देश / भारत में किन राज्यों में प्रजनन दर सबसे अधिक है और कहां सबसे कम है?

Zoom News : Nov 25, 2021, 02:23 PM
Fertility Rate in India: भारत की पहचान दुनिया के दूसरी सबसे ज्यादा जनसंख्या (Population) वाले देश के तौर पर होती है. हमारे देश में दशकों से परिवार नियोजन (Family Planning) पर काम किया जा रहा है. आजादी के बाद से देश की जनसंख्या काफी तेजी से बढ़ी है, जो एक विकासशील देश के लिए हमेशा चिंता का विषय रही है. आखिरकार सरकार की नियोजित पहल और कई अन्य कारणों से भारत में जनसंख्या की राष्ट्रीय दर में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है. बुधवार को जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (NFHS) के अनुसार भारत की कुल प्रजनन दर (TFR), प्रति महिला बच्चों की औसत संख्या राष्ट्रीय स्तर पर 2.2 से घटकर 2 हो गई है और चंडीगढ़ (Chandigarh) में 1.4 से लेकर उत्तर प्रदेश (UP) में 2.4 तक पहुंच गई है. NFHS 2019-21 के आंकडों के अनुसार देश के शहरों में प्रजनन दर 1.6 फीसद रह गई है, जबकि गांवों में यह 2.1 फीसद है. इस डाटा का सीधा मतलब यह है कि हमारे देश के युवा उतने बच्चे भी पैदा नहीं कर रहे हैं, जो आगे चलकर उनकी जगह ले सकें. यानी अगर ऐसा ही लंबे समय तक चलता रहा तो भविष्य में देश की जनसंख्या में गिरावट देखने को मिल सकती है.

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य), डॉ. विनोद कुमार पॉल और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव राजेश भूषण ने बुधवार को भारत और 14 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के लिए जनसंख्या, प्रजनन और बाल स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, पोषण और अन्य पर प्रमुख संकेतकों की फैक्टशीट जारी की.

सर्वेक्षण से पता चला है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और उत्तर प्रदेश को छोड़कर सभी चरण 2 राज्यों ने प्रजनन क्षमता का प्रतिस्थापन स्तर (2.1) हासिल कर लिया है.

सर्वेक्षण में पाया गया है कि समग्र गर्भनिरोधक प्रसार दर (CPR) अखिल भारतीय स्तर पर और पंजाब को छोड़कर लगभग सभी चरण 2 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 54 प्रतिशत से बढ़कर 67 प्रतिशत हो गई है. लगभग सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में गर्भ निरोधकों के आधुनिक तरीकों का उपयोग भी बढ़ा है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के सर्वेक्षण के प्रमुख संकेतकों से पता चला है कि परिवार नियोजन की जरूरतों में अखिल भारतीय स्तर पर और दूसरे चरण के अधिकांश राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 13 प्रतिशत से 9 प्रतिशत की महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई है. अंतराल की आवश्यकता जो पहले भारत में एक प्रमुख मुद्दा बनी हुई थी, झारखंड को छोड़कर सभी राज्यों में 12 प्रतिशत और अरुणाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश दोनों में 13 प्रतिशत पर घटकर 10 प्रतिशत से भी कम रह गई है.

सर्वेक्षण को रेखांकित करते हुए 12-23 महीने की आयु के बच्चों के बीच विभिन्न रोगों से बचाव के लिए पूर्ण टीकाकरण अभियान में अखिल भारतीय स्तर पर 62 प्रतिशत से 76 प्रतिशत तक पर्याप्त सुधार दर्ज किया गया है. 14 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से 11 में 12 से 23 महीने की उम्र के तीन-चौथाई से अधिक बच्चों का पूरी तरह से टीकाकरण हुआ है और यह ओडिशा के लिए उच्चतम 90 प्रतिशत है.

चरण 2 में जिन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का सर्वेक्षण किया गया, उनमें अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, दिल्ली, ओडिशा, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड हैं.

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