दुनिया / अमेरिका, ब्रिटेन ने UNSC में उठाया हॉन्ग-कॉन्ग का मुद्दा, चीन ने मिनियापोलिस पर घेरा

NavBharat Times : May 30, 2020, 05:00 PM
संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में एक आपात चर्चा में अमेरिका और ब्रिटेन ने हॉन्ग-कॉन्ग पर चीन के विवादास्पद सुरक्षा कानून का मुद्दा उठाया। इससे नाराज चीन ने संयुक्त राष्ट्र को सलाह दे डाली कि उसे अमेरिका के मिनियापोलिस में हो रही हिंसा पर ध्यान देना चाहिए। चीन ने आरोप लगाया कि वहां प्रदर्शनकारियों पर अमेरिका अत्यधिक बल प्रयोग कर रहा है और अश्वेत समुदायों के खिलाफ भेदभाव कर रहा है।

अमेरिका और ब्रिटेन ने शुक्रवार को आपात चर्चा की मांग की थी जिसके बाद 15 सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद ने हॉन्ग-कॉन्ग के मुद्दे पर अनौपचारिक ऑनलाइन बैठक की। संयुक्त राष्ट्र के लिए अमेरिकी राजदूत केली क्राफ्ट ने कहा, 'आज मैंने परिषद से एक सवाल किया- क्या हम स्वतंत्रता पसंद करने वाले दूसरे लोगों की तरह हॉन्ग-कॉन्ग के लाखों नागरिकों के मानवाधिकारों और गरिमापूर्ण जीवन जीने के उनके तरीके का बचाव करने के लिए कोई सम्मानजनक रुख अपनाने जा रहे हैं या हम चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने और हॉन्ग-कॉन्ग के लोगों पर अपनी इच्छा को थोपने की अनुमति देंगे जो अपनी स्वतंत्रता और जीवन की अपनी शैली को संरक्षित करने के लिए हमारी ओर देख रहे हैं?'

चीन की दो टूक, सुरक्षा परिषद से नहीं लेना-देना

क्राफ्ट ने कहा कि अमेरिका दृढ़ है और संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों से आह्वान करता है कि वे चीन से अपने निर्णय को वापस लेने और इस संस्था और हॉन्ग-कॉन्ग की जनता के प्रति अपनी अंतरराष्ट्रीय कानूनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने की मांग मे शामिल हों। वहीं पेइचिंग ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि विधेयक को पारित करना पूरी तरह से चीन का आंतरिक मसला है, इसका सुरक्षा परिषद के कामकाज और अधिकारक्षेत्र से कोई लेना-देना नहीं है।


इस बार केवल समुद्र में होगा युद्धाभ्यास

प्रशांत महासागर में तैनात अमेरिकी नौसेनिक बेड़े के कमांडर ने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण इस बार यह अभ्यास केवल समुद्र में ही आयोजित होगा। अलग-अलग देशों के सैनिकों के आपसी मेलजोल को रोकने के लिए और सोशल डिस्टेंसिंग को बढ़ाने के लिए यह फैसला लिया गया है। इस दौरान किसी भी प्रकार का कोई सेमिनार भी आयोजित नहीं किया जाएगा।

25 देशों की नौसेनाओं को निमंत्रण

अमेरिकी कमांडर ने कहा कि वह 2018 में इस नौसैनिक अभ्यास में हिस्सा लेने वाले देशों को फिर से आमंत्रित कर रहे हैं। बता दें कि दो साल के अंतराल पर होने वाले इस नौसैनिक अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, ब्रुनेई, कनाडा, चिली, कोलंबिया, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इजराइल, जापान, मलेशिया, मैक्सिको, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, पेरू, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस, सिंगापुर, श्रीलंका, थाईलैंड, टोंगा, यूनाइटेड किंगडम और वियतनाम की नौसेनाओं के शामिल होने की संभावना है।

चीन को न्यौता नहीं

साउथ चाइना सी और कोरोना वायरस को लेकर बढ़ते तनाव के कारण इस बार चीन को इस युद्धाभ्यास के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है। बता दें कि RIMPAC 2018 में चीन को न्यौता दिया गया था लेकिन बाद में अमेरिका ने इसे वापस ले लिया था।

ब्राजील और इजराइल का इनकार

ताजा जानकारी के अनुसार, ब्राजील और इजराइल ने कोरोना वायरस के कहर के कारण इस बार RIMPAC 2018 नौसैनिक अभ्यास में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है। हालांकि, दोनों देशों की नौसेनाओं ने अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है।

दमखम दिखाएंगी नौसेनाएं

इस युद्धाभ्यास में मल्टीनेशलन एंटी सबमरीन वॉर, मैरीटाइम इंटरसेप्ट ऑपरेशन, लाइव फायर-ट्रेनिंग इवेंट सहित कई प्रशिक्षण दिए जाएंगे। बताया जा रहा है कि इस दौरान प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा ले रही नौसेनाएं आपस में सहयोग को बढ़ाने को लेकर भी विशेष प्रशिक्षण सत्र आयोजित करेंगी।

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चीन ने ब्रिटेन और अमेरिका पर साधा निशाना

इसके बाद संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत झांग जुन और रूस ने अमेरिका को जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या का जिम्मेदार ठहराया। झांग ने कहा, 'हमारा मानना है कि इस मुद्दे पर वक्त बर्बाद करने के बजाए परिषद को ऐसे मामलों पर ध्यान देना चाहिए और उन पर कार्रवाई करनी चाहिए जो अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए जरूरी हैं।'

उन्होंने कहा, 'उदाहरण के तौर पर अंतराराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा पर ब्रेक्जिट का प्रभाव, अमेरिका और अन्य देशों की तरफ से लगाए गए एकतरफा प्रतिबंध, मिनियापोलिस में प्रदर्शनकारियों पर अत्यधिक बल प्रयोग, अफ्रीकी अमेरिकी युवा की हत्या और अफ्रीकी अमेरिकियों के खिलाफ नस्लीय भेदभाव । यह सूची अंतहीन हो सकती है। चीन इन मुद्दे पर आप के साथ मिल कर काम करने के लिए तैयार है।


रूस ने भी दिया चीन का साथ

चीन का समर्थन करते हुए रूस के पहले उप स्थाई प्रतिनिधि दिमित्री पोलीयांसिकी ने ट्वीट कर कहा, 'सुरक्षा परिषद में हॉन्ग-कॉन्ग का मुद्दा उठाना अमेरिका और ब्रिटेन का 'अजीब कदम' है। इसे परिषद के सदस्यों का बहुमत नहीं है। यह विभाजनकारी, द्वेषपूर्ण मुद्दा है जिसका अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा से कोई लेना देना नहीं है और ऐसे मुद्दे परिषद में नहीं लाए जाने चाहिए।'

वहीं, झांग ने कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन को हॉन्ग-कॉन्ग के मुद्दे में दखल देना तत्काल बंद करना चाहिए। इस बीच चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने मुखपत्र में कहा कि अमेरिका द्वारा हॉन्ग-कॉन्ग को दी गई कुछ व्यापारिक तरजीह को समाप्त करना चीन के आंतरिक मामले में घोर दखल है।

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