Himanta Biswa Sarma / ‘Chutia Community’ असम CM हिमंत के ट्वीट से क्यों मचा बवाल? मतलब जान हो जाएंगे नतमस्तक

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के एक ट्वीट पर ‘चुटिया समुदाय’ को आरक्षण देने को लेकर सोशल मीडिया पर बवाल मचा है। अनजान लोग नाम पर हैरान हुए, जबकि यह असम की प्राचीन जनजाति है, जिसका गौरवशाली इतिहास 12वीं से 16वीं शताब्दी तक फैले चुटिया साम्राज्य से जुड़ा है।

Himanta Biswa Sarma: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के एक हालिया 'एक्स' पोस्ट ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है। इस पोस्ट में उन्होंने असम के चुटिया समुदाय को उच्च शिक्षा में आरक्षण देने की घोषणा की। हालांकि, इस समुदाय के नाम को लेकर कई लोगों ने हैरानी जताई और ट्वीट पर खूब कमेंट्स किए। दरअसल, 'चुटिया' शब्द को अंग्रेजी और हिंदी में अपमानजनक अर्थों में लिया जाता है, लेकिन असम में यह एक प्राचीन और गौरवशाली आदिवासी जनजाति का नाम है। इस समुदाय का इतिहास जानकर आप भी इसकी समृद्धि और योगदान को सलाम करेंगे।

सीएम सरमा का ट्वीट क्या था?

मुख्यमंत्री सरमा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा, "दशकों तक चुटिया समुदाय की आकांक्षाओं को अनदेखा किया गया, लेकिन अब उन्हें उनका हक मिल रहा है।" उन्होंने बताया कि सरकार ने इस समुदाय के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें वीरांगना सती साधनी की प्रतिमा स्थापना, 77 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता, एक राज्य विश्वविद्यालय की स्थापना, और अब उच्च शिक्षा में आरक्षण शामिल हैं। इस फैसले के तहत:

  • राज्य विश्वविद्यालयों में 18 सीटें,

  • पॉलिटेक्निक संस्थानों में 9 सीटें,

  • और इंजीनियरिंग कॉलेजों में 32 सीटें चुटिया समुदाय के छात्रों के लिए आरक्षित की गई हैं।

चुटिया समुदाय: एक ऐतिहासिक परिचय

'चुटिया' शब्द को लेकर भले ही कुछ लोग भ्रमित हों, लेकिन यह असम की एक प्राचीन और महत्वपूर्ण जनजाति है। यह समुदाय मुख्य रूप से ऊपरी असम के तिनसुकिया, डिब्रूगढ़, धेमाजी और लखीमपुर जिलों में निवास करता है। ऐतिहासिक रूप से, चुटिया समुदाय ने 12वीं से 16वीं शताब्दी तक ब्रह्मपुत्र घाटी में चुटिया साम्राज्य की स्थापना की थी। यह साम्राज्य अपनी समृद्ध संस्कृति, उन्नत कृषि तकनीकों और सामाजिक योगदानों के लिए जाना जाता था।

1523-24 में अहोम साम्राज्य द्वारा इस साम्राज्य को अपने अधीन करने के बाद, चुटिया समुदाय का बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ। इसके बावजूद, यह समुदाय ऊपरी और मध्य असम में फैल गया और अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखा। इस समुदाय का संबंध मंगोलिया के चीन-तिब्बती परिवार से माना जाता है, और ये लोग दक्षिणी चीन (वर्तमान तिब्बत और सिचुआन) से स्थानांतरित होकर असम आए थे।

चुटिया समुदाय का नाम और उत्पत्ति

'असमिया क्रॉनिकल' के अनुसार, चुटिया समुदाय का नाम सातवीं शताब्दी में ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर रहने वाले 'चुटिया सम्राट' अस्सम्भिना के नाम पर पड़ा। इस समुदाय ने 1187 से 1673 तक असम और अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्रों में शासन किया। इतिहासकार आर एम नाथ ने अपनी किताब बैकग्राउंड ऑफ असमीज कल्चर में दावा किया है कि 'चुटिया' शब्द की उत्पत्ति 'चूट' से हुई, जिसका अर्थ स्थानीय भाषा में पहाड़ की चोटी है। प्राचीन काल में यह समुदाय पहाड़ों पर रहता था, और बाद में मैदानी इलाकों में बस गया।

चुटिया समुदाय के लोग पहले तिब्बती-बर्मन भाषा बोलते थे, लेकिन समय के साथ उन्होंने हिंदू धर्म और असमिया भाषा को अपनाया। उनके लोकगीतों में दावा किया जाता है कि वे भूमिक्का और सुबाहु के वंशज हैं। यह समुदाय माता काली के विभिन्न अवतारों की पूजा करता है और हिंदू धर्म को मानने वालों की संख्या इसमें काफी अधिक है।

चुटिया समुदाय की सांस्कृतिक विरासत

चुटिया समुदाय की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत असम के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। उनके लोकगीत, परंपराएं और सामाजिक योगदान आज भी जीवित हैं। इस समुदाय ने कृषि, कला और शासन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। चुटिया साम्राज्य के दौरान ब्रह्मपुत्र घाटी में व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिला।

आज भी, चुटिया समुदाय अपनी पहचान और गौरव को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है। सरकार के हालिया कदम, जैसे आरक्षण और आर्थिक सहायता, इस समुदाय को मुख्यधारा में लाने और उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं।