US Tourist Visa / अमेरिका की कड़ी चेतावनी: 'बर्थ टूरिज्म' के लिए नहीं मिलेगा टूरिस्ट वीजा, जानें पूरा नियम

अमेरिका ने भारतीय यात्रियों को 'बर्थ टूरिज्म' के खिलाफ कड़ी चेतावनी दी है। यदि यात्रा का मुख्य उद्देश्य बच्चे को अमेरिकी नागरिकता दिलाना है, तो टूरिस्ट वीजा नहीं मिलेगा। ट्रंप सरकार के इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिससे 125 साल पुराने कानून में बदलाव की संभावना है।

अमेरिका ने भारतीय यात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण अलर्ट जारी किया है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी व्यक्ति का प्राथमिक इरादा अमेरिका में बच्चे को जन्म देना और उसे अमेरिकी नागरिकता दिलाना है, तो उसे पर्यटक वीजा प्रदान नहीं किया जाएगा। यह चेतावनी उन लोगों के लिए है जो 'बर्थ टूरिज्म' के माध्यम से अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं। अमेरिकी दूतावास ने भारत में एक आधिकारिक पोस्ट के माध्यम से इस नीति को दोहराया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि वीजा अधिकारी को यदि यात्रा के इस छिपे हुए उद्देश्य का आभास होता है, तो वीजा आवेदन तुरंत खारिज कर दिया जाएगा।

कड़े हुए नियम और उनका प्रभाव

यह नियम कोई नया नहीं है, बल्कि इसे अब और अधिक सख्ती से लागू किया जा रहा है। अमेरिका घूमने का सपना देखने वाले भारतीय पर्यटकों को अब अपनी यात्रा के उद्देश्य को लेकर बेहद सावधान रहना होगा। यदि वीजा अधिकारी को जरा भी संदेह होता है कि यात्रा का मुख्य उद्देश्य अमेरिका में बच्चे को जन्म देना और जन्मसिद्ध नागरिकता प्राप्त करना है, तो ऐसे आवेदकों को पर्यटक वीजा बिल्कुल नहीं मिलेगा। यह कदम अमेरिका की इमिग्रेशन पॉलिसी में एक बड़े बदलाव का हिस्सा है, जिसने दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर खींचा है और कई देशों के यात्रियों को प्रभावित किया है। अमेरिका में जन्मसिद्ध नागरिकता का मुद्दा लंबे समय से बहस का विषय रहा है। बीते 20 जनवरी को तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें यह प्रावधान था कि केवल अमेरिका में जन्म लेने भर से किसी बच्चे को अमेरिकी नागरिकता नहीं मिलनी चाहिए, विशेषकर तब जब उसके माता-पिता अमेरिका में अवैध रूप से या अस्थायी तौर पर रह रहे हों। ट्रंप प्रशासन का मानना था कि इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है और यह देश पर अनावश्यक बोझ डाल रहा है। यह निर्णय अमेरिकी आव्रजन नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत था, जिसका उद्देश्य देश की सीमाओं को मजबूत करना और अवैध आव्रजन को हतोत्साहित करना था।

सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा मामला

ट्रंप के इस कार्यकारी आदेश की संवैधानिकता को अब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। कोर्ट ने इस आदेश की समीक्षा करने का फैसला किया है, जिससे यह मुद्दा और भी महत्वपूर्ण हो गया है। यदि सुप्रीम कोर्ट ट्रंप के पक्ष में फैसला सुनाता है, तो यह 125 साल पुराने उस कानून को बदल देगा जो जन्मसिद्ध नागरिकता प्रदान करता है। यह कानून मूल रूप से गृहयुद्ध के समय अफ्रीकी-अमेरिकी दासों के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया था, लेकिन समय के साथ इसके दायरे और व्याख्या पर बहस तेज हो गई है और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अमेरिका की आव्रजन नीति और नागरिकता कानूनों के भविष्य पर गहरा प्रभाव डालेगा।

अमेरिका क्यों अपना रहा है कड़ा रुख?

पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के अनुसार, अमेरिका जन्मसिद्ध नागरिकता के माध्यम से आने वाले लाखों लोगों का बोझ उठाने की स्थिति में नहीं है। उनका तर्क है कि यह संवैधानिक प्रावधान, जो मूल रूप से गृहयुद्ध के दौरान अफ्रीकी-अमेरिकी दासों के अधिकारों के संरक्षण के लिए किया गया था, अब अपने मूल उद्देश्य से भटक गया है और इसका दुरुपयोग हो रहा है और ट्रंप प्रशासन का मानना था कि इस नीति के कारण बड़ी संख्या में लोग सिर्फ बच्चे को जन्म देने के उद्देश्य से अमेरिका आ रहे हैं, जिससे देश के संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है। इस कड़े रुख का उद्देश्य देश की इमिग्रेशन प्रणाली में सुधार लाना और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना है।

पहले से जन्मे बच्चों की नागरिकता पर अनिश्चितता

इस नीतिगत बदलाव के बीच एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या पहले। से जन्मे उन बच्चों की नागरिकता भी छिनेगी, जिन्हें जन्मसिद्ध नागरिकता मिली हुई है। इस सवाल पर ट्रंप ने अब तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है और उन्होंने कहा कि इस बारे में उन्होंने अभी कोई विचार नहीं किया है, जिससे भविष्य को लेकर और भी ज्यादा अनिश्चितता बढ़ गई है। यह स्थिति उन परिवारों के लिए चिंता का विषय है जिनके बच्चे पहले ही अमेरिका में जन्म ले चुके हैं और अमेरिकी नागरिकता प्राप्त कर चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले और भविष्य की नीतियों पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि इसका प्रभाव लाखों लोगों के जीवन पर पड़ सकता है।