- भारत,
- 03-Oct-2025 07:20 AM IST
Donald Trump News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दुनियाभर के देशों पर टैरिफ लगाने के फैसले ने वैश्विक व्यापार को प्रभावित किया है, लेकिन अब इसका असर अमेरिका की अपनी अर्थव्यवस्था पर भी दिखाई दे रहा है। ट्रंप भले ही दावा करें कि उनके टैरिफ देशहित में हैं, लेकिन यह नीति अब अमेरिकी कर्मचारियों और सरकारी कामकाज पर भारी पड़ रही है। अमेरिका में सरकारी शटडाउन की स्थिति उत्पन्न हो गई है, क्योंकि रिपब्लिकन और डेमोक्रेट सांसद बजट पर सहमति नहीं बना पाए। अक्टूबर 2025 से सरकारी कामकाज ठप हो गया है, जिसका असर हवाई यात्रा से लेकर राष्ट्रीय उद्यानों और चिड़ियाघरों तक, हर क्षेत्र पर पड़ रहा है।
शटडाउन का सरकारी कर्मचारियों पर प्रभाव
इस शटडाउन से सबसे ज्यादा नुकसान सरकारी कर्मचारियों को हुआ है। लगभग 40% यानी साढ़े सात लाख कर्मचारी बिना वेतन के घर बैठने को मजबूर हैं। सुरक्षा, सीमा प्रबंधन, अस्पतालों और एयर ट्रैफिक कंट्रोल जैसे आवश्यक सेवाओं में लगे कर्मचारी काम तो कर रहे हैं, लेकिन उन्हें वेतन शटडाउन खत्म होने के बाद ही मिलेगा। पिछले शटडाउन (2018-19) में कई कर्मचारियों ने अस्थायी नौकरियां तक की थीं, और इस बार भी ऐसी स्थिति बन सकती है।
शटडाउन क्या है?
शटडाउन तब होता है, जब अमेरिकी सीनेट से वार्षिक फंडिंग बिल पास नहीं हो पाता। इसके चलते सरकार को गैर-जरूरी खर्च रोकने पड़ते हैं, जिससे कई सरकारी सेवाएं बंद हो जाती हैं। इसका असर सोशल सिक्योरिटी, हवाई यात्रा, और अन्य सेवाओं पर पड़ता है।
शटडाउन की वजह
इस बार का गतिरोध हेल्थकेयर सब्सिडी और मेडिकेड फंडिंग को लेकर है। ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी मेडिकेड में कटौती चाहती है, जबकि डेमोक्रेट्स सब्सिडी बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। डेमोक्रेट्स ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे फंडिंग बिल को मंजूरी नहीं देंगे।
फंडिंग बिल क्यों नहीं पास हुआ?
सीनेट में फंडिंग बिल पास करने के लिए 60 वोट चाहिए थे, लेकिन रिपब्लिकन को केवल 55 वोट मिले, जबकि 47 वोट विरोध में पड़े। सीनेट में 53 रिपब्लिकन, 47 डेमोक्रेट्स और 2 निर्दलीय सांसद हैं। इस असफलता के चलते बिल पास नहीं हो सका। इससे पहले 2018 में भी ट्रंप प्रशासन को अमेरिका-मैक्सिको दीवार के लिए फंडिंग न मिलने पर 35 दिनों तक शटडाउन झेलना पड़ा था।
शटडाउन का विभिन्न क्षेत्रों पर असर
रक्षा और स्वास्थ्य विभाग
रक्षा विभाग में 3.34 लाख कर्मचारियों को फर्लो पर भेजा गया है, जबकि 4 लाख कर्मचारी ड्यूटी पर हैं। स्वास्थ्य विभाग में 32 हजार से अधिक कर्मचारी छुट्टी पर हैं। वाणिज्य विभाग, विदेश मंत्रालय और नासा के 15 हजार से अधिक कर्मचारी भी प्रभावित हैं।
हवाई यात्रा
हवाई यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। TSA एजेंट और एयर ट्रैफिक कंट्रोलर बिना वेतन काम कर रहे हैं। 2018-19 के शटडाउन में कर्मचारियों की अनुपस्थिति के कारण उड़ानें रद्द हुई थीं और यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ा था। इस बार भी ऐसा होने की आशंका है। पासपोर्ट प्रोसेसिंग में भी देरी हो रही है।
राष्ट्रीय उद्यान और संग्रहालय
राष्ट्रीय उद्यानों और संग्रहालयों में स्टाफ की कमी से तोड़फोड़ और गंदगी की घटनाएं बढ़ सकती हैं। स्मिथसोनियन संस्थान और नेशनल ज़ू 6 अक्टूबर तक खुले रहेंगे, लेकिन पांडा वेबकैम जैसी सेवाएं बंद हो गई हैं।
स्वास्थ्य और कल्याणकारी योजनाएं
मेडिकेयर और मेडिकेड जैसी योजनाएं फिलहाल चल रही हैं, लेकिन कर्मचारी की कमी से सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। WIC और SNAP जैसी योजनाएं भी लंबे शटडाउन में संकट में पड़ सकती हैं। FEMA का राहत कोष भी खतरे में है।
वैज्ञानिक अनुसंधान
CDC और NIH जैसे संस्थानों में कर्मचारियों की छटनी से वैज्ञानिक अनुसंधान रुक सकता है।
डाक सेवा
अमेरिकी डाक सेवा अप्रभावित रहेगी, क्योंकि यह अपने राजस्व से चलती है।
सांसदों का वेतन सुरक्षित
शटडाउन के दौरान लाखों कर्मचारी बिना वेतन के हैं, लेकिन संविधान के तहत सांसदों का वेतन जारी रहेगा, जिसकी आलोचना हो रही है।
वैश्विक बाजारों पर प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि शटडाउन का अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर सीमित असर होगा। डॉलर के कमजोर होने से भारत जैसे उभरते बाजारों को फायदा हो सकता है। निवेशक ऐसे बाजारों की ओर आकर्षित होंगे जो इस संकट से अछूते हैं। कुल मिलाकर, यह शटडाउन वैश्विक बाजारों के लिए बड़ा झटका नहीं है।
