इंडिया / विश्व एड्स दिवस: दुनियाभर में अब तक सात करोड़ 49 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं, तीसरे पायदान पर है भारत

AMAR UJALA : Dec 01, 2019, 08:08 AM
World AIDS Day | आज विश्व एड्स दिवस है। 31 साल पहले साल 1988 में दुनिया को एचआईवी संक्रमण के प्रति जागरूक करने के लिए इस दिन की शुरुआत की गई थी। यह वह दौर था जब यह बीमारी तेजी से फैल रही थी। 90 के दशक के आखिर में एड्स चरम पर था, जिसने दुनिया को इसके खिलाफ लड़ने के लिए झकझोरा।

जाहिर है हालात बदले, संक्रमण और मौत के मामलों में अच्छी गिरावट आई लेकिन मौजूदा आंकड़ों पर नजर डालें तो इसके उन्मूलन के लिए अभी और आगे जाना है। मसलन, आज भी हर सप्ताह 15-24 साल की 6000 महिलाएं एचआईवी से संक्रमित होती हैं। 

वैज्ञानिकों के अनुसार सबसे पहले एड्स की उत्पत्ति किन्शासा शहर से हुई थी, जो वर्तमान में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो की राजधानी है। एड्स को लेकर सबसे दुखद यह है कि इस बीमारी के फैलने के करीब 30 साल बाद इसका पता चल पाया। 

यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल 17 लाख नए मामले सामने आए थे। यह आंकड़ा 1997 में 30 लाख था। तीन करोड़ 20 लाख लोगों की जान जा चुकी है। 81 लाख लोगों को मालूम ही नहीं था कि उन्हें एड्स है। इस साल की थीम है 'कम्युनिटीज मेक द डिफरेंस' यानी समुदाय बदलाव लाते हैं

तीसरे पायदान पर है भारत एड्स से संक्रमित लोगों के मामले में

भारत में पहला मामला साल 1986 में तमिलनाडु में सामने आया था। दो साल पहवे यूएन एड्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत में एचआईवी संक्रमण में 46 फीसदी की कमी आई है। 2017 तक 79 फीसदी लोगों को उनका एचआईवी स्टेटस पता था। 

इलाज में महिलाएं आगे हैं। 63 फीसदी महिलाएं इलाज करा रही हैं, जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा 50 फीसदी ही है। 

भारत में 21 लाख लोग एड्स से पीड़ित हैं। इनमें 42 फीसदी (8,80,000) महिलाएं हैं। 

साल 2020 तक 90-90-90 हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है यानी एचआीवी से ग्रसित 90 फीसदी लोगों को उनका एचआईवी स्टेटस पता हो। संक्रमित लोगों में से 90 फीसदी का इलाज चल रहा हो और इलाज करा रहे लोगों में से 90 फीसदी वायरली सस्प्रेड हो जाएं यानी वे एचआईवी वायरस को दूसरे व्यक्ति में न फैला पाएं। 

  • 2010-2017 के बीच 27 फीसदी कम हुए संक्रमण के मामले
  • एड्स से मौत के मामलो में आई है 56 फीसदी की गिरावट
  • 1997 में थे महज 67 काउंसिलिंग व जांच केंद्र, अब 23,400
सुकून देने वाले आंकड़े

  • 40 फीसदी कमी आई है, एचआईवी संक्रमण के नए मामलों में 1997 की तुलना में
  • साल 2004 के बाद एड्स से मौत के मामलों में 56 फीसदी की कमी आई है
  • साल 2010 के बाद एड्स से मौत के मामलों में 33 फीसदी की गिरावट आई है
एड्स का जोखिम इनमें ज्यादा

  • पुरुषों से ही संबंध बमामे वाले पुरुषों में 22 गुना ज्यादा
  • ड्रग इंजेक्शन लेने वालों में 22 गुना ज्यादा 
  • देह व्यापार करमे वालों में 21 गुना व ट्रांसजेंडरों में 12 गुना ज्यादा

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