US-Nepal News / US ने नेपाल का अस्थाई संरक्षित दर्जा किया खत्म, जानें ये क्या है?

अमेरिका ने नेपाल को दिया गया अस्थायी संरक्षित दर्जा (TPS) 24 जून 2025 से समाप्त करने का निर्णय लिया है। इससे अमेरिका में रह रहे लगभग 7,000 नेपाली नागरिकों को वापस लौटना पड़ सकता है। यह दर्जा 2015 के भूकंप के बाद नेपाल की अस्थिर स्थिति को देखते हुए दिया गया था।

US-Nepal News: अमेरिका ने नेपाल को दिया गया अस्थायी संरक्षित दर्जा (Temporary Protected Status – TPS) समाप्त करने का निर्णय लिया है, जिससे अमेरिका में रह रहे हजारों नेपाली नागरिकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अमेरिकी गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, यह दर्जा 24 जून 2025 को औपचारिक रूप से खत्म हो जाएगा और इसके बाद इसका विस्तार नहीं किया जाएगा। इससे लगभग 7,000 नेपाली नागरिकों को अमेरिका छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

क्यों मिला था नेपाल को TPS?

नेपाल को यह दर्जा अप्रैल 2015 में आए विनाशकारी भूकंप के बाद दिया गया था। उस प्राकृतिक आपदा में हजारों लोग मारे गए थे और देश की बुनियादी संरचना बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुई थी। ऐसे हालात में अमेरिका ने मानवीय आधार पर TPS प्रदान किया, जिससे नेपाली नागरिक अमेरिका में कानूनी रूप से रह सकें और काम कर सकें। यह सुविधा 18-18 महीने के चक्रों में नवीनीकृत होती रही है, लेकिन अब इसे समाप्त करने का निर्णय लिया गया है।

कितने लोग प्रभावित होंगे?

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में फिलहाल करीब 12,700 नेपाली नागरिकों को TPS मिला हुआ है। इनमें से 5,500 से अधिक लोग पहले ही अमेरिका में कानूनी स्थायी निवासी (Green Card Holder) बन चुके हैं। हालांकि शेष लगभग 7,000 नेपाली नागरिकों को अब वैकल्पिक कानूनी स्थिति प्राप्त करनी होगी या उन्हें अमेरिका छोड़कर नेपाल लौटना पड़ सकता है।

अमेरिका की ओर से क्या कहा गया?

अमेरिकी गृह मंत्री क्रिस्टी नोएम ने कहा कि TPS समाप्त होने के बाद नागरिकों को 60 दिनों की अतिरिक्त अवधि, यानी **5 अगस्त 2025 तक猟, दी जाएगी ताकि वे अपनी स्थिति की समीक्षा कर सकें या स्वदेश लौटने की तैयारी कर सकें। उन्होंने कहा कि नेपाल में अब हालात सामान्य हो चुके हैं, जिससे TPS बनाए रखने की मूलभूत आवश्यकता खत्म हो गई है।

मानवाधिकार संगठनों की चिंता

हालांकि, इस निर्णय की कई मानवाधिकार संगठनों और प्रवासी अधिकार समूहों ने आलोचना की है। उनका कहना है कि नेपाल में भले ही स्थिति भूकंप जैसी आपातकालीन नहीं रही हो, लेकिन सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां अभी भी गंभीर हैं। अमेरिका में रहने वाले नेपाली नागरिक कई वर्षों से स्थानीय समाज और अर्थव्यवस्था का हिस्सा बन चुके हैं, और उन्हें अचानक देश छोड़ने के लिए कहना एक मानवीय संकट पैदा कर सकता है।