- भारत,
- 15-Sep-2025 06:33 PM IST
Nepal New PM: नेपाल की राजनीति में एक अभूतपूर्व मोड़ आया है, जहां जनरेशन-जेड के युवा प्रदर्शनकारियों ने गेमिंग चैट ऐप डिस्कॉर्ड पर एक अनौपचारिक सर्वे के जरिए पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री चुना। यह घटना न केवल डिजिटल युग की राजनीतिक क्रांति का प्रतीक है, बल्कि सवाल भी खड़े कर रही है कि क्या 7,713 वोटों वाला यह 'गेम' देश के भविष्य को आकार दे सकता है? केपी शर्मा ओली सरकार के इस्तीफे के बाद यह चयन राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल द्वारा कार्की की नियुक्ति का आधार बना, लेकिन अब विरोध की लहरें उठने लगी हैं। आइए, इस अनोखी कहानी को विस्तार से समझें।
ओली सरकार का पतन और डिस्कॉर्ड का उदय: युवाओं की डिजिटल विद्रोह
नेपाल में हालिया अशांति की शुरुआत 26 सोशल मीडिया ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने से हुई, जिसे भ्रष्टाचार और 'नेपो किड्स' (राजनीतिक परिवारों के वंशजों) की फिजूलखर्ची के खिलाफ युवाओं का गुस्सा फूट पड़ा। प्रदर्शन हिंसक हो गए, जिसमें कम से कम 51 लोगों की मौत और 1,300 से अधिक घायल हुए। संसद भवन और मंत्रियों के आवासों में आगजनी के बाद ओली को इस्तीफा देना पड़ा।
इस संकट में सेना और राष्ट्रपति ने युवा नेताओं से सलाह मांगी, जो डिस्कॉर्ड पर संगठित हो चुके थे। डिस्कॉर्ड, जो मूल रूप से 200 मिलियन यूजर्स वाला अमेरिकी गेमिंग प्लेटफॉर्म है, यहां राजनीतिक मंच बन गया। एक सर्वर पर 1,45,000 से अधिक सदस्यों ने बहस की, और कई पोल्स के जरिए अंतरिम नेता का चयन किया गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, ओली के इस्तीफे के तुरंत बाद जेन-जेड प्रतिनिधियों ने सर्वे शुरू किया, जिसमें सुशीला कार्की के अलावा धरान के मेयर हरका सम्पाग (हड़का सम्पाग), सामाजिक उद्यमी महावीर पुन, युवा राजनीतिज्ञ सागर ढकाल और अन्य नाम शामिल थे। 'रैंडम नेपाली' विकल्प भी था, जो किसी भी योग्य नेपाली को दर्शाता था।
7,713 वोटों का 'गेमिंग' नतीजा: कार्की टॉप पर
सर्वे में कुल 7,713 वोट पड़े, जिसमें कार्की को 50% से अधिक समर्थन मिला – यानी 3,833 वोट। यह आंकड़ा छोटा लग सकता है, क्योंकि नेपाल की वयस्क आबादी 2.96 करोड़ है, लेकिन प्रदर्शनकारियों के लिए यह प्रतिनिधि था। दूसरा स्थान 'रैंडम नेपाली' को मिला, जबकि सागर ढकाल को 1,000 से ज्यादा वोट हासिल हुए। हरका सम्पाग चौथे और महावीर पुन पांचवें स्थान पर रहे।
डिस्कॉर्ड मॉडरेटर शास्वत लामिछाने ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि यह सर्वे केवल सुझाव के लिए था, ताकि चुनावों (5 मार्च 2026) तक अंतरिम सरकार चले। जेन-जेड प्रतिनिधियों ने इस नतीजे को सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल और राष्ट्रपति पौडेल के साथ साझा किया। नतीजतन, 12 सितंबर को 73 वर्षीय कार्की ने शपथ ली, जो नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। उनकी अखंडता और भ्रष्टाचार विरोधी छवि (जिन्होंने 2016 में मुख्य न्यायाधीश बनकर पुलिस प्रमुख चयन में राजनीतिक हस्तक्षेप रोका था) ने युवाओं को आकर्षित किया।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कार्की को बधाई दी, नेपाल को भारत का मित्र बताते हुए युवाओं की शहर सफाई की सराहना की।
सर्वे पर दो बड़े सवाल: वैधता और गोपनीयता
यह अनोखा चयन विवादों से घिरा है। पहला सवाल: डिस्कॉर्ड पर यह पोल किसने और किस अधिकार से डाला? प्लेटफॉर्म गेमिंग के लिए जाना जाता है, न कि राजनीतिक मतदान के लिए। ट्रोल्स की समस्या भी आई, जिससे सर्वर को नियंत्रित करना मुश्किल हुआ। दूसरा, वोटर कौन थे? डिस्कॉर्ड यूजर्स का लोकेशन गोपनीय रहता है, इसलिए क्या केवल नेपाली युवाओं ने भाग लिया या विदेशी/ट्रोल्स शामिल थे? रेडिट पर चर्चाओं में कुछ यूजर्स ने इसे 'हास्यास्पद' बताया, जबकि अन्य ने जेन-जेड की हिम्मत की तारीफ की।
विशेषज्ञों का कहना है कि नेपाल के संविधान में आपातकालीन प्रावधान अंतरिम नेता के लिए अस्पष्ट है, इसलिए डिस्कॉर्ड का प्रभाव सेना की मध्यस्थता से ही संभव हुआ। लेकिन क्या यह लोकतंत्र का नया रूप है या डिजिटल लोकलुभावनवाद?
विरोध की शुरुआत: सहयोगी ही बने विरोधी
कार्की का कार्यकाल शुरू होते ही विरोध शुरू हो गया। नेपाली मीडिया के अनुसार, सुडान गुरुंग और उनकी टीम – जो प्रदर्शनों में अहम भूमिका निभा चुकी थी – अब प्रधानमंत्री आवास के बाहर धरना दे रही है। रविवार- सोमवार को हुए प्रदर्शनों में गुरुंग ने आरोप लगाया कि कार्की मनमाने ढंग से फैसले ले रही हैं, खासकर कैबिनेट विस्तार में। युवा कार्यकर्ता पूछ रहे हैं कि क्या कार्की राजनीतिक दबावों से स्वतंत्र रहेंगी? एक जेन-जेड सदस्य ने कहा, "उनकी राजनीतिक संबंधों के कारण स्वतंत्रता पर सवाल है।"
कार्की ने शपथ के बाद कहा, "मैं सत्ता का स्वाद चखने नहीं आई, बल्कि जिम्मेदारी निभाने आई हूं।" लेकिन तीन दिनों में ही यह विरोध अंतरिम सरकार की स्थिरता पर सवाल खड़े कर रहा है।
निष्कर्ष: डिजिटल क्रांति का भविष्य
सुशीला कार्की का चयन नेपाल में महिला सशक्तिकरण और युवा शक्ति का प्रतीक है, लेकिन यह भी चेतावनी देता है कि सोशल मीडिया पर निर्भर निर्णय कितने विश्वसनीय हैं। मार्च 2026 के चुनाव तक कार्की को भ्रष्टाचार सुधार और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करनी होगी। क्या यह 'डिस्कॉर्ड क्रांति' वैश्विक राजनीति को बदल देगी, या महज एक फ्लैश इन द पैन साबित होगी? समय बताएगा, लेकिन नेपाल के युवा निश्चित रूप से इतिहास रच चुके हैं।
