अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़े और चौंकाने वाले फैसले में पेंटागन को परमाणु हथियारों का परीक्षण तुरंत शुरू करने का आदेश दिया है। यह कदम 30 साल के अंतराल के बाद उठाया जा रहा है, क्योंकि अमेरिका ने आखिरी बार 1992 में नेवादा में परमाणु परीक्षण किया था और ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर इस आदेश की घोषणा करते हुए कहा कि अन्य देशों द्वारा किए जा रहे परीक्षणों को देखते हुए अमेरिका को भी बराबरी के आधार पर जल्द से जल्द अपने परमाणु हथियारों का परीक्षण शुरू करना चाहिए। इस घोषणा ने वैश्विक कूटनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। है और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक नया मोड़ ला दिया है।
ट्रंप के इस आदेश की टाइमिंग को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं और यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब ट्रंप ने दक्षिण कोरिया में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी। इसके अलावा, रूस ने हाल ही में अपने परमाणु हथियारों का अभ्यास किया है, जिसमें इंटरकांटिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइलों (ICBM) का सफल परीक्षण शामिल है। वैश्विक भू-राजनीतिक अस्थिरता के इस माहौल में ट्रंप का यह फैसला तनाव को और बढ़ा सकता है और विशेषज्ञ इसे एक रणनीतिक चाल या फिर रूस और चीन की बढ़ती परमाणु क्षमताओं के प्रति अमेरिका की चिंता के रूप में देख रहे हैं। ट्रंप ने दावा किया है कि अमेरिका के पास दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं, हालांकि 'इंटरनेशनल कैंपेन टू एबॉलिश। न्यूक्लियर वेपंस' के अनुसार रूस के पास लगभग 5,500 से अधिक परमाणु वारहेड हैं, जबकि अमेरिका के पास लगभग 5,044 हैं।
पुतिन का परमाणु अभ्यास और ट्रंप की प्रतिक्रिया
हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी सेना को परमाणु हमले का अभ्यास करने का निर्देश दिया था। इस अभ्यास के तहत रूस ने अपनी परमाणु जिम्मेदारी संभालने वाली सेना द्वारा अमेरिका पर हमला करने में सक्षम ICBM 'यार्स' का प्लेसत्स्क में परीक्षण किया था, जबकि दूसरी ICBM 'सिनेवा' का परीक्षण बैरेंट्स सागर में पनडुब्बी से दागकर किया गया था। इसके अतिरिक्त, रूस ने परमाणु हमले में सक्षम बमवर्षक विमान टीयू-95 से लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल दागने का भी परीक्षण किया। इन परीक्षणों पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्रंप ने पुतिन को नसीहत दी थी कि उनका मिसाइल परीक्षण “उचित नहीं” है और उन्हें “युद्ध समाप्त करने पर ध्यान देना चाहिए। ” हालांकि, अब ट्रंप का अपना परमाणु परीक्षण का आदेश उनकी पिछली टिप्पणी के विपरीत प्रतीत होता है।
चीन की बढ़ती परमाणु क्षमता
चीन भी तेजी से अपनी परमाणु क्षमताओं का विस्तार कर रहा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि चीन का परमाणु शस्त्रागार 2030 तक 1,000 हथियारों तक पहुंच सकता है। चीन ने 1964 में अपना पहला परमाणु बम सफलतापूर्वक विस्फोट किया था और जुलाई 1996 में अपना अंतिम परीक्षण किया। वर्तमान में, चीन के पास लगभग 600 परमाणु हथियार होने का अनुमान है, और इस संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। अमेरिका का यह कदम चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति और परमाणु आधुनिकीकरण के प्रति भी एक प्रतिक्रिया हो सकती है, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन और वैश्विक चिंता
ट्रंप का परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने का निर्देश न्यूक्लियर नॉन-प्रोलिफरेशन ट्रीटी (NPT) का उल्लंघन हो सकता है, क्योंकि अमेरिका ने 1992 में परमाणु परीक्षण रोकने का ऐलान किया था। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने पहले ही चेतावनी दी है कि इस। तरह का नया परमाणु परीक्षण वैश्विक हथियारों की दौड़ को भड़का सकता है। डेमोक्रेटिक सीनेटर एलिजाबेथ वॉरेन ने ट्रंप के आदेश पर ट्वीट किया कि ट्रंप परमाणु युद्ध को खिलौना बना रहे हैं, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। विश्लेषकों का मानना है कि रूस के नए हथियार परीक्षणों और अमेरिका के इस जवाबी कदम से वैश्विक शांति प्रयासों को गंभीर झटका लग सकता है और यह देखना होगा कि यह फैसला अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा कैसे स्वीकार किया जाता है और इसके क्या दीर्घकालिक परिणाम होते हैं।