भारतीय शेयर बाजार में आने वाले समय में एक बड़ी हलचल देखने को मिल सकती है, जिसे 'पैसों की सुनामी' के रूप में वर्णित किया जा रहा है। मौजूदा साल के आखिरी महीने और नए साल के पहले महीने में, यानी अगले दो महीनों के भीतर, लगभग दो दर्जन कंपनियां अपने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने की तैयारी में हैं। इन आईपीओ के माध्यम से भारतीय पूंजी बाजार में 40,000 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी आने की उम्मीद है, जो निवेशकों और कंपनियों दोनों के लिए उत्साहजनक माहौल पैदा कर रहा है।
आगामी आईपीओ की बाढ़
मर्चेंट बैंकर्स के अनुसार, अगले दो माह के दौरान आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी, मीशो और जुनिपर ग्रीन एनर्जी जैसी प्रमुख कंपनियों सहित लगभग दो दर्जन और फर्मों का पब्लिक इश्यू आने वाला है। यह मजबूत पाइपलाइन भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों से कंपनियों को आकर्षित कर रही है और इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) कंपनी फ्रैक्टल एनालिटिक्स, होम और स्लीप समाधान ब्रांड वेकफिट इनोवेशंस, टेक-आधारित सुरक्षा और निगरानी कंपनी इनोवेटिवव्यू इंडिया, और हॉस्पिटल श्रृंखला पार्क मेडी वर्ल्ड जैसे बड़े नाम शामिल हैं। यह स्थिति न केवल कंपनियों के अपने विकास पथ पर भरोसे को दर्शाती है, बल्कि निवेशकों के सूचीबद्धता के दिन के लाभ के साथ-साथ दीर्घकालिक संभावनाओं में विश्वास को भी उजागर करती है। आगामी सप्ताहों में बड़ी, मझोली और छोटी सभी आकार की कंपनियां आईपीओ लाने की तैयारी कर रही हैं, जो बाजार में विविधता और गहराई लाएगी।
बाजार में बढ़ती गतिविधियां
इस साल भारतीय शेयर बाजार में आईपीओ गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। अब तक कुल 96 कंपनियां शेयर बाजार में सूचीबद्ध हो चुकी हैं, जिन्होंने आईपीओ के माध्यम से सामूहिक रूप से 1. 6 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं। यह आंकड़ा पिछले साल 2024 में जुटाए गए कुल 1. 6 लाख करोड़ रुपये के बराबर है, जब 91 पब्लिक इश्यू आए थे। मौजूदा वर्ष में, विशेष रूप से पिछले तीन महीनों में, 40 से अधिक कंपनियां सूचीबद्ध हुई हैं, जो प्राथमिक बाजार में बढ़ती गतिविधियों और निवेशकों की मजबूत रुचि का स्पष्ट संकेत है और यह वृद्धि मजबूत खुदरा भागीदारी, घरेलू स्तर पर बढ़ते प्रवाह, निजी निवेश और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था से समर्थित है, जो कंपनियों को पूंजी जुटाने के लिए अनुकूल माहौल प्रदान कर रही है।
विशेषज्ञों की राय और कारण
बाजार विशेषज्ञ इस अभूतपूर्व गति का श्रेय बढ़ती खुदरा भागीदारी और घरेलू स्तर पर बढ़ते प्रवाह को देते हैं। आनंद राठी शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स के प्रमुख – प्रेफर्ड, थॉमस स्टीफन ने इस प्रवृत्ति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दिसंबर में कई आईपीओ आने वाले हैं। उन्होंने अनुमान लगाया कि इससे 2025 में पब्लिक इश्यू के जरिए जुटाई गई राशि का आंकड़ा दो लाख करोड़ रुपये पर पहुंच सकता है, जो भारतीय प्राथमिक बाजार के लिए एक नया रिकॉर्ड होगा। मेवेनार्क के को-फाउंडर और सीईओ शांतनु अवस्थी ने भी इसी तरह की राय व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जो कंपनियां पहले पब्लिक इश्यू लाने में हिचकिचाती थीं, अब वे समझ रही हैं कि लगातार वृद्धि और विस्तार के लिए पर्याप्त पूंजी की आवश्यकता होती है। यह बदलती मानसिकता भारतीय कॉरपोरेट जगत में आत्मविश्वास और विकास की आकांक्षा को दर्शाती है।
आईपीओ से जुटाई गई पूंजी का उपयोग
आईपीओ के माध्यम से धन जुटाने वाली कंपनियां इस राशि का उपयोग विभिन्न रणनीतिक उद्देश्यों के लिए करेंगी और इन उद्देश्यों में उनकी विस्तार योजनाओं को आगे बढ़ाना, पूंजीगत व्यय को वित्तपोषित करना, मौजूदा कर्ज का भुगतान करना और सामान्य कंपनी कामकाज के लिए पूंजी प्रदान करना शामिल है। यह पूंजी कंपनियों को अपनी परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने, नए बाजारों में प्रवेश करने, अनुसंधान और विकास में निवेश करने और अपनी प्रतिस्पर्धी स्थिति को मजबूत करने में मदद करेगी। यह अंततः रोजगार सृजन और आर्थिक विकास में भी योगदान देगा, क्योंकि कंपनियां अपनी गतिविधियों का विस्तार करती हैं।
भविष्य की संभावनाएं
आगामी आईपीओ की यह लहर भारतीय पूंजी बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ का प्रतिनिधित्व करती है और यह न केवल कंपनियों के लिए विकास के अवसर पैदा करती है, बल्कि निवेशकों को भी विविध क्षेत्रों में निवेश करने और धन सृजन में भाग लेने का मौका देती है। 2025 तक 2 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े तक पहुंचने की संभावना भारतीय अर्थव्यवस्था की अंतर्निहित शक्ति और वैश्विक निवेशकों के बीच इसके बढ़ते आकर्षण को रेखांकित करती है। यह प्राथमिक बाजार की मजबूती और भविष्य के लिए एक आशावादी दृष्टिकोण का संकेत है, जहां पूंजी जुटाने और निवेश के अवसर लगातार बढ़ रहे हैं।