Asrani / जयपुर से था बॉलीवुड के दिग्गज हास्य अभिनेता असरानी का गहरा नाता

बॉलीवुड के मशहूर हास्य अभिनेता असरानी का मुंबई में निधन हो गया। उनका जीवन संघर्ष और कला के प्रति समर्पण का प्रतीक रहा। उनका जयपुर से गहरा नाता था, जहां उन्होंने शिक्षा प्राप्त की, ऑल इंडिया रेडियो में काम किया और अपने अभिनय करियर की शुरुआत की।

बॉलीवुड के जाने-माने हास्य अभिनेता असरानी का मुंबई में निधन हो गया, जिससे फिल्म जगत में शोक की लहर है। उनका जीवन, संघर्ष, समर्पण और कला के प्रति गहरी लगन की एक मिसाल रहा है। असरानी का असली नाम गोवर्धन असरानी था और वे एक मध्यमवर्गीय सिंधी परिवार से थे। उनके पिता भारत-विभाजन के बाद पाकिस्तान से जयपुर आकर बस गए थे और यहां कालीनों की दुकान चलाते थे। हालांकि, असरानी को व्यापार में कोई दिलचस्पी नहीं थी, बल्कि वे बचपन से ही अभिनेता बनने का सपना देखते थे।

जयपुर में बीता बचपन और शिक्षा

असरानी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल, जयपुर से पूरी की और राजस्थान कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की। पढ़ाई के दौरान ही वे ऑल इंडिया रेडियो, जयपुर में वॉयस आर्टिस्ट के रूप में काम करते थे ताकि अपनी पढ़ाई का खर्च खुद उठा सकें। उनके दोस्त उन्हें प्यार से 'चोंच' कहकर बुलाते थे। उनके माता-पिता चाहते थे कि वे सरकारी नौकरी करें, लेकिन असरानी ने अभिनय को ही अपना करियर बनाने का निश्चय कर लिया था, जिसके लिए उनके पिता तैयार नहीं थे।

अभिनय की राह और मुंबई तक का सफर

असरानी ने अपने अभिनय की शुरुआत जयपुर रंगमंच से की। 1960 से 1962 तक उन्होंने साहित्य कलाभाई ठाकोर से अभिनय की बारीकियां सीखीं और 1962 में वे बड़े सपनों के साथ मुंबई पहुंचे। 1963 में मशहूर निर्देशक हृषिकेश मुखर्जी की सलाह पर उन्होंने 1964 में पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया और 1966 में अभिनय का कोर्स पूरा किया। 1967 में उन्होंने गुजराती फिल्म से अपने करियर की शुरुआत की। वरिष्ठ रंगकर्मियों का कहना है कि जयपुर की गलियों से निकले असरानी ने अपनी मेहनत और लगन से बॉलीवुड में एक ऐसा मुकाम बनाया जो आज भी याद किया जाता है। उनकी कला, सादगी और विनम्रता ने उन्हें न सिर्फ एक सफल कलाकार बनाया बल्कि सिनेमा की दुनिया में हास्य का चेहरा भी बनाया। जयपुर के कलाकार असरानी को न केवल बॉलीवुड का बल्कि जयपुर की पहचान भी मानते हैं और एक प्रसिद्ध किस्सा है कि उन्होंने जयपुर के एमआई रोड पर एक होर्डिंग देखकर अपने दोस्त से कहा था कि एक दिन उनका भी ऐसा ही पोस्टर लगेगा, और कुछ ही महीनों बाद, उसी जगह उनकी फिल्म 'हरे कांच की चूड़ियां' का पोस्टर लग गया था।