Ganpati Visarjan Shubh Muhurat 2022 / आज गणपति बप्पा को विदा करने के लिए 4 मुहूर्त

Zoom News : Sep 09, 2022, 09:14 AM
Ganpati Visarjan Shubh Muhurat 2022: आज अनंत चतुर्दशी है। 10 दिन तक गणेशजी की पूजा के बाद आज मूर्तियां विसर्जित होंगी। वैसे तो ग्रंथों में गणेशजी की मूर्ति के विसर्जित का कोई जिक्र नहीं मिलता, लेकिन परंपराओं के चलते ऐसा होता है। वेदव्यास और गणेश जी के महाभारत लिखने वाली कथा से ये परंपरा शुरू हुई है। जिसमें महाभारत लिखते हुए गणेशजी के शरीर में गर्मी बढ़ गई थी तो व्यास जी ने उन्हें नहलाया। तब से माना जाता है कि गणपति स्थापना के बाद विसर्जन करना चाहिए।

आज गणपति विसर्जन के 4 मुहर्त हैं। इनमें आप अपनी सुविधा के मुताबिक गणपति विसर्जित कर सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें की ये काम सूर्यास्त के पहले ही कर लें। ग्रंथों के हिसाब से सूरज डूबने के बाद मूर्तियों का विसर्जन नहीं करते। गणपति को विदा करने की विधि और मुहूर्त के बारे में हमने देश के जाने-माने ज्योतिषियों और धर्म ग्रंथों के जानकारों से पता किया... जानते हैं उनका क्या कहना है‌?

घर में ही विसर्जन करना ठीक है। इस पर ब्रह्मपुराण और महाभारत के हवाले से कहा कि नदियों को गंदा करने से दोष लगता है। इसलिए किसी गमले या नए बड़े बर्तन में पानी भरकर उसी में गणेश जी को विसर्जित करना चाहिए।

गणपति विसर्जन के शुभ मुहूर्त 

सुबह 6 से 10.30 तक 

सुबह 11.50 से लेकर दोपहर 12.40  

दोपहर 1 से लेकर 1.50 

शाम 5 से 6.30 तक

विसर्जन के बाद पौधा लगाएं क्योंकि शुभ मुहूर्त है

डॉ. मिश्र बताते हैं कि इस दिन घनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र होने से पेड़-पौधे लगाने का भी मुहूर्त है। क्योंकि वराहमिहीर ने ग्रंथों में पेड़-पौधे लगाने के लिए कुछ खास नक्षत्रों का जिक्र किया है। उनमें से दो नक्षत्र 9 सितंबर को रहेंगे। इसलिए गणपति विसर्जन के बाद उसी मिट्टी में तुलसी, नीम, अशोक, आंवला या कोई भी पूजनीय पेड़-पौधा लगाना शुभ रहेगा।

पानी में ही विसर्जन क्यों किया जाता है, समझाते हुए डॉ. भार्गव कहते हैं कि जल पंच तत्वों में एक है। इसमें घुलकर प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति अपने मूल तत्व में मिल जाती है। पानी के जरीये ही भगवान गणेश का साकार रूप निराकार हो जाता है। ये परमात्मा के एकाकार होने का प्रतीक भी है। इसलिए पानी में विसर्जन करने का महत्व है।

इससे जुड़ी एक कथा के मुताबिक महर्षि वेदव्यास महाभारत लिखने के लिए अच्छा लेखक ढूंढ रहे थे। तब गणेशजी ने इसके लिए हामी भरी। लेकिन उन्होंने शर्त भी रखी कि जब तक महर्षि बिना रुके बोलेंगे वे भी लगातार लिखते रहेंगे। वेदव्यास ने गणेश चतुर्थी के दिन से महाभारत सुनानी शुरू की। गणेशजी लगातार 10 दिन तक कथा लिखते रहे। कथा पूरी होने तक लगातार लिखने से गणेशजी के शरीर का तापमान बढ़ गया था। महर्षि वेदव्यास ने उन्हें सरोवर में नहलाया। ये अनंत चर्तुदशी का दिन था। इसलिए मूर्ति विसर्जन की परंपरा शुरू हुई।

नई शुरुआत है विसर्जन

डॉ. भार्गव कहते हैं कि इस साल गणेश स्थापना के साथ अच्छे काम करने और बुराई छोड़ने का जो संकल्प लिया था। गणपति विसर्जन के बाद इसी के साथ नई शुरुआत करनी चाहिए। गणपति आते हैं तो अच्छा भाग्य और समृद्धि लाते हैं। जिसको पाने के लिए पूरे साल कड़ी मेहनत करने के लिए नई शुरुआत का समय विसर्जन से शुरू हो जाता है। जो अगले साल गणेश स्थापना तक रहता है।

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