मध्य प्रदेश / हाईकोर्ट द्वारा हड़ताल को 'अवैध' बताने के बाद एमपी में 3000 डॉक्टरों ने दिया इस्तीफा

Zoom News : Jun 04, 2021, 10:48 AM
जबलपुर: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने जूनियर डाक्टरों की हड़ताल को अवैधानिक ठहराया है। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और जस्टिस सुजय पाल की युगलपीठ ने जूनियर डाक्टरों को निर्देश दिया है कि वे 24 घंटे के भीतर हड़ताल समाप्त कर काम पर लौट आएं। सरकार को भी कहा गया है कि ऐसा न होने पर हड़ताली डाक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है। 

कोर्ट ने की हड़ताल की निंदा

जबलपुर के अधिवक्ता शैलेन्द्र सिंह ने तत्समय हुई जूनियर डाक्टरों की हड़ताल के खिलाफ 2014 में यह जनहित याचिका दायर की थी। उसी याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट 2014 व 2018 में जूडा की हड़ताल को अवैध करार चुका है। इस याचिका को कोर्ट ने यह कहकर लम्बित रखा था कि इस निर्देश का उल्लंघन होने पर इसे फिर से सुना जा सकता है।

तीन हजार डाक्टरों ने दिया इस्तीफा 

इस बीच ग्वालियर में जूनियर डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर सामूहिक इस्तीफा दिया है। एक जूनियर डॉक्टर ने बताया कि आज मध्य प्रदेश में सभी 3000 जूनियर डॉक्टरों ने सामुहिक इस्तीफा दिया है। ये हमारी मजबूरी है। हम अपने माननीय से अनुरोध करते हैं कि हमारी मांगे मानी जाएं।

जबलपुर के ही अधिवक्ता प्रणय चौबे ने अंतरिम आवेदन पेश किया कि उस आदेश को दरकिनार कर जूनियर डाक्टर कोरोना संकट के दौरान फिर हड़ताल पर चले गए हैं। इस पर गुरुवार को कोर्ट ने सुनवाई की। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि जूडा के स्वजनों की उनके कार्यस्थल पर मुफ्त इलाज की मांग मान ली गई है। मानदेय पर भी उचित निर्णय लेने पर विचार चल रहा है। सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है। तर्क दिया गया कि कोरोना काल में हड़ताल कर जूनियर डाक्टर अनुचित रूप से सरकार पर दबाव बना रहे हैं। 

सरकार ने जूडा की अधिकतर मांगे मानी

राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता पुरषषेंद्र कौरव ने कहा, हाईकोर्ट ने जूडा की हड़ताल को अवैधानिक घोषिषत किया है। उन्हें 24 घंटे में काम पर वापस आने को कहा है। वे काम पर नहीं आते हैं तो सरकार को निर्देशित किया है कि उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। सरकार ने जूडा की अधिकतर मांगे मान ली है। कोरोना के कारण स्टडी पीरियड को आगे बढ़ाया जा रहा है। उसकी अलग से फीस भी नहीं ली जाएगी। अन्य मांगों पर भी संवेदनशीलता से विचार होगा।

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