US-Europe Relations / लीक दस्तावेज से खुलासा: अमेरिका क्यों चाहता है यूरोप को कमजोर करना?

एक ब्रिटिश अखबार के लीक दस्तावेज के मुताबिक, अमेरिका यूरोपीय यूनियन को कमजोर कर एशियाई देशों के साथ नया गठबंधन बनाना चाहता है। दावा है कि ट्रंप प्रशासन EU में सरकारें बदलने, NATO खर्च का बोझ घटाने और Core-5 के जरिए नई वैश्विक व्यवस्था बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है। हालांकि, अमेरिका ने दस्तावेज को फर्जी बताया है।

ब्रिटिश अखबार द टेलीग्राफ ने हाल ही में एक ड्राफ्ट दस्तावेज के लीक होने का दावा किया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि अमेरिका, यूरोप को रणनीतिक रूप से कमजोर करना चाहता है। इस दस्तावेज के अनुसार, अमेरिका भारत, चीन और अन्य एशियाई देशों के साथ एक नया गठबंधन बनाने की तैयारी में है। हालांकि, अमेरिकी प्रशासन ने इस लीक दस्तावेज को फर्जी करार दिया है, यह कहते हुए कि शुक्रवार को जारी किया गया 29-पेज का US नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटजी (NSS) ही उनका असली और आधिकारिक दस्तावेज है।

यूरोपीय संघ को कमजोर करने की रणनीति

लीक हुए दस्तावेज के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन की योजना यूरोपीय यूनियन (EU) को रणनीतिक रूप से कमजोर करने की है। इसके लिए ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे प्रमुख यूरोपीय देशों में सरकारें बदलने का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही, इटली, हंगरी, पोलैंड और ऑस्ट्रिया जैसे चार देशों को यूरोपीय संघ से अलग करने की भी रणनीति बनाई जा रही है। इस कथित योजना के पीछे कई संभावित कारण बताए गए हैं, जो अमेरिका के भू-राजनीतिक और आर्थिक हितों से जुड़े हो सकते हैं।

आर्थिक प्रतिस्पर्धा और व्यापारिक हित

यूरोपीय यूनियन दुनिया की सबसे बड़ी आपस में जुड़ी हुई अर्थव्यवस्थाओं। में से एक है, जिसकी कुल जीडीपी लगभग 17 ट्रिलियन डॉलर है। EU का मजबूत होना अमेरिका के व्यापारिक हितों के लिए एक बड़ी चुनौती माना जाता है। लीक दस्तावेज के अनुसार, अमेरिका यूरोपीय संघ को कमजोर करके सदस्य देशों के साथ अलग-अलग व्यापार सौदे करना चाहता है, जिससे उसे बेहतर व्यापारिक शर्तें मिल सकें और यूरोपीय बाजार पर उसका अधिक नियंत्रण स्थापित हो सके। वर्तमान में, अमेरिका और EU के बीच सालाना 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का व्यापार होता है, और EU अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। इस आर्थिक प्रभुत्व को तोड़ना अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

नाटो पर वित्तीय बोझ कम करने की मांग

ट्रंप प्रशासन ने नाटो (NATO) के रक्षा खर्च में यूरोपीय देशों की हिस्सेदारी को लेकर कई बार अपनी नाराजगी व्यक्त की है। अमेरिका का मानना है कि नाटो की सुरक्षा व्यवस्था का सबसे बड़ा वित्तीय बोझ वही उठाता है, जबकि कई यूरोपीय देश निर्धारित लक्ष्य के अनुसार अपनी जीडीपी का कम से कम 2% रक्षा पर खर्च नहीं करते हैं। नाटो के 32 सदस्य देशों में से, अमेरिका अकेले कुल सैन्य खर्च का. लगभग 65 से 70% हिस्सा वहन करता है, जबकि जर्मनी (6%), ब्रिटेन (5. 4%) और फ्रांस (4. 3%) उससे काफी पीछे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद कुछ यूरोपीय देशों ने रक्षा बजट बढ़ाना शुरू किया है, लेकिन अमेरिका अभी भी बराबर हिस्सेदारी की मांग पर अड़ा है।

यूरोप की प्रवासन नीति से असंतोष

पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने कई मौकों पर यूरोप की उदार प्रवासन नीतियों पर अपनी नाराजगी जताई है। उन्होंने 'ग्रेट रिप्लेसमेंट थ्योरी' का भी जिक्र किया, जिसमें दावा किया जाता है कि प्रवासियों के लगातार आगमन से यूरोप अपनी पहचान खो रहा है और कमजोर हो रहा है। ट्रंप का मानना है कि यूरोपीय नेताओं की प्रवासन नीतियां पूरी तरह से विफल रही हैं और यूरोप में लगातार हो रहे आप्रवासन तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सेंसरशिप के कारण सभ्यता के खत्म होने का खतरा मंडरा रहा है। यह असंतोष भी यूरोपीय संघ को कमजोर करने की कथित रणनीति का एक कारण हो सकता है।

कोर-5: नई वैश्विक व्यवस्था का निर्माण

लीक दस्तावेज में एक 'कोर-5' गठबंधन बनाने की अमेरिकी योजना का भी उल्लेख है, जिसमें अमेरिका, चीन, रूस, भारत और जापान शामिल होंगे और इस नए गठबंधन का उद्देश्य यूरोप को वैश्विक निर्णय लेने की प्रक्रिया से किनारे करना है। यह रणनीति अमेरिका को यूरोप की सहमति के बिना महत्वपूर्ण वैश्विक फैसले लेने और एशियाई महाशक्तियों के साथ सीधे सौदे करने में सक्षम बनाएगी, जिससे एशिया में उसकी स्थिति और मजबूत होगी। यह एक ऐसी व्यवस्था होगी जहां यूरोप की भूमिका काफी कम हो जाएगी।

राष्ट्रवादी सरकारों के साथ गठबंधन की प्राथमिकता

ट्रंप प्रशासन यूरोपीय देशों में दक्षिणपंथी (राइट विंग) सरकारों को प्राथमिकता देता है, क्योंकि उनकी सोच और नीतियां कई प्रमुख मुद्दों पर अमेरिका के साथ मेल खाती हैं। इटली में प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की सरकार सख्त प्रवासन नीति, राष्ट्रवाद और पारंपरिक मूल्यों का समर्थन करती है, जो ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' की विचारधारा से मिलती-जुलती है। हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन भी अवैध प्रवासन और यूरोपीय यूनियन की नीतियों का खुले तौर पर विरोध करते हैं, जिनकी ट्रंप कई बार तारीफ कर चुके हैं। पोलैंड ने नाटो पर रक्षा खर्च बढ़ाने की अमेरिकी मांग को पूरा किया है, और ऑस्ट्रिया की सरकार भी प्रवासन को सीमित करने और EU की शक्ति को कम करने की बात करती है। इन सभी देशों में वर्तमान में दक्षिणपंथी पार्टियों की सरकारें हैं, और यही वजह है कि लीक दस्तावेज में इन चार देशों को EU से अलग करने की बात कही गई है।

रूस-चीन को संतुलित करने की आवश्यकता

नई रणनीति रूस के साथ स्थिरता को बढ़ावा देने पर भी केंद्रित है। यदि यूरोपीय संघ कमजोर होता है, तो यूक्रेन युद्ध में यूरोप की सामूहिक आवाज कमजोर पड़ जाएगी, जिससे अमेरिका और रूस के बीच सीधे समझौते की संभावना बढ़ सकती है। एक एकजुट यूरोप, अमेरिका और चीन के बीच चल रही प्रतिस्पर्धा में एक तीसरी शक्ति के रूप में उभर सकता है और इसलिए, अमेरिका कथित तौर पर यूरोप को कमजोर करके और 'कोर-5' गठबंधन बनाकर चीन के साथ सीधे सौदेबाजी करना चाहता है, ताकि वैश्विक शक्ति संतुलन को अपने पक्ष में झुकाया जा सके।