हरियाणा / मानसून की बेरुखी, देशभर में मणिपुर के बाद हरियाणा दूसरा राज्य, जहां सबसे कम बरसात

Dainik Bhaskar : Sep 01, 2019, 08:01 AM
 हरियाणा. अगस्त माह में पिछले छह साल से कम बरसात का जो सिलसिला चल रहा था, अबकी बार भी वह जारी रहा। सामान्य से कम बरसात होने के कारण भू-जल का स्तर और नीचे जा सकता है। पहाड़ों में हुई बरसात से यमुना नदी में दो दिनों तक 8.28 लाख क्यूसेक पानी तो चला, लेकिन यह तेजी से दिल्ली होते हुए आगे निकल गया।

प्रदेश में अगस्त में औसतन 357.6 एमएम बरसात होती है, लेकिन अबकी बार यह आंकड़ा केवल 233.5 एमएम तक ही पहुंच पाया। यानी सामान्य से 35 फीसदी कम बरसात हुई है, जबकि प्रदेश में 30 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की सिंचाई और भू-जल स्तर को ऊपर लाने के लिए इसी महीने में पानी की सख्त दरकार होती है। वर्ष 2014 से एक बार भी ऐसी स्थिति नहीं रही, जब अगस्त में सामान्य या सामान्य से अधिक बरसात हुई हो। हिसार में दिन का पारा शनिवार को 37.4 डिग्री पार कर गया। आईएमडी के अनुसार चार सितंबर से प्रदेश में फिर बरसात का दौर शुरू होने की संभावना है।

भू-जल भी नीचे की ओर खिसक रहा

पिछले पांच साल में हरियाणा में 2.20 मीटर पानी नीचे चला गया है। सर्वाधिक गंभीर स्थिति महेंद्रगढ़ की है, जहां भू-जल 48.54 मीटर नीचे जा चुका है।

अब माॅनसून का आखिरी माह

सितंबर के आखिरी सप्ताह में हरियाणा से माॅनसून कभी भी विदाई ले सकता है। ऐसे में अब मानसून का यह आखिरी महीना है। बहुत कम बार ऐसा होता है कि अक्टूबर के प्रथम सप्ताह तक माॅनसून टिक जाता है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार अब जितनी भी देरी तक माॅनसून टिकेगा प्रदेश में फसलों के लिए नुकसानदायक होगा, क्योंकि प्रदेश में करीब 13 लाख हेक्टेयर में धान की फसल है और जो फसल अगेती है, वह निशार की स्टेज पर है। जबकि जिन फसलों में फूल आ रहा है, उसमें भी तेज बरसात या लंबी चलने वाली बरसात नुकसान दे सकती है।

मरूस्थल में मेहरबान, हरियाणा से नाखुश

राजस्थान में 28 अगस्त तक सामान्य से 31 फीसदी अधिक बरसात दर्ज की गई है। वहीं हरियाणा में सामान्य से 33 फीसदी कम रही। राजस्थान में एक जून से 28 अगस्त तक 446 एमएम बरसात हुई है, जबकि हरियाणा में यह आंकड़ा 232 एमएम तक ही पहुंच पाया है। वहीं समूचे उत्तर भारत में हरियाणा में सबसे कम बरसात हुई है। जबकि देश में हरियाणा ऐसा दूसरा राज्य है, जहां सबसे कम बरसात आंकी गई है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

जब तक तीन से चार दिन तक लगातार बरसात नहीं होती, तब तक पानी जमीन के अंदर पूरी तरह से नहीं जाता। रिमझिम बरसात से भी इनपुट बढ़ता है। यमुना में ही आठ लाख क्यूसेक पानी दो दिन में बह गया। सावन या भादो की झड़ी से पहले खूब भू-जल स्तर बढ़ता था।  -डॉ. अरविंद बिश्नोई, पूर्व चीफ हाईड्राेलाजिस्ट हरियाणा।

अबकी बार माॅनसून से अगस्त महीने में सामान्य से 35 फीसदी कम बरसात हुई है। हरियाणा में माॅनसून पूरी तरह से सक्रिय नहीं हो पाया। अभी सितंबर में कुछ बरसात हो सकती हैं।

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