- भारत,
- 20-Jul-2025 04:40 PM IST
Share Market News: जैसे-जैसे शेयर बाजार में निवेश करना आसान हुआ है, वैसे-वैसे इसके जरिए स्कैम भी बढ़ते जा रहे हैं। आए दिन भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) का डंडा बड़ी-बड़ी कंपनियों पर चलता रहता है। हाल ही में अमेरिका की जानी-मानी ग्लोबल एल्गो ट्रेडिंग कंपनी जेन स्ट्रीट का मामला सुर्खियों में रहा, जिसने फ्यूचर और ऑप्शंस की आड़ में निवेशकों को हजारों करोड़ रुपये का चूना लगाया। इसी तरह शेयर बाजार में एक और खतरनाक स्कैम 'पंप एंड डंप' स्कीम के जरिए बड़े निवेशक रिटेल निवेशकों की मेहनत की कमाई को हड़प लेते हैं। आइए, इस पंप एंड डंप स्कैम को विस्तार से समझते हैं और जानते हैं कि इससे कैसे बचा जा सकता है।
पंप एंड डंप स्कैम क्या है?
पंप एंड डंप एक प्रकार का वित्तीय फ्रॉड है, जो शेयर बाजार में लंबे समय से चल रहा है। इस स्कैम में स्कैमर किसी खास शेयर, खासकर पेनी स्टॉक्स या कम कीमत वाले शेयरों को लक्षित करते हैं। वे पहले इन शेयरों को बड़ी मात्रा में खरीदते हैं, फिर सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म्स के जरिए इनका जोर-शोर से प्रचार करते हैं। प्रचार के कारण रिटेल निवेशक इन शेयरों में निवेश करने लगते हैं, जिससे शेयर की कीमत तेजी से बढ़ती है। जैसे ही कीमत अपने चरम पर पहुंचती है, स्कैमर अपने शेयर बेचकर मुनाफा कमा लेते हैं। इसके बाद शेयर की कीमत अचानक धड़ाम हो जाती है, और छोटे निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
पंप एंड डंप स्कैम कैसे काम करता है?
पंप एंड डंप स्कैम की प्रक्रिया को निम्नलिखित चरणों में समझा जा सकता है:
पेनी स्टॉक का चयन: स्कैमर कम कीमत वाले शेयरों, जैसे 2 रुपये या 5 रुपये के शेयर, को चुनते हैं। ये शेयर अक्सर छोटी या कमजोर वित्तीय स्थिति वाली कंपनियों के होते हैं, जिनकी कीमत में हेरफेर करना आसान होता है।
बड़ी मात्रा में खरीदारी: स्कैमर इन शेयरों को लाखों की संख्या में खरीद लेते हैं। चूंकि ये शेयर सस्ते होते हैं, इसलिए कम पूंजी में भारी मात्रा में खरीदारी संभव हो पाती है।
प्रचार और हाइप: इसके बाद स्कैमर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स (जैसे इंस्टाग्राम, फेसबुक, टेलीग्राम, या व्हाट्सएप ग्रुप्स) के जरिए इन शेयरों का प्रचार शुरू करते हैं। वे झूठे दावे करते हैं, जैसे "यह कंपनी जल्द ही बड़ा मुनाफा देगी" या "यह स्टॉक 10 गुना रिटर्न दे सकता है"। इससे अनजान रिटेल निवेशक आकर्षित होते हैं।
कीमत में उछाल: जैसे-जैसे रिटेल निवेशक इन शेयरों में निवेश शुरू करते हैं, शेयर की मांग बढ़ती है और कीमत तेजी से ऊपर जाती है। उदाहरण के लिए, 2 रुपये का शेयर 10 रुपये तक पहुंच सकता है।
स्कैमर का निकलना: जब शेयर की कीमत अपने चरम पर पहुंचती है, स्कैमर अपने सारे शेयर बेच देते हैं और भारी मुनाफा कमा लेते हैं।
कीमत का धड़ाम होना: स्कैमर के शेयर बेचने के बाद मांग खत्म हो जाती है, और शेयर की कीमत तेजी से गिरकर अपनी मूल कीमत या उससे भी नीचे चली जाती है। इससे रिटेल निवेशकों को भारी नुकसान होता है।
एक उदाहरण
मान लीजिए, एक कंपनी का शेयर 2 रुपये का है। स्कैमर इस कंपनी के लाखों शेयर खरीद लेते हैं। फिर वे सोशल मीडिया पर इस शेयर को "अगला मल्टीबैगर" बताकर प्रचार करते हैं। रिटेल निवेशक, जो जल्दी मुनाफे की उम्मीद में होते हैं, इस शेयर को खरीदना शुरू करते हैं। इससे शेयर की कीमत 2 रुपये से बढ़कर 10 रुपये तक पहुंच जाती है। इस दौरान स्कैमर अपने शेयर बेचकर मोटा मुनाफा कमाते हैं। जैसे ही वे शेयर बेचते हैं, शेयर की कीमत वापस 2 रुपये या उससे भी नीचे गिर जाती है। नतीजा? रिटेल निवेशकों की मेहनत की कमाई डूब जाती है।
पंप एंड डंप स्कैम से बचने के उपाय
कंपनी की जांच करें: किसी भी शेयर में निवेश करने से पहले कंपनी के फंडामेंटल्स, जैसे उसका बिजनेस मॉडल, वित्तीय स्थिति, और मैनेजमेंट की विश्वसनीयता की जांच करें।
सोशल मीडिया के प्रचार से सावधान रहें: अगर कोई शेयर सोशल मीडिया पर अचानक बहुत चर्चा में है, तो उसकी सत्यता की जांच करें। अनजान टिप्स पर भरोसा न करें।
पेनी स्टॉक्स से दूरी: पेनी स्टॉक्स में निवेश जोखिम भरा हो सकता है। इनमें हेरफेर की संभावना ज्यादा होती है।
सेबी की गाइडलाइंस का पालन: सेबी की आधिकारिक वेबसाइट पर समय-समय पर दी जाने वाली चेतावनियों और सलाह को पढ़ें।
वित्तीय सलाहकार से संपर्क: अगर आप शेयर बाजार में नए हैं, तो किसी प्रमाणित वित्तीय सलाहकार की मदद लें।
सेबी की भूमिका
सेबी इस तरह के स्कैम को रोकने के लिए कड़े कदम उठाता रहता है। जेन स्ट्रीट जैसे मामलों में सेबी ने कार्रवाई की और निवेशकों को जागरूक करने के लिए कई कदम उठाए। फिर भी, निवेशकों को स्वयं सतर्क रहना जरूरी है, क्योंकि स्कैमर नए-नए तरीके अपनाते रहते हैं।
