Bengaluru Stampede / RCB को बेंगलुरु भगदड़ के लिए ठहराया गया दोषी, HC को सौंपी गई रिपोर्ट में कई बड़े खुलासे

IPL 2025 की ट्रॉफी जीतने की खुशी में बेंगलुरु में हुए RCB समारोह में मची भगदड़ में कई लोगों की जान गई। कर्नाटक सरकार ने हाई कोर्ट में जो रिपोर्ट सौंपी, उसमें RCB प्रबंधन को दोषी ठहराया गया। अनुमति के बिना आयोजन, भीड़ नियंत्रण में विफलता, और अंतिम क्षणों में पास अनिवार्यता ने हालात बिगाड़े।

Bengaluru Stampede: बेंगलुरु में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) की IPL 2025 की ट्रॉफी जीत के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह के दौरान हुई भगदड़ ने शहर को झकझोर दिया। इस दुखद घटना में कई लोगों ने अपनी जान गंवाई, जिसके बाद कर्नाटक सरकार ने इस मामले में अपनी जांच पूरी कर हाई कोर्ट को स्टेटस रिपोर्ट सौंप दी है। कोर्ट ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का निर्देश दिया है। इस रिपोर्ट में चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुई भगदड़ के कारणों और जिम्मेदारियों को विस्तार से बताया गया है, जिसमें सारा दोष RCB प्रबंधन और आयोजकों पर डाला गया है। आइए, इस रिपोर्ट की प्रमुख बातों पर नजर डालते हैं।

औपचारिक अनुमति का अभाव

रिपोर्ट के अनुसार, आयोजन के लिए जिम्मेदार संस्था DNA ने 2009 के सिटी ऑर्डर के तहत आवश्यक औपचारिक अनुमति नहीं ली। आयोजकों ने 3 जून को बेंगलुरु पुलिस को विक्ट्री परेड की सूचना दी, लेकिन अनुमति के लिए औपचारिक आवेदन नहीं किया। परिणामस्वरूप, पुलिस ने इस आयोजन को मंजूरी देने से इनकार कर दिया।

RCB ने पुलिस के इनकार को नजरअंदाज किया

रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पुलिस द्वारा अनुमति देने से इनकार किए जाने के बावजूद, RCB ने आयोजन का प्रचार जारी रखा। 4 जून को, RCB ने सोशल मीडिया पर खुले तौर पर निमंत्रण साझा किए, जिसमें स्टार खिलाड़ी विराट कोहली का एक वीडियो संदेश भी शामिल था। इस वीडियो में कोहली ने प्रशंसकों से मुफ्त प्रवेश वाले समारोह में शामिल होने की अपील की थी। इस प्रचार ने भारी भीड़ को आकर्षित किया।

अप्रत्याशित भीड़ और प्रबंधन की कमी

कर्नाटक सरकार की रिपोर्ट में बताया गया है कि समारोह में 3 लाख से अधिक लोग उमड़े, जो आयोजकों की उम्मीदों और भीड़ प्रबंधन की क्षमता से कहीं ज्यादा था। इतनी बड़ी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस योजना नहीं थी, जिसके परिणामस्वरूप स्थिति अनियंत्रित हो गई।

आखिरी समय में पास की अनिवार्यता

आयोजन के दिन दोपहर 3:14 बजे, आयोजकों ने अचानक घोषणा की कि स्टेडियम में प्रवेश के लिए पास अनिवार्य होगा। यह घोषणा पहले किए गए मुफ्त प्रवेश के ऐलान के विपरीत थी। इस अप्रत्याशित बदलाव ने प्रशंसकों के बीच भ्रम और दहशत का माहौल पैदा कर दिया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।

क्राउड मैनेजमेंट में खामियां

रिपोर्ट में RCB, DNA, और कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (KSCA) के बीच समन्वय की कमी को प्रमुख कारण बताया गया है। प्रवेश द्वारों पर खराब प्रबंधन और देरी से खुलने के कारण भगदड़ मच गई। इस घटना में सात पुलिसकर्मी भी घायल हुए। आयोजकों ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए थे।

सीमित कार्यक्रम की अनुमति

पुलिस ने स्थिति को और बिगड़ने से रोकने के लिए नियंत्रित परिस्थितियों में सीमित आयोजन की अनुमति दी थी। हालांकि, इस अनुमति का भी पूरी तरह पालन नहीं किया गया।

घटना के बाद की कार्रवाई

भगदड़ की इस दुखद घटना के बाद कर्नाटक सरकार ने कई कदम उठाए, जिनमें शामिल हैं:

  • मामले की मजिस्ट्रेट और न्यायिक जांच शुरू की गई।

  • घटना के संबंध में एफआईआर दर्ज की गई।

  • जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई।

  • मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव को निलंबित कर दिया गया।

  • राज्य खुफिया प्रमुख का तबादला कर दिया गया।

  • पीड़ितों के लिए मुआवजे की घोषणा की गई।