Corona crisis / वो देश जिसकी इकोनॉमी पर कोरोना ने सबसे कम असर डाला

News18 : Aug 07, 2020, 06:36 AM
Corona crisis: कोरोना वायरस (Corona Virus) के कुल मामले दुनिया भर में दो करोड़ का आंकड़ा छूने की तरफ हैं और कई देश अर्थव्यवस्था पर वैश्विक महामारी के बुरे असर (Covid 19 Effect on Economy) को देख रहे हैं। अमेरिका (US) और यूरोप (Europe) के कई देश न केवल इस वायरस बल्कि इस वायरस के कारण अर्थव्यवस्था पर जो कहर टूटा, उसकी भीषण चपेट में देखे गए। इन हालात में यूरोप का एक देश है स्वीडन (Sweden), जो कोरोना से पैदा हुए आर्थिक संकट (Economic Crisis) की चपेट में सबसे कम दिख रहा है।

जी हां, जब यूरोप में कोविड 19 वैश्विक महामारी अपने चरम पर रही, तब भी लॉकडाउन (Lockdown) जैसे कदम न उठाने वाले देश स्वीडन की अर्थव्यवस्था पिछली तिमाही के मुकाबले दूसरी तिमाही में मामूली गिरी। यानी जनवरी से मार्च के बीच जो आंकड़े थे, उनकी तुलना में अप्रैल से जून के बीच आंकड़ों में 8.6% की गिरावट दिखी। अब ये आंकड़े बाकी यूरोपीय देशों को मुंह चिढ़ा रहे हैं।

अन्य देशों से बेहतर लेकिन बड़ी गिरावट

इसी अवधि के हिसाब से देखा जाए तो यूरोपीय देशों की तुलना में स्वीडन की अर्थव्यवस्था को मामूली नुकसान हुआ। स्पेन में अर्थव्यवस्था 18।5%, फ्रांस में 13.8% और इटली में 12.4% सिकुड़ गई। स्वीडन में 8।6% की गिरावट बाकी यूरोपीय देशों की तुलना में भले कम हो लेकिन पिछले 40 सालों में देश के लिए सबसे बड़ी है।

स्वीडन की स्ट्रैटजी पास हुई या फेल?

स्टैटिसटिक्स स्वीडन के आंकड़े जारी होने के बाद और अन्य देशों से उनकी तुलना के बाद अब स्वीडिश अर्थव्यवस्था में कम नुकसान के कारण खोजे जा रहे हैं। बीबीसी की ताज़ा रिपोर्ट की मानें तो स्वीडन ने महामारी से निपटने के लिए शुरू से ही सोशल डिस्टेंसिंग की गाइडलाइन पर ज़ोर दिया। वर्क फ्रॉम होम को तवज्जो और पब्लिक ट्रांसपोर्ट के इस्तेमाल को कम से कम करने जैसे कदम उठाए गए।

चूंकि स्वीडन की अर्थव्यवस्था बड़े तौर पर एक्सपोर्ट पर निर्भर है इसलिए यहां व्यवसाय और व्यापार ज़्यादातर चालू ही रहा। फिर भी, विदेशों से मांग घटने से इस उद्योग को नुकसान तो हुआ। हालांकि संपूर्ण लॉकडाउन जैसा कोई कदम नहीं उठाया गया।

सरकार ने नहीं मानी विशेषज्ञों की राय

स्वीडन में विशेषज्ञों ने हिदायत दी थी चूंकि अर्थव्यवस्था बहुत संवेदनशील है इसलिए लॉंग टर्म के लिए अर्थव्यवस्था के टिकने के लिए ज़ोर दिया गया था। लेकिन सरकार ने तर्क दिया कि समाज को खुले रखने से बेरोज़गारी कम से कम होगी और बिज़नेस पर कम असर होगा। अब हाल ये है कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर बड़े पैमाने पर आश्रित स्वीडन की अर्थव्यवस्था संवेदनशील होते हुए भी सबसे कम प्रभावित हुई है।

हालांकि स्वीडन में अर्थव्यवस्था में गिरावट दर्ज हुई लेकिन अब भी ये देश आर्थिक मंदी के हालात में नहीं है। लगातार दो तिमाहियों में अगर गिरावट दर्ज हो तो सामान्यत: मंदी का दौर माना जाता है लेकिन स्वीडन के साथ ऐसा नहीं हुआ। पहली तिमाही में गिरावट नहीं बल्कि 0।1% की ग्रोथ थी। एक तरफ कई भविष्यवाणियां हैं कि इस साल स्वीडन की इकोनॉमी 5% सिकुड़ जाएगी तो दूसरी तरफ, मार्च में 7.1% रहने वाली बेरोज़गारी दर स्वीडन में 9% हो गई है।

सरकार को हो सकता है नुकसान!

लॉकडाउन जैसे कदम न उठाने वाले स्वीडन में महामारी के यूरोप में चरम पर क्या स्थिति रही? डेनमार्क, फिनलैंड और नॉर्वे की कुल डेढ़ करोड़ की आबादी के मुकाबले एक करोड़ की आबादी वाले स्वीडन में मई के दूसरे हफ्ते में तीन गुना ज़्यादा मौतें हुई थीं। इसके बावजूद पहली तिमाही के आंकड़े भी स्वीडिश अर्थव्यवस्था के पक्ष में था, तब भी विशेषज्ञों ने कहा था कि ज़्यादा देर स्वीडन की अर्थव्यवस्था बच नहीं पाएगी।

अब हालिया ओपिनियन पोल्स में कहा गया है कि कोविड 19 महामारी के खिलाफ लड़ने में सरकार नाकाम रही और ​विश्वास खो चुकी। अगर अर्थव्यवस्था को और धक्का पहुंचता है तो सरकार के खिलाफ चर्चाएं तेज़ हो सकती हैं। हालांकि सरकार के विरोधी उम्मीद कर रहे हैं कि अब कुछ सख्त कदम उठाकर महामारी के खिलाफ बेहतर रणनीति बनाई जाएगी।

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