Bengaluru Stampede / बेंगलुरु भगदड़ मामले में सरकार का बड़ा एक्शन, पुलिस कमिश्नर समेत कई अधिकारी सस्पेंड

बेंगलुरु भगदड़ मामले में कर्नाटक सरकार ने सख्त कार्रवाई की है। पुलिस कमिश्नर समेत कई वरिष्ठ अधिकारी निलंबित किए गए हैं। हादसे में 11 की मौत और 56 घायल हुए। आरसीबी, KSCA और इवेंट मैनेजर पर FIR दर्ज हुई है। हाई कोर्ट ने SOP उल्लंघन पर चिंता जताई है।

Bengaluru Stampede: बेंगलुरु में चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुई भीषण भगदड़ की घटना पर कर्नाटक सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। सरकार ने बुधवार को पुलिस कमिश्नर समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबित अधिकारियों में एडिशनल पुलिस कमिश्नर, सेंट्रल डिवीजन के डीसीपी, एसीपी, कब्बन पार्क थाना प्रभारी, स्टेशन हाउस ऑफिसर और क्रिकेट स्टेडियम इंचार्ज शामिल हैं।

यह कार्रवाई तब हुई जब हादसे में मरने वालों की संख्या 11 तक पहुंच गई, जबकि 56 से अधिक लोग घायल हैं। सरकार के इस कदम से कुछ घंटे पहले ही रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB), इवेंट मैनेजमेंट कंपनी DNA, और कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (KSCA) के खिलाफ कब्बन पार्क पुलिस स्टेशन में आपराधिक लापरवाही का मामला दर्ज किया गया था।

हाई कोर्ट की सख्ती के बाद तेज़ हुई जांच

कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस दुखद घटना पर स्वतः संज्ञान लिया था और राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट को बताया कि जांच जारी है और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कैसे अचानक ढाई लाख से अधिक लोग स्टेडियम के बाहर एकत्र हो गए।

यह भी सामने आया कि जिस चिन्नास्वामी स्टेडियम की क्षमता महज 35,000 है, वहां उस दिन करीब 3 लाख लोग पहुंच गए थे। इस भारी भीड़ को लेकर कोई पूर्व योजना या प्रबंधन नहीं किया गया था।

SOP की अनदेखी और अव्यवस्था

कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि कार्यक्रम के दौरान स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) का पालन नहीं किया गया। सरकार ने अपनी तरफ से यह स्वीकार किया कि आयोजन के लिए फ्री एंट्री रखी गई थी, जिससे भीड़ बेकाबू हो गई। इसके अलावा घटना स्थल पर आपात सेवाओं की कमी — जैसे पर्याप्त एंबुलेंस न होना — भी हादसे को और गंभीर बना गया।

सरकार पर बढ़ता दबाव

कोर्ट की सख्ती, जनता का आक्रोश और लगातार सामने आ रहे वीडियो फुटेज सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री कार्यालय खुद पूरे मामले की निगरानी कर रहा है और जांच रिपोर्ट के आधार पर और भी अधिकारी कटघरे में आ सकते हैं।