मौलाना ने कहा- ‘उन्हें छूट है क्योंकि…’

भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी को रमजान में रोजा न रखने पर कट्टरपंथियों ने निशाना बनाया है। बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने इसे "बड़ा गुनाह" बताया, जबकि मौलाना अरशद ने उनका समर्थन किया। महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन ने भी शमी का बचाव करते हुए उनके समर्पण की सराहना की।

Mohammed Shami News: भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। इस बार उनका सामना सोशल मीडिया ट्रोलिंग से हो रहा है, जिसकी वजह उनकी एक तस्वीर बनी है। इस तस्वीर में शमी मैच के दौरान एनर्जी ड्रिंक पीते नजर आ रहे हैं। कट्टरपंथी इस तस्वीर के आधार पर उन्हें निशाना बना रहे हैं, खासकर इसलिए कि रमजान के दौरान रोजा न रखकर उन्होंने कथित रूप से 'गुनाह' किया है।

रोजा न रखने पर उठे सवाल

बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने इस मामले को लेकर बयान दिया है कि रमजान के दौरान रोजा न रखना इस्लामिक शरीयत के अनुसार बड़ा गुनाह है। उन्होंने कहा, "इस्लाम में रोजा फर्ज़ करार दिया गया है और इसे न रखने वाला मुजरिम होता है। मोहम्मद शमी ने ऐसा करके एक बड़ा गुनाह किया है।"

यह तस्वीर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दुबई में खेले गए एक महत्वपूर्ण मैच के दौरान ली गई थी, जिसमें शमी ने शानदार गेंदबाजी करते हुए तीन विकेट झटके थे। हालांकि, इस खेल प्रदर्शन के बावजूद, उन्हें धार्मिक मुद्दों को लेकर ट्रोल किया जा रहा है।

शमी के समर्थन में उतरे मौलाना

हालांकि, कुछ इस्लामिक विद्वानों और अन्य लोगों ने शमी का समर्थन भी किया है। दिल्ली की मोती मस्जिद के इमाम मौलाना अरशद ने ट्रोल करने वालों की आलोचना करते हुए कहा कि इस्लाम में सफर करने वालों को रोजा न रखने की छूट दी गई है। उन्होंने कहा, "मोहम्मद शमी इस समय देश से बाहर खेल रहे हैं, जो कि सफर की श्रेणी में आता है। कुरान के अनुसार मुसाफिरों को यह छूट मिलती है। इसलिए इस मुद्दे पर बरेली के मौलाना या किसी और की राय मायने नहीं रखती, बल्कि सिर्फ कुरान का हुक्म महत्वपूर्ण है।"

क्रिकेट जगत से समर्थन

महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन ने भी मोहम्मद शमी का बचाव किया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष रोहित पवार ने कहा, "शमी इस्लाम का सम्मान करते हैं, लेकिन उनके लिए सबसे पहले देश है। अगर वह मैच के दौरान एनर्जी ड्रिंक पी रहे हैं ताकि उनका प्रदर्शन बेहतर हो सके, तो इसमें कोई गलत बात नहीं है। चैम्पियंस ट्रॉफी एक महत्वपूर्ण टूर्नामेंट है, और अगर शमी फिट नहीं रहते तो इसका असर पूरे देश पर पड़ेगा।"

निष्कर्ष

मोहम्मद शमी के मामले ने एक बार फिर इस बहस को जन्म दिया है कि क्या व्यक्तिगत धार्मिक मान्यताओं को खेल जैसे पेशे में हस्तक्षेप करना चाहिए? जहां एक ओर कट्टरपंथी उनके खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई धार्मिक विद्वान और क्रिकेट प्रेमी उनके समर्थन में खड़े हैं। यह मामला केवल क्रिकेट और धर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक सामाजिक मुद्दे को भी दर्शाता है कि किस तरह सार्वजनिक हस्तियों को उनके निजी फैसलों के लिए कटघरे में खड़ा किया जाता है।