UP News / काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी विवाद: केस चलेगा या नहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट में अहम सुनवाई आज

Zoom News : May 20, 2022, 08:05 AM
प्रयागराज। काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में दाखिल याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में  शुक्रवार को अहम सुनवाई होगी। जस्टिस प्रकाश पाडिया की सिंगल बेंच दोपहर 12 बजे सुनवाई शुरू करेगी। आज की सुनवाई में स्वयंभू भगवान विशेश्वर यानी हिंदू पक्ष की ओर से सबसे पहले दलीलें पेश की जाएंगी। पिछली सुनवाई पर हिंदू पक्ष की बहस पूरी नहीं हो सकी थी। सबसे पहले हिंदू पक्ष अपनी बची हुई बहस पूरी करेगा। उसके बाद दोनों मुस्लिम पक्षकार अपनी दलीलें पेश करेंगे। अदालत को यह तय करना है कि 31 साल पहले 1991 में वाराणसी जिला कोर्ट में दायर वाद की सुनवाई हो सकती है या नहीं।

मुस्लिम पक्ष का कहना है कि प्लेसेज आफ वरशिप एक्ट 1991 के तहत यह वाद नहीं चल सकता है। इसके तहत अयोध्या को छोड़कर देश के किसी भी दूसरे धार्मिक स्थल के स्वरूप में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है। इस एक्ट के तहत देश की आजादी के समय 15 अगस्त 1947 को जिस धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी वही स्थिति बरकरार रहेगी। काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में मस्जिद की इंतजामिया कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड मुस्लिम पक्षकार हैं। दोनों पक्षकारों की ओर से कुल छह याचिकाएं दाखिल की गई हैं। मुस्लिम पक्षकारों की बहस पूरी होने के बाद समय बचने पर यूपी सरकार का पक्ष भी रखा जाएगा।

इस मामले में पहला वाद कब दायर हुआ

वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के पास ज्ञानवापी मस्जिद स्थित है। मस्जिद का संचालन अंजुमन इंतजामिया कमेटी की ओर से किया जाता है। मुस्लिम समुदाय मस्जिद में नमाज अदा करता है। वर्ष 1991 में स्वयंभू लॉर्ड विश्वेश्वर भगवान की ओर से वाराणसी के सिविल जज की अदालत में अर्जी दाखिल की गई है। इस अर्जी में दावा किया गया है कि जिस जगह ज्ञानवापी मस्जिद स्थित है वहां पहले मंदिर हुआ करता था और श्रृंगार गौरी की पूजा होती थी। लेकिन मुगल शासकों ने कब्जा कर लिया और मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया। अर्जी में मांग की गई है कि ज्ञानवापी हिंदुओं को सौंप देना चाहिए और ऋंगार गौरी की पूजा करने की इजाजत दी जानी चाहिए।मुस्लिम पक्षकारों अंजुमन-ए-इंतजामिया कमेटी और यूपी सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड ने स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर की अर्जी का विरोध किया है। उनकी तरफ से दलील दी गई है कि 1991 में बने प्लेसेज आफ वरशिप एक्ट के तहत यह याचिका पोषणीय नहीं है।

दूसरा वाद कब दायर हुआ

इस बीच 1999 में स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर की ओर से एक दूसरी अर्जी दाखिल की गई जिसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग के तहत किसी भी मामले में छह महीने से ज्यादा स्टे यानी स्थगन आदेश आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है। वह खुद खत्म हो जाता है। निचली अदालत में यहां के मामले में कोई स्थगन आदेश लंबे समय से पारित नहीं किया, इसलिए खत्म हो गया है और इसे हिंदू पक्ष को सौंप देना चाहिए। इसके खिलाफ दोनों मुस्लिम पक्षकारों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की। इस अर्जी पर 15 मार्च 2021 को हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है। यानी अब तक इस मामले में हाईकोर्ट में 4 याचिकाएं हो गईं।

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