World Health Organization: अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में हलचल मचाते हुए अमेरिका ने एक बार फिर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से अलग होने का निर्णय लिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शपथ ग्रहण के तुरंत बाद इस फैसले की घोषणा ने वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय और राजनीतिक हलकों में चिंताएं बढ़ा दी हैं।
ट्रंप का ऐतिहासिक निर्णय
डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद अपने कार्यकाल के पहले दिन ही अमेरिका को WHO से बाहर निकालने के लिए शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किए। यह फैसला उनके पिछले कार्यकाल की नीतियों का ही विस्तार प्रतीत होता है, जब उन्होंने WHO की आलोचना करते हुए अमेरिका को इससे अलग करने की कोशिश की थी। हालांकि, उनके उत्तराधिकारी जो बाइडेन ने 2021 में इस योजना को पलटते हुए अमेरिका को WHO में वापस लाया था।इस बार ट्रंप ने औपचारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र महासचिव को पत्र लिखकर अमेरिका की वापसी की प्रक्रिया शुरू करने की सूचना दी है। पांच वर्षों में यह दूसरी बार है जब अमेरिका ने इस वैश्विक संस्था से अलग होने का आदेश दिया है।
WHO की प्रतिक्रिया और उम्मीदें
WHO ने इस निर्णय पर खेद जताते हुए बयान जारी किया। संगठन ने कहा,
“विश्व स्वास्थ्य संगठन इस घोषणा पर खेद व्यक्त करता है कि अमेरिका संगठन से हटना चाहता है। हमें उम्मीद है कि अमेरिका इस पर पुनर्विचार करेगा और हम अमेरिका के साथ रचनात्मक बातचीत में संलग्न होने के लिए तत्पर हैं।”WHO ने इस बात पर जोर दिया कि वह दुनिया भर के लोगों की सेहत और भलाई को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संगठन ने कहा कि वह बीमारियों की रोकथाम, स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने और खतरनाक परिस्थितियों में स्वास्थ्य आपात स्थितियों का जवाब देने जैसे कार्यों में जुटा रहता है।
अमेरिका और WHO: एक पुराना रिश्ता
1948 में WHO के संस्थापक सदस्य के रूप में, अमेरिका ने दशकों तक इस वैश्विक स्वास्थ्य संस्था में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। संगठन के कार्यक्रमों और नीतियों को आकार देने में अमेरिका की भागीदारी उल्लेखनीय रही है। अमेरिका न केवल आर्थिक सहायता का एक बड़ा स्रोत रहा है, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य संकटों से निपटने के लिए अपनी विशेषज्ञता और संसाधन भी प्रदान करता रहा है।
ट्रंप की आलोचना और WHO की भूमिका
डोनाल्ड ट्रंप लंबे समय से WHO की आलोचना करते रहे हैं। उनका दावा है कि संगठन ने कई बार अपनी जिम्मेदारियों का ठीक से निर्वहन नहीं किया और कुछ बड़े स्वास्थ्य संकटों, विशेष रूप से COVID-19 महामारी के दौरान, प्रभावी ढंग से काम नहीं किया।हालांकि, WHO ने खुद को इस आलोचना से अलग रखते हुए कहा कि वह वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। WHO के अनुसार, उसका काम बीमारियों के प्रकोप को रोकने, उनका पता लगाने और उनका जवाब देने तक सीमित नहीं है, बल्कि वह स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने और हर नागरिक के स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए भी काम करता है।
वैश्विक स्वास्थ्य पर प्रभाव
अगर अमेरिका वास्तव में WHO से अलग होता है, तो इसका असर सिर्फ संस्था के बजट पर नहीं, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य पहलों पर भी पड़ेगा। अमेरिका WHO का एक प्रमुख योगदानकर्ता है और इसके निर्णयों में एक मजबूत प्रभाव रखता है।इस फैसले से न केवल वैश्विक स्वास्थ्य प्रयास कमजोर हो सकते हैं, बल्कि विकासशील देशों को आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में भी बाधा आ सकती है। इसके अलावा, यह निर्णय अमेरिका की वैश्विक नेतृत्व क्षमता और सहयोग की प्रतिबद्धता पर भी सवाल खड़ा करता है।
निष्कर्ष
डब्ल्यूएचओ से अमेरिका का अलग होना न केवल वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय के लिए, बल्कि अमेरिका के लिए भी एक महत्वपूर्ण निर्णय है। WHO ने उम्मीद जताई है कि अमेरिका इस फैसले पर पुनर्विचार करेगा और वैश्विक स्वास्थ्य प्रयासों में अपनी भूमिका बनाए रखेगा।फिलहाल, दुनिया इस स्थिति को लेकर चिंतित है, क्योंकि स्वास्थ्य संकट और महामारी के समय में वैश्विक एकजुटता और सहयोग की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है। अब यह देखना होगा कि इस फैसले का वैश्विक स्वास्थ्य और अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।