अमेरिकी संसद में एक महत्वपूर्ण सुनवाई के दौरान, अमेरिकी प्रतिनिधि सिडनी कामलागर-डोव ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत के प्रति अपनाई गई नीतियों की कड़ी निंदा की और उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हाल ही में भारत यात्रा के दौरान ली गई एक तस्वीर को प्रस्तुत करते हुए अपनी बात रखी। डोव ने स्पष्ट रूप से कहा कि ट्रंप की नीतियां अमेरिका के लिए 'अपना ही नुकसान' साबित होंगी और दबाव बनाने वाले साझेदार होने की कीमत चुकानी पड़ती है। उन्होंने इस तस्वीर को 'हज़ार शब्दों के बराबर' बताया, जो भारत और रूस के बीच बढ़ती निकटता को दर्शाता है।
ट्रंप की नीतियों का भारत-अमेरिका संबंधों पर प्रभाव
सिडनी कामलागर-डोव ने डोनाल्ड ट्रंप पर तीखा हमला करते हुए कहा कि अमेरिकी रणनीतिक साझेदारों को उनके शत्रुओं की गोद में धकेलने से नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलता। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका को इस प्रशासन द्वारा अमेरिका-भारत साझेदारी को पहुंचाए गए नुकसान को कम करने और उस सहयोग को फिर से स्थापित करने के लिए अत्यंत तत्परता से कदम उठाने होंगे, जो अमेरिकी समृद्धि, सुरक्षा और वैश्विक नेतृत्व के लिए आवश्यक है। ये टिप्पणियां प्रतिनिधि सभा की विदेश मामलों की दक्षिण और मध्य एशिया उपसमिति की 'अमेरिका-भारत रणनीतिक। साझेदारी: एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुरक्षित करना' शीर्षक वाली सुनवाई में की गईं।
बाइडेन प्रशासन की विरासत का विनाश
डोव ने आगे बताया कि जब ट्रंप ने इस साल की शुरुआत में राष्ट्रपति का पदभार संभाला, तो बाइडेन प्रशासन ने उन्हें अपने चरम पर पहुंचे द्विपक्षीय संबंध सौंपे थे और उन्होंने कहा कि ये कठिन परिश्रम से हासिल की गई उपलब्धियां थीं और हमारे दोनों देशों के रणनीतिक अनुशासन का परिणाम थीं। हालांकि, ट्रंप की व्यक्तिगत शिकायतों की पूर्ति के लिए और हमारे राष्ट्रीय हितों की कीमत पर, अमेरिकियों द्वारा दशकों से बनाई गई सारी पूंजी को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया और यह एक गंभीर आरोप है जो दर्शाता है कि कैसे व्यक्तिगत हित राष्ट्रीय हितों पर हावी हो सकते हैं।
नोबेल शांति पुरस्कार की सनक और भारत को खोना
सिडनी कामलागर-डोव ने ट्रंप की आलोचना करते हुए कहा कि भारत के साथ अमेरिका के द्विपक्षीय रिश्ते और संबंध तब तक नहीं सुधरेंगे, जब तक ट्रंप अपना रुख नहीं बदलते और उन्होंने भविष्यवाणी की कि ट्रंप वह अमेरिकी राष्ट्रपति होंगे जिन्होंने भारत को खो दिया, या अधिक सटीक रूप से कहें तो, जिन्होंने रूसी साम्राज्य को पुनर्जीवित करते हुए, ट्रांसअटलांटिक गठबंधन को तोड़ते हुए और लैटिन अमेरिका को धमकाते हुए भारत को अमेरिका से दूर भगा दिया। डोव ने इसे ऐसी विरासत नहीं बताया जिस पर किसी भी राष्ट्रपति को गर्व होना चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ट्रंप की भारत के प्रति शत्रुता का संबंध उनके दीर्घकालिक रणनीतिक हितों से नहीं, बल्कि नोबेल शांति पुरस्कार पाने की उनकी व्यक्तिगत सनक से है, जिसे उन्होंने हास्यास्पद लेकिन हानिकारक बताया।
टैरिफ और वीजा नियमों पर हमला
डोव ने ट्रंप प्रशासन की व्यापार नीतियों की भी आलोचना की। उन्होंने भारत को 50% टैरिफ के लिए निशाना बनाने को निरर्थक बताया, जो। किसी भी देश पर लगाए गए सबसे ऊंचे टैरिफ में से एक है। उन्होंने कहा कि इस नीति ने दोनों देशों के बीच नेता-स्तरीय बैठकों को प्रभावी ढंग से बाधित कर दिया है। इसके अलावा, उन्होंने भारत के नाम पर रूसी तेल के आयात पर लगाए गए 25% टैरिफ को भी निरर्थक करार दिया, खासकर तब जब स्टीव विटकॉफ कुछ व्यावसायिक निवेश के बदले यूक्रेन को बेचने के लिए पुतिन के सलाहकारों के साथ पर्दे के पीछे सौदे कर रहे थे। टैरिफ के अलावा, ट्रंप ने अमेरिका और भारत के बीच लोगों के आपसी संबंधों पर भी हमला किया है। एच-1बी वीजा पर लगने वाला 100,000 डॉलर का शुल्क, जिसका 70% हिस्सा भारतीयों के पास है, संयुक्त। राज्य अमेरिका में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा और कला के क्षेत्र में भारतीयों के अविश्वसनीय योगदान का अपमान है। ये सभी टिप्पणियां हाउस फॉरेन अफेयर्स साउथ एंड सेंट्रल एशिया की 'अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी: एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक को सुरक्षित करना' शीर्षक वाली सुनवाई में की गईं, जो अमेरिका-भारत संबंधों की वर्तमान स्थिति पर गहन चिंता व्यक्त करती हैं।