- भारत,
- 12-Jun-2025 09:49 AM IST
Reliance Power: मुंबई से एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसने अनिल अंबानी के कारोबारी भविष्य को नई उम्मीद दी है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की सब्सिडियरी कंपनी मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड (MMOPL) के पक्ष में फैसला सुनाया है। अदालत ने मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MMRDA) को निर्देश दिया है कि वह MMOPL को ₹1,169 करोड़ का भुगतान करे।
क्या है पूरा मामला?
यह विवाद मुंबई मेट्रो लाइन-1 (वर्सोवा-अंधेरी-घाटकोपर) को लेकर था, जिसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत तैयार किया गया था। इस परियोजना में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की प्रमुख हिस्सेदारी थी। MMOPL ने अदालत में दावा किया कि उसने परियोजना में अनुमान से कहीं अधिक निवेश किया, लेकिन MMRDA की ओर से तयशुदा भुगतान नहीं किया गया।
इस मुद्दे को लेकर दोनों पक्षों के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था, जिसे अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुलझा दिया है।
कोर्ट का फैसला
बॉम्बे हाईकोर्ट ने MMOPL के पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि उसका दावा कानूनी और संविदात्मक शर्तों पर आधारित है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से MMRDA को आदेश दिया कि वह ₹1,169 करोड़ का भुगतान जल्द से जल्द करे।
अनिल अंबानी के लिए बड़ी जीत
यह फैसला अनिल अंबानी के लिए न सिर्फ कानूनी राहत है बल्कि वित्तीय दृष्टिकोण से भी एक अहम मोड़ है। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, जो पिछले कुछ वर्षों से आर्थिक कठिनाइयों से जूझ रही थी, अब इस फैसले के बाद थोड़ी स्थिरता की ओर बढ़ सकती है।
MMOPL वास्तव में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और MMRDA के बीच एक जॉइंट वेंचर है। इसमें रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की 74% हिस्सेदारी है, जबकि शेष MMRDA के पास है। यह वेंचर मुंबई की पहली मेट्रो लाइन को सफलतापूर्वक चला रहा है।
अंधेरे से उजाले की ओर: अनिल अंबानी की वापसी
अनिल अंबानी की कहानी बिजनेस की दुनिया में एक बड़ी सीख के तौर पर देखी जाती है। 2008 में वे दुनिया के छठे सबसे अमीर व्यक्ति थे, जिनकी संपत्ति करीब 42 अरब डॉलर थी। लेकिन अगले दशक में वे तेजी से गिरावट की ओर बढ़े। उनके प्रमुख बिजनेस – रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस कैपिटल – दिवालियापन की स्थिति में पहुंच गए।
2020 में उन्होंने ब्रिटेन की अदालत में खुद को दिवालिया घोषित किया। 2019 में एरिक्सन को भुगतान न करने के चलते वे जेल जाने की कगार पर पहुंच गए थे, जहां उनके भाई मुकेश अंबानी ने अंतिम समय में मदद की।
2024 में सेबी ने उन्हें सिक्योरिटीज मार्केट से प्रतिबंधित किया, जिससे उनकी साख को और झटका लगा। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। उनकी कंपनियों के प्रदर्शन में सुधार देखा जा रहा है और इस कानूनी जीत के बाद उनकी नेटवर्थ में भी इजाफा हो सकता है।
