Chandrayaan-3 Mission / जहां नहीं पहुंचा NASA, वहां ISRO चंद्रयान-3 से कामयाबी के झंडे गाड़ेगा

Zoom News : Aug 11, 2023, 11:30 PM
Chandrayaan-3 Mission: चंद्रयान-3 चांद से बस चंद किलोमीटर दूर है. 23 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत एक नया इतिहास लिख देगा. बेशक चांद पर कदम रखने के मामले में भारत चौथे नंबर पर होगा, लेकिन जिस जगह चंद्रयान-3 लैंड करने वाला है, वह ऐसा इलाका है जहां अब तक NASA भी नहीं पहुंच सका. चंद्रयान-3 चांद के साउथ पोल पर लैंड होगा, चांद के इस दक्षिणी ध्रुव पर अब तक कोई भी स्पेस एजेंसी नहीं पहुंच सकी है. ISRO का चंद्रयान-2 भी इसी साउथ पोल पर लैंडिंग के दौरान क्रैश हो गया था. यदि इस बार भारत यहां पर सफल लैंडिंग कर लेता है तो वो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा.

कैसा है दक्षिणी ध्रुव, जहां उतरेगा चंद्रयान-3

किसी ग्रह या उपग्रह का दक्षिणी ध्रुव बेहद ठंडा होता है, आपने धरती के दक्षिणी ध्रुव के बारे में सुना होगा. अंटार्कटिका धरती का दक्षिणी ध्रुव है जो बेहद ठंडा इलाका है, ठीक ऐसा ही चांद का दक्षिणी ध्रुव भी है, जहां बड़ी मात्रा में बर्फ, क्रेटर्स और गड्ढे हैं. यहां सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं. क्रेटर्स और गड्ढे होने की वजह से यहां के बहुत कम हिस्से पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं. यही वजह है कि यहां का तापमान -238 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है.

दक्षिणी ध्रुव पर क्या खोजेगा चंद्रयान-3

2019 में भारत ने चंद्रयान-2 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ही भेजा था, जो लैंडिंग के समय क्रैश हो गया था. अब पिछली गलतियों से सबक लेते हुए ISRO एक बार फिर चंद्रयान-3 को दक्षिणी ध्रुव पर ही भेज रहा है. इसकी पहली वजह तो यही है कि अब तक कोई भी स्पेस एजेंसी चांद के इस हिस्से में नहीं पहुंची है और दूसरी और सबसे खास वजह यह है कि यहां पानी और खनिज मिलने की संभावना जताई जा रही है. ऐसा माना जाता रहा है कि यदि यहां बर्फ है तो पानी भी होगा, इसके अलावा कम तापमान रहने की वजह से खनिज भी पर्याप्त मात्रा में होंगे.

साउथ पोल पर उतरना क्यों चुनौती है?

चांद पर हमने नील आर्मस्ट्रांग और बज ऑल्ड्रिन के उतरने की तस्वीर देखी है. NASA चीफ बिल नेस्नल के मुताबिक जहां NASA पहुंचा था वहां पर चांद की सतह प्लेन है, लेकिन दक्षिणी ध्रुव में ऐसा नहीं है. यहां सतह में बड़े-बड़े गड्ढे और क्रेटर्स हैं. यहां पर लैंडिंग के संभावित स्थान भी सीमित हैं. जब चंद्रयान-2 को यहां भेजा गया था तब सिर्फ तस्वीरों से ही अंदाजा लगाया गया था, लेकिन अब ISRO के पास इससे ज्यादा जानकारी है, इसीलिए माना जा रहा है कि इस बार भारत की ये स्पेस एजेंसी चांद पर कामयाबी का झंडा बुलंद कर देगी.

साउथ पोल पर पहुंचने की होड़

चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि अन्य बड़े देशों की भी नजर है, खुद अमेरिका और चीन भी इस रेस में शामिल हैं. चीन ने अपने पिछले मून मिशन को दक्षिणी ध्रुव के पास ही लैंड कराया था. इसके अलावा NASA भी अपने अगले मून मिशन में दक्षिणी ध्रुव पर ही पहुंचना चाहता है. यदि ऐसे में चंद्रयान-3 सफल लैंडिंग कर लेता है तो ISRO का नाम अंतरिक्ष मिशनों के इतिहास में अव्वल नंबर पर दर्ज हो जाएगा.

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