- भारत,
- 21-Sep-2025 06:09 PM IST
H1B Visa: व्हाइट हाउस ने हाल ही में H-1B वीजा कार्यक्रम को लेकर उठ रही चिंताओं पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। यह बयान डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीजा की फीस बढ़ाने की घोषणा के बाद आया है। व्हाइट हाउस का कहना है कि कई अमेरिकी कंपनियों ने अमेरिकी तकनीकी कर्मचारियों की छंटनी की और उनकी जगह विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त किया, जिसके चलते यह कदम उठाया गया है।
अमेरिका फर्स्ट की नीति
डोनाल्ड ट्रंप लंबे समय से "अमेरिका फर्स्ट" का नारा देते आए हैं। उनका मानना है कि अमेरिका के संसाधनों और नौकरियों पर सबसे पहला हक अमेरिकी नागरिकों का है। व्हाइट हाउस के एक बयान के अनुसार, H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि का उद्देश्य कंपनियों के लिए विदेशी पेशेवरों को नियुक्त करने की लागत बढ़ाना है। इससे कंपनियां अमेरिकी कर्मचारियों को प्राथमिकता देंगी, जिससे नौकरियां पहले अमेरिकी नागरिकों को मिलेंगी।
व्हाइट हाउस के चौंकाने वाले आंकड़े
व्हाइट हाउस ने अपने बयान में कुछ कंपनियों के आंकड़े साझा किए, जो इस नीति के पीछे की वजह को रेखांकित करते हैं:
पहली कंपनी: इस कंपनी को 5,189 H-1B वीजा मंजूरियां मिलीं, लेकिन इसने 16,000 अमेरिकी कर्मचारियों की छंटनी की।
दूसरी कंपनी: इसने 1,698 H-1B वीजा मंजूरियां प्राप्त कीं, लेकिन ओरेगन में 2,400 नौकरियों में कटौती की।
तीसरी कंपनी: इस कंपनी को 25,075 H-1B वीजा परमिशन मिली, लेकिन 2022 से इसने अपने अमेरिकी कर्मचारियों की संख्या में 27,000 की कमी की।
चौथी कंपनी: वित्तीय वर्ष 2025 के लिए 1,137 H-1B वीजा परमिशन लेने के बावजूद, इसने फरवरी में 1,000 अमेरिकी नौकरियों में कटौती की।
व्हाइट हाउस ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ कंपनियों ने अमेरिकी आईटी कर्मचारियों को कथित तौर पर अवैध रूप से विदेशी कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने के लिए मजबूर किया।
21 सितंबर से पहले के आवेदनों पर कोई असर नहीं
व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया है कि नई फीस वृद्धि का असर 21 सितंबर, 2025 से पहले जमा की गई H-1B याचिकाओं पर नहीं पड़ेगा। इसके अलावा, अमेरिका के बाहर मौजूदा वीजा धारकों को देश में दोबारा प्रवेश के लिए अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया, “यह नियम केवल नए वीजा आवेदनों पर लागू होगा, नवीनीकरण या मौजूदा वीजा धारकों पर नहीं।”
