- भारत,
- 05-Sep-2025 07:20 AM IST
Indian Economy: हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत की अर्थव्यवस्था को "डेड इकोनॉमी" कहकर नकारात्मक टिप्पणी की और भारतीय आयात पर 50% टैरिफ लागू कर दिया। यह टैरिफ, जो पहले 25% था और बाद में रूस से तेल खरीदने के कारण अतिरिक्त 25% बढ़ाया गया, भारत के कई उद्योगों, जैसे चमड़ा और कपड़ा, पर भारी पड़ रहा है। भारत, जो अमेरिका को सालाना 87 अरब डॉलर का निर्यात करता है, इस टैरिफ से प्रभावित हो सकता है, क्योंकि इसके 66% निर्यात पर असर पड़ने की संभावना है।
ट्रंप की यह नीति "मेक इन अमेरिका" के तहत अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और विदेशी आयात पर निर्भरता कम करने का हिस्सा है। हालांकि, यह नीति वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता पैदा कर रही है और कई देशों, खासकर भारत, के साथ व्यापारिक रिश्तों को तनावपूर्ण बना रही है।
अमेरिकी कंपनियों का भारत पर बढ़ता भरोसा
ट्रंप की टिप्पणियों और टैरिफ के बावजूद, अमेरिकी कंपनियां और निवेशक भारत को एक आकर्षक निवेश गंतव्य के रूप में देख रहे हैं। खासकर सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में भारत तेजी से उभर रहा है। अमेरिकी इंजीनियरिंग कंपनी जैकब्स सॉल्यूशंस इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश और विस्तार कर रही है, जो यह दर्शाता है कि भारत की आर्थिक क्षमता पर अमेरिकी कंपनियों का भरोसा बरकरार है।
जैकब्स सॉल्यूशंस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष वडलामुडी ने बताया कि भारत में सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में कई महत्वाकांक्षी परियोजनाएं चल रही हैं। उदाहरण के लिए, गुजरात के धोलेरा में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री इस क्षेत्र की ताकत को बढ़ा रही है। यह न केवल एक उत्पादन इकाई है, बल्कि इसके साथ एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित हो रहा है, जिसमें उपकरण निर्माता, गैस सप्लायर्स, और डिजाइन कंपनियां शामिल हैं। यह पारिस्थितिकी तंत्र भारत को सेमीकंडक्टर उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग का उभरता परिदृश्य
भारत सरकार की सेमीकंडक्टर मिशन और मेक इन इंडिया पहल ने इस क्षेत्र में निवेश को आकर्षित किया है। वडलामुडी के अनुसार, भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग अभी अपने शुरुआती चरण में है, लेकिन इसका आधार मजबूत हो रहा है। भारत की विशाल बाजार क्षमता, कुशल मानव संसाधन, और तकनीकी विशेषज्ञता इसे निवेश के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाते हैं।
जैकब्स सॉल्यूशंस जैसे वैश्विक खिलाड़ी भारत में लंबी अवधि के लिए निवेश की संभावनाएं तलाश रहे हैं। वडलामुडी ने बताया कि भारत में कर्मचारियों को वैश्विक मानकों पर प्रशिक्षित किया गया है। कई भारतीय इंजीनियरों ने अमेरिका और यूरोप की फैक्ट्रियों में काम किया है, जिससे उन्हें नई तकनीकों और कार्यप्रणालियों की गहरी समझ है। यह अनुभव भारत को सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में एक मजबूत खिलाड़ी बनाने में मदद कर रहा है।
वैश्विक भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच भारत की स्थिति
ट्रंप की टैरिफ नीति ने वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता पैदा की है, लेकिन भारत ने इस चुनौती को अवसर में बदलने की दिशा में कदम उठाए हैं। भारतीय वाणिज्य मंत्रालय युद्ध स्तर पर काम कर रहा है ताकि निर्यात को केवल अमेरिका तक सीमित न रखकर यूरोप, जापान, और दक्षिण कोरिया जैसे अन्य बाजारों में विस्तार किया जाए।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था की गतिशीलता, उच्च बचत और निवेश दरें, और अनुकूल जनसांख्यिकी इसे दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाती है। ईवाई इकोनमी वॉच के अनुसार, क्रय शक्ति समता (PPP) के आधार पर भारत की अर्थव्यवस्था 2030 तक 20.7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है, और 2038 तक यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकती है।
ट्रंप की नीतियों का जवाब: आत्मनिर्भर भारत
ट्रंप की टैरिफ नीति और नकारात्मक बयानों के जवाब में भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। सेमीकंडक्टर, रक्षा, और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मई 2020 में घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का उद्देश्य घरेलू उद्योगों को मजबूत करना और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की स्थिति को बेहतर करना है।
इसके अलावा, भारत में उपभोक्ता अमेरिकी ब्रांड्स के बजाय स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता देने की अपील पर जोर दे रहे हैं। यह कदम न केवल आयात पर निर्भरता को कम करेगा, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को और मजबूत करेगा।
