- भारत,
- 09-Jul-2025 07:20 PM IST
Udaipur Files: हिंदी सिनेमा में इन दिनों उदयपुर फाइल्स को लेकर खासा चर्चा है। विजय राज के अभिनय से सजी यह फिल्म 11 जुलाई 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है। इस फिल्म में विजय राज के साथ रजनीश दुग्गल, प्रीति झंगियानी, कमलेश सावंत और मुश्ताक खान जैसे कलाकार भी अहम भूमिकाओं में नजर आएंगे। हाल ही में रिलीज हुए इसके ट्रेलर ने न केवल दर्शकों का ध्यान खींचा, बल्कि एक बड़े विवाद को भी जन्म दिया। जमीयत उलेमा-ए-हिंद, जमाअत-ए-इस्लामी और समाजवादी पार्टी के नेता अबू आसिम आजमी जैसे संगठनों और नेताओं ने फिल्म पर बैन लगाने की मांग की है। आखिर इस फिल्म में ऐसा क्या है जो इसे इतना विवादास्पद बना रहा है? आइए, इसकी कहानी और विवाद के कारणों को विस्तार से समझते हैं।
उदयपुर फाइल्स की कहानी
उदयपुर फाइल्स की कहानी 28 जून 2022 को उदयपुर में हुए कन्हैयालाल साहू हत्याकांड पर आधारित है। इस जघन्य घटना में गोस मोहम्मद और रियाज अत्तारी नाम के दो व्यक्तियों ने कन्हैयालाल, जो पेशे से टेलर थे, की दुकान में घुसकर उनकी निर्मम हत्या कर दी थी। दोनों हमलावर कपड़े सिलवाने के बहाने दुकान में दाखिल हुए। घटना के दौरान, जब कन्हैयालाल ने एक व्यक्ति का नाम लेने की कोशिश की, तो हमलावरों ने धारदार हथियार से उन पर हमला कर दिया। कन्हैयालाल की चीखें और गुहार के बावजूद हमलावरों ने उनकी हत्या कर दी और उनका गला चाकू से रेत दिया।
इस हत्याकांड की क्रूरता यहीं खत्म नहीं हुई। हमलावरों ने इस घटना का वीडियो बनाया और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया, जिसके बाद देशभर में आक्रोश फैल गया। पुलिस ने महज दो दिनों में दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन इस मामले में आतंकी साजिश की आशंका के चलते केंद्रीय जांच एजेंसियों ने जांच अपने हाथ में ले ली। तीन साल बाद भी इस मामले में आरोपियों को सजा नहीं मिल पाई है, जो इस घटना की गंभीरता को और बढ़ाता है।
विवाद का कारण
फिल्म के ट्रेलर के रिलीज होते ही कई संगठनों और नेताओं ने इसे सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और नफरत फैलाने का जरिया बताया। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने दिल्ली हाई कोर्ट में फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की, जिसमें फिल्म पर सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने और आपत्तिजनक दृश्य दिखाने के आरोप लगाए गए। इसके अलावा, सोशल मीडिया से ट्रेलर हटाने की मांग भी की गई। कुछ समुदायों का मानना है कि यह फिल्म एक विशेष समुदाय को निशाना बनाकर बनाई गई है, जिससे कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है।
समाजवादी पार्टी के नेता अबू आसिम आजमी ने भी इस फिल्म को रिलीज न करने की मांग करते हुए कहा कि यह सामाजिक एकता को नुकसान पहुंचा सकती है। दूसरी ओर, फिल्म के निर्माताओं का कहना है कि यह केवल एक सच्ची घटना पर आधारित है और इसका उद्देश्य समाज में जागरूकता लाना है, न कि किसी समुदाय को बदनाम करना।
क्या है सच्चाई?
उदयपुर फाइल्स एक संवेदनशील विषय पर आधारित है, जो न केवल एक क्रूर हत्याकांड को दर्शाती है, बल्कि सामाजिक और कानूनी व्यवस्था पर भी सवाल उठाती है। फिल्म के ट्रेलर में दिखाए गए दृश्यों ने कुछ लोगों को यह सोचने पर मजबूर किया कि यह एक विशेष समुदाय के खिलाफ पक्षपातपूर्ण हो सकती है। हालांकि, फिल्म के निर्माताओं का दावा है कि यह एक तथ्यात्मक घटना को सिनेमाई रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास है।
विवाद का दूसरा पहलू यह भी है कि सिनेमा हमेशा से ही समाज का दर्पण रहा है। ऐसे में, क्या किसी सच्ची घटना को सिनेमा के माध्यम से दिखाना गलत है? या फिर इस तरह की फिल्में सामाजिक जागरूकता बढ़ाने के बजाय तनाव को और बढ़ा सकती हैं? यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है।
