- भारत,
- 12-Dec-2025 02:32 PM IST
टैरिफ को लेकर भारत के साथ उपजे तनाव के बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक नया 'C5 सुपरक्लब' बनाने पर विचार कर रहे हैं, जिसमें भारत को एक प्रमुख शक्ति के रूप में शामिल किया जाएगा। इस कदम को अमेरिका द्वारा वैश्विक शक्ति संतुलन को फिर से साधने और प्रमुख देशों के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाने की एक कूटनीतिक पहल के रूप में देखा जा रहा है। यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक टैरिफ को लेकर कुछ मतभेद चल रहे थे, और अब ट्रंप प्रशासन इन रिश्तों को सुधारने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाना चाहता है।
C5 सुपरक्लब की अवधारणा
अमेरिकी प्रकाशन पॉलिटिको की रिपोर्ट के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप कथित तौर पर एक नया विशिष्ट 'C5' यानी 'कोर फाइव' वैश्विक शक्ति समूह बनाने पर विचार कर रहे हैं। इस प्रस्तावित समूह में संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन, भारत और जापान शामिल होंगे और यह अवधारणा मौजूदा यूरोप-प्रधान G7 और अन्य लोकतंत्र-आधारित धनी देशों के समूहों को दरकिनार कर देगी, जो केवल आर्थिक रूप से मजबूत और लोकतांत्रिक देशों को प्राथमिकता देते हैं। पॉलिटिको ने रिपोर्ट किया है कि इस नए 'हार्ड-पावर' समूह का विचार पिछले हफ्ते व्हाइट हाउस द्वारा जारी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के एक लंबे, अप्रकाशित संस्करण में सामने आया था, जो वैश्विक शक्ति संरचना में एक मौलिक बदलाव का संकेत देता है।ट्रंप के रणनीतिक उद्देश्य
ट्रंप के इस प्लान से साफ है कि वह भारत के साथ टैरिफ की वजह से बिगड़े रिश्तों को संतुलित करने के साथ ही साथ चीन और रूस के साथ भी अपने संबंधों को सुधारना चाहते हैं। इसका मुख्य लक्ष्य पूर्वी एशिया में अमेरिका की खोई हुई इमेज को फिर से सुधारना और भारत, रूस व चीन जैसे देशों के साथ दुश्मनी के आयाम को कम करना है। यह रणनीति अमेरिका को एक बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद कर सकती। है, जहां वह केवल पश्चिमी सहयोगियों पर निर्भर रहने के बजाय विभिन्न महाशक्तियों के साथ सहयोग कर सके।प्रस्तावित एजेंडा और व्हाइट हाउस का खंडन
पॉलिटिको की रिपोर्ट के अनुसार, C5 का पहला प्रस्तावित एजेंडा मध्य पूर्व में सुरक्षा, खासकर इज़रायल और सऊदी अरब के बीच संबंधों का सामान्यीकरण करना है। यह एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक क्षेत्र है जहां अमेरिका अपनी उपस्थिति और प्रभाव को बनाए रखना चाहता है। हालांकि, व्हाइट हाउस ने इस दस्तावेज़ के अस्तित्व से इनकार किया है और प्रेस सेक्रेटरी हन्नाह केली ने जोर देकर कहा कि 33 पेज की आधिकारिक योजना का कोई “वैकल्पिक, निजी या गुप्त संस्करण” नहीं है। यह खंडन इस प्रस्ताव की आधिकारिक स्थिति पर सवाल उठाता है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह विचार ट्रंप प्रशासन की सोच से मेल खाता है।विशेषज्ञों की राय और निहितार्थ
राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह विचार पूरी तरह “ट्रम्प। जैसा” है और मौजूदा व्हाइट हाउस के लिए उपयुक्त हो सकता है। बाइडेन प्रशासन में यूरोपीय मामलों की निदेशक रहीं टोरी टॉसिग ने कहा, “यह राष्ट्रपति ट्रम्प के विश्व दृष्टिकोण से पूरी तरह मेल खाता है और यह गैर-वैचारिक, मजबूत खिलाड़ियों के प्रति सहानुभूति, और क्षेत्रीय प्रभाव वाले अन्य महाशक्तियों के साथ सहयोग करने की प्रवृत्ति को दर्शाता है। ” यह दृष्टिकोण पारंपरिक अमेरिकी विदेश नीति से हटकर है, जो अक्सर लोकतांत्रिक मूल्यों और गठबंधनों पर जोर देती है।यूरोप की अनुपस्थिति और भू-राजनीतिक प्रभाव
टॉसिग ने यह भी नोट किया कि इस सैद्धांतिक C5 में यूरोप की कोई जगह नहीं है, “जिससे यूरोपीय लोगों को लगेगा कि यह प्रशासन रूस को यूरोप में अपना प्रभाव क्षेत्र रखने वाली प्रमुख शक्ति मानता है। ” पहले ट्रम्प प्रशासन में रिपब्लिकन सीनेटर टेड क्रूज़ के सहायक रहे माइकल सोबोलिक ने कहा कि C5 बनाना ट्रम्प के पहले कार्यकाल की चीन नीति से पूरी तरह उल्टा कदम होगा और पहले ट्रम्प प्रशासन ने ‘महाशक्ति प्रतिस्पर्धा’ के कॉन्सेप्ट को अपनाया था, जबकि यह नया प्रस्ताव उससे बहुत बड़ा विचलन है। यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब वॉशिंगटन में यह बहस चल रही। है कि दूसरा ट्रम्प प्रशासन विश्व व्यवस्था को कितना उलट-पुलट करना चाहता है।भारत के लिए अवसर और चुनौतियाँ
यह विचार मौजूदा G7 और G20 जैसे मंचों को बहुध्रुवीय दुनिया के लिए अपर्याप्त बताता। है और बड़ी आबादी व सैन्य-आर्थिक शक्ति वाले देशों के बीच सौदेबाजी को प्राथमिकता देता है। अमेरिका के सहयोगी इसे “तानाशाहों का वैधीकरण” मान रहे हैं, जो रूस को यूरोप से ऊपर उठाएगा और पश्चिमी एकता व नाटो की एकजुटता को कमजोर करेगा और अगर यह प्रस्ताव आगे बढ़ता है, तो भारत को एक नए वैश्विक ‘सुपरक्लब’ में स्थायी सीट मिल सकती है, जिससे उसकी वैश्विक स्थिति मजबूत होगी। हालांकि, इसके साथ यूरोप और मौजूदा लोकतांत्रिक गठबंधनों से दूरी भी बढ़ सकती है, जो भारत की विदेश नीति के लिए नई चुनौतियाँ पैदा कर सकता है।Trump administration is discussing the idea of creating alternative to G7 — Politico
— RT (@RT_com) December 11, 2025
The proposed Core 5 would unite five heavyweights:
🇺🇸 United States
🇨🇳 China
🇷🇺 Russia
🇮🇳 India
🇯🇵 Japan pic.twitter.com/pzPI2zDuxX
