किसान आंदोलन / आज आंदोलन का 51 वां दिन,किसान नेता विज्ञान भवन पहुंचे

Zoom News : Jan 15, 2021, 12:42 PM
किसान आंदोलन का आज 51वां दिन है। केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच आज 10वें दौर की बातचीत होनी है। बताया जा रहा है कि किसानों और सरकार के बीच यह आखिरी मीटिंग हो सकती है। किसान नेता विज्ञान भवन पहुंच गए हैं। किसानों ने कहा कि हमें उम्मीद पूरी है, पर इसे पूरा सरकार को करना है। हम सिर्फ कृषि कानूनों की वापसी चाहते हैं। साथ ही हमारी फसलों को MSP की कानूनी गारंटी मिले।


कृषि कानूनों पर किसानों से चर्चा के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 12 जनवरी को 4 एक्सपर्ट्स की एक कमेटी बनाई गई थी। 14 जनवरी यानी दो दिन बाद ही कमेटी से भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने नाम वापस ले लिया। अब कमेटी 19 जनवरी को किसानों के साथ पहली बैठक कर सकती है।


किसान नेता अभिमन्यु कोहर ने कहा, ‘कृषि कानून संसद में पास हुए हैं और सरकार जानती है कि इन कानूनों को कोर्ट निष्प्रभावी नहीं कर सकता। जो किसान 28 दिसंबर से दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हुए हैं, केंद्र को उन किसानों की भावनाओं से खेलना बंद करना चाहिए। किसी कमेटी को बना दिया जाना ही समाधान नहीं है।’


किसान आंदोलन अपडेट्स...


  • किसान नेता विज्ञान भवन पहुंचे। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों की वापसी ही हमारी मांग है। यही हमारी उम्मीद है और इसे पूरा तो सरकार को ही करना है।
  • सिंघु और टीकरी बॉर्डर से बसों में बैठकर किसान नेता विज्ञान भवन के लिए रवाना हुए।
अमरिंदर बोले- कानून वापसी से कम कुछ मंजूर नहीं

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गुरुवार को कहा कि नए कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले के अलावा कुछ मंजूर नहीं है। केंद्र को जमीनी हकीकत का पता नहीं है। वहीं, पंजाब कैबिनेट ने केंद्र से किसानों के लिए MSP को वैधानिक हक दिए जाने की मांग की है।

गुरुवार को हुई पंजाब कैबिनेट की बैठक में आंदोलन में हुई किसानों की मौत पर दो दिन का मौन रखा गया। अब तक करीब 78 किसानों की आंदोलन में मौत हो चुकी है।


नए कानून एग्रीकल्चर रिफॉर्म्स का रास्ता बनाएंगे: IMF

इंटरनेशनल मॉनीटरी फंड (IMF) ने कहा कि भारत के नए किसान कानूनों को रिफॉर्म्स के लिए नया रास्ता बताया है। IMF के कम्युनिकेशन डायरेक्टर गैरी राइस के मुताबिक, भारत के ये नए कानून किसानों के काफी मददगार साबित होंगे। किसान बिना बिचौलियों के सीधे विक्रेताओं से संपर्क कर सकेंगे। इससे गांवों की ग्रोथ में इजाफा होगा। हालांकि, राइस ने यह भी कहा कि नए कानूनों से जिन पर (किसानों पर) खराब असर पड़ रहा है, उन्हें और मजबूत किए जाने की जरूरत है।


अमर जवान ज्योति पर तिरंगा फहराएंगे- टिकैत

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने गुरुवार को कहा था, '26 जनवरी को हम अपनी रैली लालकिले से इंडिया गेट तक निकालेंगे। इसके बाद सभी किसान अमर जवान ज्योति पर इकट्ठा होंगे और वहां तिरंगा फरहाएंगे। यह ऐतिहासिक होगा, जहां एक तरफ किसान होंगे और दूसरी तरफ जवान।'


8 तारीख की बैठक में किसानों ने ये पोस्टर दिखाया था:


अब तक की 9 बैठकों में क्या हुआ?


पहला दौरः 14 अक्टूबर

क्या हुआः मीटिंग में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की जगह कृषि सचिव आए। किसान संगठनों ने मीटिंग का बायकॉट कर दिया। वो कृषि मंत्री से ही बात करना चाहते थे।


दूसरा दौरः 13 नवंबर

क्या हुआः कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के साथ मीटिंग की। 7 घंटे तक बातचीत चली, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला।


तीसरा दौरः 1 दिसंबर

क्या हुआः तीन घंटे बात हुई। सरकार ने एक्सपर्ट कमेटी बनाने का सुझाव दिया, लेकिन किसान संगठन तीनों कानून रद्द करने की मांग पर ही अड़े रहे।


चौथा दौरः 3 दिसंबर

क्या हुआः साढ़े 7 घंटे तक बातचीत चली। सरकार ने वादा किया कि MSP से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। किसानों का कहना था सरकार MSP पर गारंटी देने के साथ-साथ तीनों कानून भी रद्द करे।


5वां दौरः 5 दिसंबर

क्या हुआः सरकार MSP पर लिखित गारंटी देने को तैयार हुई, लेकिन किसानों ने साफ कहा कि कानून रद्द करने पर सरकार हां या न में जवाब दे।


6वां दौरः 8 दिसंबर

क्या हुआः भारत बंद के दिन ही गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की। अगले दिन सरकार ने 22 पेज का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान संगठनों ने इसे ठुकरा दिया।


7वां दौर: 30 दिसंबर

क्या हुआ: नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के 40 प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। दो मुद्दों पर मतभेद कायम, लेकिन दो पर रजामंदी बनी।


8वां दौर: 4 जनवरी

क्या हुआ: 4 घंटे चली बैठक में किसान कानून वापसी की मांग पर अड़े रहे। मीटिंग खत्म होने के बाद कृषि मंत्री ने कहा कि ताली दोनों हाथों से बजती है।


9वां दौर: 8 जनवरी

क्या हुआ: बातचीत बेनतीजा रही। किसानों ने बैठक में तल्ख रुख अपनाया। बैठक में किसान नेताओं ने पोस्टर भी लगाए, जिन पर गुरुमुखी में लिखा था- मरेंगे या जीतेंगे। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी माना कि 50% मुद्दों पर मामला अटका हुआ है।

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