- भारत,
- 23-May-2025 06:30 AM IST
Gautam Adani News: देश के दूसरे सबसे अमीर उद्योगपति गौतम अडानी की प्रमुख कंपनी अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड (Adani Ports and SEZ Ltd.) ने हाल ही में सिंगापुर स्थित डीबीएस ग्रुप होल्डिंग लिमिटेड से 150 मिलियन डॉलर (लगभग 1290 करोड़ रुपये) का लोन हासिल किया है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस लोन का उपयोग कंपनी के पूंजीगत व्यय (capital expenditure) के लिए किया जाएगा, जिससे उसके बुनियादी ढांचे और परिचालन क्षमताओं में विस्तार की उम्मीद है।
4 साल की अवधि, 5.5% कुल लागत
जानकारी के अनुसार, यह लोन चार साल की अवधि के लिए है और इसे 200 अंक के बेंचमार्क सिक्योर्ड ओवरनाइट फाइनेंसिंग रेट (SOFR) पर जारी किया गया है। एक सूत्र ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि हेजिंग लागत जोड़ने पर इस लोन की कुल कीमत लगभग 5.5% बैठती है। हालांकि, इस वित्तीय लेन-देन पर डीबीएस ग्रुप और अडानी समूह — दोनों ने कोई आधिकारिक टिप्पणी करने से इनकार किया है।
निवेशकों का भरोसा फिर से मजबूत कर रहा है अडानी ग्रुप
पिछले कुछ वर्षों में अडानी ग्रुप की कंपनियों ने अंतरराष्ट्रीय निवेशकों और ऋणदाताओं के बीच अपने विश्वास को दोबारा मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। नवंबर 2024 में कथित रिश्वतखोरी के आरोपों के बाद यह समूह एक बार फिर से वित्तीय संस्थानों के बीच सकारात्मक छवि बना रहा है। इसी क्रम में, पिछले महीने अडानी ग्रुप ने एक निर्माण फर्म के अधिग्रहण के लिए 750 मिलियन डॉलर (लगभग 6447 करोड़ रुपये) का बड़ा लोन भी लिया था।
इसके अलावा, अडानी समूह अब अपनी एयरपोर्ट संचालन कंपनी के विस्तार के लिए भी बार्कलेज पीएलसी, फर्स्ट अबू धाबी बैंक पीजेएससी, और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक से बातचीत कर रहा है, जिसकी अनुमानित राशि भी 6447 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
अंबानी का लोन: साल का सबसे बड़ा डील
जहां अडानी ग्रुप अपने रणनीतिक विस्तार पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, वहीं रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी ने 2025 में अब तक का सबसे बड़ा विदेशी ऋण समझौता किया है। 2.9 अरब डॉलर (करीब 25,000 करोड़ रुपये) का यह लोन 55 बैंकों के एक सिंडिकेट द्वारा दिया गया है, जो एशिया में इस साल का सबसे बड़ा सिंडिकेटेड लोन माना जा रहा है।
इस समझौते को दो हिस्सों में बांटा गया है — पहला हिस्सा 2.4 अरब डॉलर और दूसरा 67.7 अरब जापानी येन (करीब 462 मिलियन डॉलर) का है। 9 मई को इस सौदे को अंतिम रूप दिया गया।
लोन लेना: रणनीति या जरूरत?
भारतीय कॉर्पोरेट सेक्टर में बड़े उद्योगपतियों द्वारा लिए जा रहे इन कर्जों से स्पष्ट होता है कि चाहे अडानी हो या अंबानी — दोनों ही समूह रणनीतिक विस्तार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिके रहने के लिए आक्रामक पूंजी निवेश कर रहे हैं। यह रुझान भारतीय अर्थव्यवस्था के बुनियादी ढांचे, ऊर्जा और परिवहन क्षेत्रों में बड़े बदलाव और निवेश संभावनाओं का संकेत देता है।