India-US Tariff War / ट्रंप ने क्यों लगाया भारत पर 50 फीसदी टैरिफ, व्हाइट हाउस ने किया खुलासा

अमेरिका ने भारत पर दो चरणों में कुल 50% टैरिफ लगा दिया, जो किसी भी देश पर उसका सबसे ऊंचा शुल्क है। व्हाइट हाउस ने कारण बताया—भारत का रूस से तेल खरीदना बंद करने से इनकार। भारत ने इसे ‘‘अनुचित’’ बताते हुए राष्ट्रीय हितों की रक्षा का संकल्प जताया।

India-US Tariff War: अमेरिका ने भारत पर पहले 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया और इसके बाद 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ और थोप दिया, जिससे भारत पर कुल अमेरिकी टैरिफ 50 प्रतिशत तक पहुंच गया। यह दुनिया के किसी भी देश पर अमेरिका द्वारा लगाया गया अब तक का सबसे अधिक टैरिफ है। भारत के बाद केवल ब्राजील ही ऐसा दूसरा देश है, जिस पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 50 प्रतिशत टैरिफ लागू किया है। अन्य सभी देशों पर लगाए गए टैरिफ भारत और ब्राजील की तुलना में लगभग आधे हैं। इस अभूतपूर्व कदम के पीछे ट्रंप प्रशासन की नाराजगी का कारण व्हाइट हाउस ने स्वयं उजागर किया है।

व्हाइट हाउस का खुलासा: रूस से तेल खरीद बना कारण

व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का कारण स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद करने से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया, जिसे ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना। नवारो ने इसे "राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा" करार देते हुए कहा कि भारत का यह रुख अमेरिका के हितों के खिलाफ है। पिछले सप्ताह ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत जवाबी शुल्क की घोषणा की थी, जो 7 अगस्त से लागू हो गया। इसके अलावा, ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर रूस से तेल खरीद के लिए भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाया, जिससे कुल टैरिफ 50 प्रतिशत हो गया।

भारत का रूस से तेल खरीदना क्यों बना राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा?

व्हाइट हाउस के अनुसार, भारत का रूस से तेल खरीदना और अमेरिकी दबाव के आगे न झुकना राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा कैसे बन गया? नवारो ने कहा कि भारत पर लगाए गए शुल्क का आधार पारस्परिक व्यापार से अलग है और यह पूरी तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। उन्होंने दावा किया कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर दुनिया में सबसे अधिक शुल्क लगाता है और गैर-शुल्क बाधाओं के कारण अमेरिकी उत्पाद भारतीय बाजार में नहीं पहुंच पाते। नवारो ने भारत को "शुल्क का महाराजा" करार देते हुए कहा कि भारत अमेरिकी डॉलर का उपयोग रूसी तेल खरीदने के लिए करता है, जो अंततः रूस के हथियारों के वित्तपोषण और यूक्रेन में हिंसा को बढ़ावा देता है। उन्होंने इसे "अमेरिकी करदाताओं के लिए अनुचित" बताया और कहा कि इसे "रोकना होगा।"

अमेरिका का भारत पर गंभीर आरोप

नवारो ने भारत पर आरोप लगाया कि वह अमेरिकी डॉलर का उपयोग रूसी तेल खरीदने और रूस को सैन्य वित्तपोषण प्रदान करने के लिए करता है, जिससे यूक्रेन में हिंसा को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी करदाताओं को उन हथियारों के लिए भुगतान करना पड़ता है, जो यूक्रेन को रूसी हमलों से बचाने के लिए खरीदे जाते हैं, जबकि ये रूसी हथियार भारत द्वारा भेजे गए अमेरिकी डॉलर से वित्तपोषित होते हैं। नवारो ने इसे "अस्वीकार्य" बताते हुए कहा कि ट्रंप आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच के संबंध को समझते हैं।

चीन पर टैरिफ में भारत से भेदभाव क्यों?

चीन भी रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीदता है, फिर भी अमेरिका ने भारत की तरह चीन पर टैरिफ को दोगुना नहीं किया। इस पर व्हाइट हाउस ने कहा कि चीन पर पहले ही 50 प्रतिशत से अधिक टैरिफ लागू हैं, और ट्रंप प्रशासन "स्वयं को नुकसान पहुंचाने" से बचना चाहता है। व्हाइट हाउस ने संकेत दिया कि चीन के साथ इस मुद्दे पर अलग से काम किया जाएगा, लेकिन भारत को विशेष रूप से निशाना बनाया गया।

भारत को रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार बताने का दावा

व्हाइट हाउस के गृह सुरक्षा सलाहकार स्टीफन मिलर ने दावा किया कि भारत रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है और वह अन्य वैश्विक बाजारों से आसानी से तेल प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि भारत की तेल खरीद रूसी सेना को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। हालांकि, भारत के विदेश मंत्रालय ने इन शुल्कों को "अनुचित और अविवेकपूर्ण" बताते हुए कहा कि भारत अपनी राष्ट्रीय और आर्थिक सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।

भारत की प्रतिक्रिया और भविष्य की दिशा

भारत ने अमेरिका के इस कदम को अनुचित ठहराते हुए कहा कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेगा। भारत सरकार ने संयमित बयान में इन शुल्कों को "अन्यायपूर्ण" करार दिया और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की बात कही। यह विवाद वैश्विक व्यापार और भू-राजनीतिक संबंधों में नई चुनौतियां खड़ी कर सकता है।