- भारत,
- 15-Jul-2025 06:00 PM IST
Silver Price Today: चांदी की कीमतें भारत में अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं, जबकि वैश्विक बाजारों में यह 17 साल के शिखर पर कारोबार कर रही है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2025 के पहले हाफ में चांदी की कीमतों में 6% से अधिक की वृद्धि देखने को मिली है। 30 जून को चांदी 1,06,292 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो 15 जुलाई को 1,12,735 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई। दूसरी ओर, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में COMEX सिल्वर फ्यूचर्स ने 14 जुलाई को 39.570 डॉलर प्रति औंस के साथ 17 साल का रिकॉर्ड तोड़ा। हालांकि, मंगलवार को यह 38.720 डॉलर प्रति औंस पर थी, जो अपने रिकॉर्ड हाई से 2% नीचे है। इस तेजी के पीछे सात प्रमुख कारण हैं, जिनका विस्तार से विश्लेषण नीचे किया गया है।
चांदी की कीमतों में तेजी का अवलोकन
जुलाई में वृद्धि: जुलाई के पहले हाफ में चांदी की कीमतों में 6,443 रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी देखी गई। 1 जुलाई को चांदी 1,06,713 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो 15 जुलाई को 1,12,735 रुपये तक पहुंच गई।
साप्ताहिक प्रदर्शन: बीते एक हफ्ते में चांदी की कीमतों में 4% से अधिक की वृद्धि हुई, जो 7 जुलाई को 1,08,321 रुपये से बढ़कर 15 जुलाई को 1,12,735 रुपये हो गई।
वैश्विक बाजार: COMEX पर सिल्वर फ्यूचर्स ने जुलाई में 7% की वृद्धि दर्ज की, जो 39.570 डॉलर प्रति औंस के शिखर पर पहुंची।
जुलाई में चांदी की कीमतों का दैनिक विवरण
तारीख | चांदी का क्लोजिंग प्राइस (रुपये प्रति किलोग्राम) |
|---|---|
15 जुलाई | 1,12,735 (कारोबारी सत्र के दौरान) |
14 जुलाई | 1,12,936 |
11 जुलाई | 1,13,001 |
10 जुलाई | 1,09,123 |
9 जुलाई | 1,07,265 |
8 जुलाई | 1,07,985 |
7 जुलाई | 1,08,321 |
4 जुलाई | 1,08,429 |
3 जुलाई | 1,08,236 |
2 जुलाई | 1,07,518 |
1 जुलाई | 1,06,713 |
स्रोत: मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX)
चांदी की कीमतों में तेजी के सात प्रमुख कारण
गोल्ड-सिल्वर रेशियो में गिरावट
बीते एक महीने में गोल्ड-सिल्वर रेशियो में 20% की कमी देखी गई है। 22 अप्रैल को यह रेशियो 107 के स्तर पर था, जो अब घटकर 86.20 पर आ गया है। इस गिरावट ने चांदी की कीमतों को बेहतर प्रदर्शन करने में मदद की है, क्योंकि निवेशक चांदी को सोने की तुलना में अधिक आकर्षक मान रहे हैं।डॉलर इंडेक्स में कमजोरी
डॉलर इंडेक्स में 2025 में 10% की गिरावट देखी गई है, जिसमें पिछले तीन महीनों में 2.27% की कमी शामिल है। डॉलर की कमजोरी चांदी की कीमतों के लिए सकारात्मक रही है, क्योंकि कमजोर डॉलर कीमती धातुओं की मांग को बढ़ाता है।जियो-पॉलिटिकल टेंशन में कमी
हाल के महीनों में जियो-पॉलिटिकल तनाव में कमी आई है। इसके अलावा, ट्रंप टैरिफ से संबंधित अनिश्चितताएं बाजार ने अवशोषित कर ली हैं। इससे सर्राफा बाजार में स्थिरता आई है, जिसका फायदा सोने और चांदी की कीमतों को मिल रहा है।ईटीएफ में बढ़ती खरीदारी
चांदी के एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETFs) में निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जून 2024 से मई 2025 तक चांदी ETF का AUM (एसेट्स अंडर मैनेजमेंट) 7,473.34 करोड़ रुपये से बढ़कर 16,866.20 करोड़ रुपये हो गया, जो 125.68% की वृद्धि दर्शाता है। मई 2025 तक 8.37 लाख से अधिक चांदी ETF निवेशक फोलियो दर्ज किए गए।आपूर्ति में कमी
चांदी का बाजार लगातार पांचवें साल आपूर्ति घाटे में है। खनन और रिफाइनिंग से नई आपूर्ति सीमित है, जिसके कारण कीमतों में तेजी देखी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घाटा आने वाले समय में और बढ़ सकता है।सोलर एनर्जी और इंडस्ट्रीयल डिमांड
सोलर पैनल निर्माण में चांदी की मांग में भारी वृद्धि हुई है। 2025 में चांदी की औद्योगिक मांग 70 करोड़ औंस के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। ग्रीन एनर्जी की बढ़ती मांग और ट्रंप प्रशासन द्वारा चीन के साथ टैरिफ मुद्दों के समाधान ने औद्योगिक मांग को और बढ़ावा दिया है।तकनीकी ब्रेकआउट
घरेलू बाजार में चांदी ने 1,10,000 रुपये के प्रतिरोध स्तर को निर्णायक रूप से तोड़ा और केवल तीन सत्रों में 4,000 रुपये से अधिक की वृद्धि दर्ज की। हालांकि, फेडरल रिजर्व द्वारा जुलाई में ब्याज दरों में कटौती न करने और सितंबर में सीमित ढील के संकेतों के बाद सतर्कता बरतने की सलाह दी जा रही है।
वैश्विक बाजार में 17 साल का रिकॉर्ड
COMEX पर सिल्वर फ्यूचर्स ने 14 जुलाई को 39.570 डॉलर प्रति औंस के साथ 17 साल का रिकॉर्ड तोड़ा। जुलाई में 7% की वृद्धि के बावजूद, मंगलवार को कीमतें 38.720 डॉलर प्रति औंस पर थीं, जो 24 घंटे में 2% की गिरावट दर्शाती है। यह उतार-चढ़ाव निवेशकों के लिए सतर्कता का संकेत है।
भविष्य का परिदृश्य
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के अनुसार, चांदी की कीमतों में तेजी का सिलसिला जारी रह सकता है। फेडरल रिजर्व द्वारा संभावित ब्याज दर कटौती, डॉलर इंडेक्स में कमजोरी, आपूर्ति घाटा, और बढ़ती औद्योगिक मांग इसके प्रमुख कारण होंगे। केडिया का अनुमान है कि 2025 के अंत तक चांदी की कीमतें 1.25 लाख से 1.30 लाख रुपये प्रति किलोग्राम के बीच हो सकती हैं।
