Economy of India / भारत बना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, 2025 के अंत तक जापान को पछाड़ा

भारत ने 2025 के अंत तक एक बड़ी आर्थिक उपलब्धि हासिल की है, जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। देश का सकल घरेलू उत्पाद 4.18 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है, और 2030 तक जर्मनी को पछाड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य है।

भारत ने साल 2025 के जाते-जाते एक ऐतिहासिक आर्थिक मील का पत्थर हासिल कर लिया है, जब उसने जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा प्राप्त कर लिया। यह उपलब्धि देश की तेजी से बढ़ती आर्थिक शक्ति और वैश्विक मंच पर इसके बढ़ते प्रभाव का प्रमाण है। सरकार द्वारा जारी की गई जानकारी के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था अब 4. 18 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) तक पहुंच गई है, जो इसे वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करती है। यह न केवल एक संख्यात्मक वृद्धि है, बल्कि भारत की मजबूत आर्थिक नीतियों, संरचनात्मक सुधारों और घरेलू खपत में वृद्धि का भी परिणाम है।

सरकारी घोषणा और आर्थिक स्थिति

भारत सरकार ने हाल ही में एक विज्ञप्ति के माध्यम से इस महत्वपूर्ण उपलब्धि की पुष्टि की है। विज्ञप्ति में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 4. 18 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद के साथ, भारत ने जापान को पीछे छोड़ दिया है और अब वह दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और यह घोषणा देश के लिए एक बड़ी खुशखबरी है और यह दर्शाता है कि भारत वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद लगातार प्रगति कर रहा है। सरकार ने यह भी बताया कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है, और इसकी विकास दर ने सभी उम्मीदों को पार कर लिया है। इसके अलावा, सरकार ने एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य भी निर्धारित किया है: 2030 तक, भारत का सकल घरेलू उत्पाद 7. 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जिससे यह। जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। यह लक्ष्य भारत की दीर्घकालिक आर्थिक रणनीति और विकास की निरंतर गति में विश्वास को दर्शाता है।

वैश्विक आर्थिक पटल पर भारत का स्थान

इस नवीनतम उपलब्धि के साथ, दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं का क्रम बदल गया है। अब, वैश्विक आर्थिक पदानुक्रम में, संयुक्त राज्य अमेरिका पहले स्थान पर, चीन दूसरे स्थान पर, जर्मनी तीसरे स्थान पर, भारत चौथे स्थान पर और जापान पांचवें स्थान पर है। यह बदलाव भारत की बढ़ती आर्थिक शक्ति और वैश्विक व्यापार एवं निवेश में इसकी बढ़ती भूमिका को रेखांकित करता है। भारत का यह उत्थान केवल संख्याओं का खेल नहीं है, बल्कि यह लाखों लोगों के जीवन में सुधार लाने, रोजगार के अवसर पैदा करने और देश को एक मजबूत भविष्य की ओर ले जाने की क्षमता को भी दर्शाता है। यह स्थिति भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर और अधिक मुखर होने तथा वैश्विक आर्थिक नीतियों को प्रभावित करने का अवसर प्रदान करती है।

अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं का भारत पर भरोसा

सरकारी विज्ञप्ति में इस बात पर विशेष जोर दिया गया है कि भारत की विकास गति ने उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन किया है। विशेष रूप से, 2025-26 की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद छह-तिमाही के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जो वैश्विक व्यापार में जारी अनिश्चितताओं के बीच भारत की आर्थिक मजबूती को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। यह मजबूत प्रदर्शन मुख्य रूप से घरेलू कारकों द्वारा संचालित है, जिसमें मजबूत निजी खपत ने इस विस्तार में केंद्रीय भूमिका निभाई है और भारत की विशाल आबादी और बढ़ती क्रय शक्ति ने घरेलू मांग को बढ़ावा दिया है, जिससे विनिर्माण, सेवा और कृषि क्षेत्रों में वृद्धि हुई है।

इसके अतिरिक्त, सरकार द्वारा किए गए संरचनात्मक सुधारों और निवेश-अनुकूल नीतियों ने भी इस गति को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह आंतरिक शक्ति भारत को बाहरी झटकों से बचाने और सतत विकास पथ पर आगे बढ़ने में मदद करती है। भारत की आर्थिक प्रगति पर वैश्विक संस्थाओं ने भी गहरा विश्वास व्यक्त किया है। वर्ल्ड बैंक ने 2026 में भारत के लिए 6. 5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है, जो इसकी मजबूत विकास क्षमता को दर्शाता है।

मूडीज ने भविष्यवाणी की है कि भारत 2026 में 6. 4 प्रतिशत और 2027 में 6. 5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ सबसे तेजी से बढ़ने वाली जी20 अर्थव्यवस्था बना रहेगा और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी अपने अनुमानों को संशोधित करते हुए 2025 के लिए 6. 6 प्रतिशत और 2026 के लिए 6. 2 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) ने 2025 में 6 और 7 प्रतिशत और 2026 में 6. 2 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है। इसके अलावा, एस एंड पी (S&P) ने चालू वित्त वर्ष में 6. 5 प्रतिशत और अगले में 6. 7 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है। एशियाई विकास बैंक (ADB) ने अपना 2025 का पूर्वानुमान बढ़ाकर 7. 2 प्रतिशत कर दिया है, जबकि फिच (Fitch) ने मजबूत उपभोक्ता मांग के कारण अपने वित्त वर्ष 2026 के अनुमान को बढ़ाकर 7. 4 प्रतिशत कर दिया है और ये सभी अनुमान भारत की आर्थिक स्थिरता और विकास की संभावनाओं पर वैश्विक सहमति को दर्शाते हैं।

भविष्य की राह और लक्ष्य

सरकार ने स्पष्ट किया है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं। में से एक है और इस गति को बनाए रखने के लिए पूरी तरह तैयार है। देश अपनी स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष, यानी 2047 तक उच्च मध्य-आय वाला देश बनने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है और यह लक्ष्य केवल आर्थिक विकास तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें संरचनात्मक सुधारों और सामाजिक प्रगति की मजबूत नींव भी शामिल है। भारत सरकार आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, व्यापार को सुगम बनाने और नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह मजबूत नींव भारत को न केवल आर्थिक रूप से, बल्कि सामाजिक और मानवीय विकास के मोर्चे पर भी आगे बढ़ने में मदद करेगी, जिससे एक समृद्ध और समावेशी भविष्य का निर्माण होगा। यह यात्रा भारत को वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।