देश / दुनिया की सबसे लंबी रोड टनल तैयार, सितंबर में पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन

AajTak : Aug 27, 2020, 06:25 AM
Himachal Pradesh: 10 हजार फीट पर स्थित दुनिया की सबसे लंबी रोड टनल देश में बनकर तैयार हो गई है। इसे बनाने में दस साल लग गए। लेकिन अब इससे लद्दाख सालभर पूरी तरह से जुड़ा रहेगा। साथ ही इसकी वजह से मनाली से लेह के बीच करीब 46 किलोमीटर की दूरी कम हो गई है। इसका नाम है अटल रोहतांग टनल। इसका नाम पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है। 

10,171 फीट की ऊंचाई पर बनी इस अटल रोहतांग टनल (Atal Rohtang Tunnel) को रोहतांग पास से जोड़कर बनाया गया है। यह दुनिया की सबसे ऊंची और सबसे लंबी रोड टनल है। यह करीब 8।8 किलोमीटर लंबी है। साथ ही यह 10 मीटर चौ़ड़ी है। अब मनाली से लेह जाने में 46 किलोमीटर की दूरी कम हो गई। अब आप ये दूरी मात्र 10 मिनट में पूरी कर सकते हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार नाली-लेह रोड पर चार और टनल प्रस्तावित हैं, फिलहाल ये टनल बनकर पूरी हो चुकी है। ऐसा माना जा रहा है कि सितंबर के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे। यह टनल सिर्फ मनाली को लेह से नहीं जोड़ेगी बल्कि हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पिति में भी यातायात को आसान कर देगी। यह कुल्लू जिले के मनाली से लाहौ़ल-स्पिति जिले को भी जोड़ेगी। 

इसके बनने से सबसे ज्यादा फायदा लद्दाख में तैनात भारतीय फौजियों को मिलेगी। क्योंकि इसके चलते सर्दियों में भी हथियार और रसद की आपूर्ति आसानी से हो सकेगी। अब सिर्फ जोजिला पास ही नहीं बल्कि इस मार्ग से भी फौजियों तक सामान की सप्लाई हो सकेगी। 

इस टनल के अंदर कोई भी वाहन अधिकतम 80 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल सकेगा। इसे बनाने की शुरूआत 28 जून 2010 को हुई थी। इसे बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने बनाया है। यह सुरंग घोड़े के नाल के आकार में बनाई गई है। 

इसे बनाने में BRO के इंजीनियरों और कर्मचारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। क्योंकि सर्दियों में यहां काम करना बेहद मुश्किल हो जाता था। यहां पर तापमान माइनस 30 डिग्री तक चला जाता था। इस टनल को बनाने के दौरान 8 लाख क्यूबिक मीटर पत्थर और मिट्टी निकाली गई। गर्मियों में यहां पर पांच मीटर प्रति दिन खुदाई होती थी। लेकिन सर्दियों में यह घटकर आधा मीटर हो जाती थी।

यह टनल इस तरीके से बनाई गई है कि इसके अंदर एक बार में 3000 कारें या 1500 ट्रक एकसाथ निकल सकते हैं। इसे बनाने में करीब 4 हजार करोड़ रुपये की लागत आई है। टनल के अंदर अत्याधुनिक ऑस्ट्रेलियन टनलिंग मेथड का उपयोग किया गया है। वेंटिलेशन सिस्टम भी ऑस्ट्रेलियाई तकनीक पर आधारित है। 

इस टनल की डिजाइन बनाने में DRDO ने भी मदद की है ताकि बर्फ और हिमस्खलन से इस पर कोई असर न पड़े। यहां यातायात किसी भी मौसम में बाधित न हो। इस टनल के अंदर निश्चित दूरी पर सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे जो स्पीड और हादसों पर नियंत्रण रखने में मदद करेंगे। टनल के अंदर हर 200 मीटर की दूरी पर एक फायर हाइड्रेंट की व्यवस्था की गई है। ताकि आग लगने की स्थिति में नियंत्रण पाया जा सके। 

पंजाब यूनिवर्सिटी और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च ने इस टनल में वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए न्यूट्रीनो डिटेक्टर लगाने की अनुमति भी सरकार से मांगी है। अब इस टनल के माध्यम से पहाड़ों पर लगने वाले जाम से बचा जा सकेगा। मनाली से लेह तक जाने में ये सुरंग काफी समय बचाएगी।

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