- भारत,
- 30-May-2025 09:38 PM IST
Donald Trump: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति पद पर दूसरी वापसी को लेकर जबरदस्त राजनीतिक और सामाजिक हलचल थी। उम्मीद की जा रही थी कि वह पहले से अधिक दृढ़ता और आक्रामकता के साथ फैसले लेंगे। लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट निकली। राष्ट्रपति पद की दूसरी पारी शुरू हुए अभी केवल 130 दिन ही हुए हैं और इस अल्प अवधि में ही उनके कई प्रमुख फैसले अमेरिकी अदालतों से टकराकर ठहर गए हैं।
अदालतों से लगातार झटके
हाल ही में ट्रंप प्रशासन को मैनहट्टन की फेडरल कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड से एक बड़ा झटका लगा, जहां उनके द्वारा दिए गए टैरिफ आदेश को असंवैधानिक करार देते हुए उस पर स्थायी रोक लगा दी गई। कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि राष्ट्रपति ने संविधान की निर्धारित सीमाओं से बाहर जाकर यह फैसला लिया है। हालांकि, इस आदेश के खिलाफ ट्रंप प्रशासन ने फेडरल सर्किट कोर्ट में अपील की, जहां से उन्हें अस्थायी राहत मिली है, लेकिन कानूनी लड़ाई अभी भी जारी है।
180 से अधिक बार कोर्ट ने लगाई लगाम
ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही अमेरिकी न्यायपालिका उनके फैसलों पर नजर रखे हुए है। आंकड़ों के मुताबिक, अब तक कम से कम 180 बार अदालतों ने ट्रंप के कार्यकारी आदेशों और नीतियों पर अस्थायी या स्थायी रोक लगाई है। यही नहीं, ट्रंप स्वयं भी अब तक 11 प्रमुख फैसले वापस ले चुके हैं। इन आदेशों में जन्मसिद्ध नागरिकता समाप्त करना, संघीय कर्मचारियों की सामूहिक छंटनी, और विदेशी सहायता को रोकना जैसे विवादास्पद निर्णय शामिल हैं।
जल्दबाज़ी बन रही है सबसे बड़ी कमजोरी
विशेषज्ञों की मानें तो ट्रंप प्रशासन की सबसे बड़ी कमजोरी उनकी जल्दबाज़ी है। कई महत्वपूर्ण नीतियां बिना पर्याप्त कानूनी समीक्षा और तैयारी के लागू की जा रही हैं, जिससे अदालतों में बार-बार चुनौती मिल रही है। उदाहरण के लिए, प्रोजेक्ट 2025 जैसे प्रस्तावों में कानूनी ढांचे में बड़े बदलाव की कोशिश की गई, जिससे विरोध की लहर और कानूनी अड़चनें उत्पन्न हुईं।
कुछ प्रमुख फैसलों पर लगी कोर्ट की रोक
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वॉयस ऑफ अमेरिका को बंद करने का आदेश – कोलोराडो कोर्ट ने असंवैधानिक ठहराया।
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पर्यावरण नियमों में ढील – कैलिफोर्निया कोर्ट ने क्लीन एयर एक्ट के उल्लंघन पर रोक लगाई।
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गैर-अमेरिकियों के वोटिंग अधिकार पर रोक – वॉशिंगटन कोर्ट ने खारिज किया।
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ट्रांसजेंडर हेल्थ राइट्स को सीमित करना – न्यूयॉर्क कोर्ट ने भेदभावपूर्ण बताकर निरस्त किया।
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विदेशी फंडिंग पर नियंत्रण – ट्रंप द्वारा नियुक्त जजों तक ने आपत्ति जताई।
खुद ही ले रहे हैं यू-टर्न
ट्रंप केवल अदालतों की वजह से ही नहीं, बल्कि जनदबाव और राजनीतिक विरोध के चलते भी कई फैसलों से पीछे हट चुके हैं। उन्होंने बर्थ राइट सिटिजनशिप को समाप्त करने की बात की थी, लेकिन आलोचना के बाद चुप्पी साध ली। इबोला रोकथाम फंडिंग को रद्द किया, मगर बाद में पुनः बहाल करना पड़ा। मैक्सिको-कनाडा व्यापार समझौते को रद्द करने की धमकी दी, लेकिन व्यापारिक जगत के दबाव में इसे टालना पड़ा। छात्रों के वीज़ा नियम बदलने के आदेश को हार्वर्ड और एमआईटी की कानूनी चुनौती के बाद रोकना पड़ा।