देश / कोयला संकट को संभालने में कहां हो गई चूक, इन 5 वजहों से बढ़ी है किल्लत

Vikrant Shekhawat : Oct 12, 2021, 09:30 PM
New Delhi : देश के कई राज्यों में उत्पन्न बिजली संकट को लेकर केंद्र सरकार ने मंगलवार कहा कि कोयले की कमी के पीछे भारी बारिश है जिसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़ी हैं। केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि आयातित कोयले पर निर्भर पावर प्लांट 15-20 दिन से लगभग बंद हो गए हैं या उनकी उत्पादन क्षमता घट गई है। जिसके वजह से घरेलू कोयले पर निर्भरता बढ़ गई है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोयले कीअंतरराष्ट्रीय कीमतों में 60 रुपए प्रति टन से लेकर 190 रुपए प्रति टन की वृद्धि हुई। इसके बाद आयातित कोयला बिजली संयंत्र या तो 15-20 दिनों के लिए बंद हो गए या बहुत कम उत्पादन करते हैं। 

उन्होंने कहा कि हमने अपनी आपूर्ति जारी रखी है, यहां तक की बकाया होने के बाद भी आपूर्ति जारी है। हम उनसे (राज्यों) स्टॉक बढ़ाने का अनुरोध कर रहे हैं। कोयले की कमी नहीं होगी। बता दें कि इससे पहले जोशी ने देश में कोयले की कमी के कारण बिजली गुल होने से इनकार किया था।

ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार मौजूदा बिजली संकट के पीछे यह है वजह-

1- सितंबर में कोयला खदान क्षेत्रों में भारी बारिश ने कोयला उत्पादन के साथ-साथ खदानों से कोयले के परिवहन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला।

2- आयातित कोयले की कीमत में तेज वृद्धि, आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से बिजली उत्पादन में तेजी से कमी और घरेलू कोयले पर अधिक निर्भरता बढ़ी।

3- मानसून की शुरुआत से पहले कंपनियों द्वारा पर्याप्त कोयला की स्टॉक बनाने में विफलता भी एक कारण है।

4- कुछ राज्यों जैसे महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश की कोयला कंपनियों पर कोयले का भारी बकाया है। एक वजह यह भी है।

5- कोविड की दूसरी लहर के बाद अर्थव्यवस्था में उछाल के कारण बिजली की मांग और खपत में बड़ी वृद्धि हुई।

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER