- भारत,
- 19-Sep-2025 10:54 AM IST
India-UAE Relation: सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए एक ऐतिहासिक डिफेंस समझौते ने मध्य पूर्व से लेकर दक्षिण एशिया तक भू-राजनीतिक हलचल मचा दी है। गुरुवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस डील के तहत दोनों देशों में से किसी एक पर हमला होने की स्थिति में इसे दूसरे देश पर हमला माना जाएगा। यह समझौता हाल ही में कतर पर इजराइली हमले के बाद आया है, जिसके जवाब में सऊदी अरब ने यह रणनीतिक कदम उठाया।
इस समझौते से सऊदी अरब को पाकिस्तान का परमाणु कवच प्राप्त हो गया है, जो मध्य पूर्व में उसकी सुरक्षा स्थिति को मजबूत करता है। बदले में, सऊदी अरब पाकिस्तान में रेलवे, स्वास्थ्य, और ऊर्जा क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निवेश करने की योजना बना रहा है। यह डील न केवल दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को गहरा करती है, बल्कि क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को भी प्रभावित करती है, खासकर भारत-पाकिस्तान के पुराने तनाव के संदर्भ में।
भारत और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक तनाव और छद्म युद्धों का लंबा इतिहास रहा है। भारत ने कई बार पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक जैसे कदम उठाए हैं। अब तक सऊदी अरब ने भारत-पाकिस्तान तनाव में तटस्थ रुख अपनाया था, लेकिन इस नए समझौते के बाद उसकी स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं।
भारत-यूएई: अंतरिक्ष और समुद्री क्षेत्र में नई साझेदारी
दूसरी ओर, भारत मध्य पूर्व के एक अन्य महत्वपूर्ण देश, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। गुरुवार को भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने यूएई के विदेश मंत्री के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें अंतरिक्ष और समुद्री क्षेत्रों में सहयोग और निवेश पर चर्चा हुई। दोनों देश पहले से ही ऊर्जा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मिलकर काम कर रहे हैं, और अब इस नए सहयोग से रिश्ते और गहरे होने की उम्मीद है।
यूएई मध्य पूर्व में अंतरिक्ष और समुद्री क्षेत्रों में अग्रणी स्थिति में है। यह पहला अरब देश है जिसके पास अंतरिक्ष में 100 से अधिक प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं, जिसमें मंगल मिशन भी शामिल है। इसके अलावा, दुबई का जबल अली पोर्ट मध्य पूर्व का सबसे बड़ा बंदरगाह है, जो फारस की खाड़ी के माध्यम से व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत के लिए यूएई के साथ यह साझेदारी न केवल आर्थिक, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
क्षेत्रीय प्रभाव और भविष्य की संभावनाएं
सऊदी-पाकिस्तान डील और भारत-यूएई सहयोग के बीच एक दिलचस्प समानांतर देखने को मिल रहा है। जहां सऊदी अरब और पाकिस्तान का समझौता रक्षा और परमाणु सुरक्षा पर केंद्रित है, वहीं भारत और यूएई का सहयोग तकनीकी और आर्थिक क्षेत्रों में केंद्रित है। दोनों ही समझौते मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया के बीच उभरते भू-राजनीतिक समीकरणों को दर्शाते हैं।
यूएई का अब्राहम समझौते में शामिल होना और कतर पर इजराइली हमले के दौरान दोहा में हुई बैठक में बड़े नेता न भेजना, उसकी तटस्थ और रणनीतिक विदेश नीति को दर्शाता है। वहीं, भारत के लिए यूएई के साथ बढ़ता सहयोग मध्य पूर्व में उसकी स्थिति को और मजबूत कर सकता है।
इस बदलते परिदृश्य में, भारत को अपनी रणनीति को और सावधानीपूर्वक तैयार करने की आवश्यकता है। सऊदी-पाकिस्तान डील से उत्पन्न होने वाले किसी भी संभावित जोखिम का सामना करने के लिए भारत को यूएई और अन्य मित्र देशों के साथ अपने रिश्तों को और गहरा करना होगा। साथ ही, अंतरिक्ष और समुद्री क्षेत्र में यूएई के साथ सहयोग भारत को तकनीकी और आर्थिक रूप से नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।
