Viral News / शादी से पहले संबंध बनाने पर महिला को सरेआम मिली ऐसी सजा, मौके पर हो गई मौत

Zoom News : Jul 01, 2021, 04:30 PM
जकार्ता: इंडोनेशिया के Aceh प्रांत में डेमोक्रेटिक कानून की जगह इस्लामिक कानून लागू हैं। बेहद सख्त सजा की वजह से यहां बिना फांसी और सिर कलम किए बिना ही अक्सर गुनाह करने वालों की जान पर बन आती है। अवैध संबंधों का मामला सामने आने के बाद यहां महिला और उसके पुरुष साथी को जनता की भीड़ के बीच सरेआम 100-100 कोड़े मारे जाते हैं। ताजा मामले में शादी से पहले शारीरिक संबंध बनाने की वजह से एक महिला को ऐसी ही सजा सुनाई गई। वहां पर मौजूद लोगों के मुताबिक कोड़े लगने के बाद महिला ने वहीं दम तोड़ दिया जिसकी पहचान सार्वजनिक नहीं की गई है।

शादी से पूर्व शारीरिक संबंध बनाने वाली महिला ने सजा के दौरान हुई बर्बर पिटाई के दौरान दम तोड़ दिया। इंडोनेशिया के पश्चिमी प्रांत Aceh के ल्होकसेउमावे में विवाह पूर्व यौन संबंध बनाने के लिए आरोपियों को 100-100 कोड़े मारने की सजा सुनाई गई थी।

Lhokseumawe सिटी की गिनती इंडोनेशिया (Indonesia) के सबसे रूढ़िवादी शहरों में होती है। यहां के स्थानीय लोगों में शरिया कानून (Sharia Law) की सजाओं की वजह से दहशत का माहौल बना रहता है। लोग डरते हैं कि कहीं गलती से भी अगर कोई गलती हो गई तो उनकी जान भी जा सकती है।

ये प्रांत इंडोनेशिया का अकेला इलाका है जहां इस्लामिक कानून लागू है। यहां अधिकारियों द्वारा कई तरह के अपराधों के लिए कोड़े मारे जाते हैं, जिनमें शराब पीना, व्याभिचार और विवाह पूर्व सेक्स करना या फिर समलैंगिक यौन संबंध बनाना शामिल हैं।

यहां की क्रूर सजा को व्यापक रूप से शरिया कानून की विकृत व्याख्या के रूप में देखा जाता है। ये प्रथा एक इस्लामिक कानून का हिस्सा है जो नैतिकता को प्रभावित करने वाली गतिविधियों को हमेशा के लिए प्रतिबंधित करना चाहता है। इस मामले में सजा स्थल पर मौजूद लोगों ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि सजा के दौरान महिला ने दम तोड़ दिया।

इंडोनेशिया के इस इलाके में अक्सर ऐसे मामले सामने आते रहते हैं। हालांकि इस केस में महिला की मौत के बाद एक बार फिर इंटरनेशनल मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस कृत्य को बर्बर्तापूर्ण कार्रवाई बताते हुए ऐसी सजाओं को रद्द करने की मांग की है।

साल 2018 में Aceh के अधिकारियों ने सार्वजनिक कोड़ों की सजा को समाप्त करने और ऐसे आरोपियों को जेल की दीवारों के पीछे भेजने की सजा देने को लेकर प्रतिबद्धता जताई थी लेकिन कुछ कारणों की वजह से ऐसा संभव नहीं हो सका।

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