नई दिल्ली / अयोध्या केस: 21वें दिन सुनवाई, मुस्लिम पक्ष ने कहा- हिंदू पक्ष के पास जमीन का मालिकाना हक नहीं

NavBharat Times : Sep 11, 2019, 10:16 PM
नई दिल्ली. अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकार के वकील ने बुधवार को अपनी दलीलें पेश कीं। सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से पेश सीनियर ऐडवोकेट राजीव धवन ने दलील दी कि 22 दिसंबर 1949 को जो गलती हुई उसे जारी नहीं रखा जा सकता। क्या हिंदू पक्षकार गलती को लगातार जारी रखने के आधार पर अपने मालिकाना हक का दावा कर सकते हैं? वह ऐसा दावा नहीं कर सकते। आइए जानते हैं कोर्ट में क्या दलीलें रखी गईं।

सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन: संवैधानिक बेंच को दो पहलुओं को देखना है। पहला ये है कि विवादित स्थान पर मालिकाना हक किसका बनता है और दूसरा पहलू ये है कि क्या गलत ऐक्ट को लगातार जारी रखा जा सकता है या नहीं।

राजीव धवन:  22 दिसंबर 1949 को मस्जिद के गुंबद के नीचे मूर्ति रख दी गई थी। ये गलत हरकत की गई जो अवैध ऐक्ट है लेकिन इसके बाद मैजिस्ट्रेट ने यथास्थिति बहाल रखने का ऑर्डर पासकर दिया। यानी गलती को लगातार जारी रखा गया। क्या ये किसी को अपना अधिकार बताने का आधार हो सकता है।

राजीव धवन:  सवाल ये है कि वह विवादित जमीन किसकी है। क्या वे (राम लला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा) इस बात का दलील दे सकते हैं कि ये उनकी है। नहीं ये उनकी नहीं है। ये कभी उनकी नहीं रही। मैं कहना चाहता हूं कि ये कभी उनकी नहीं रही है। ट्रस्टी और शेबियत (मैनेजमेंट कर्ता) में फर्क है।

राजीव धवन:  किसी स्थान का गलत तरीके से कब्जा करना उस पर पजेशन का अधिकार नहीं दे सकता। 1949 में हिंदुओं गलत एक्ट किया। (विवादित स्थल पर मूर्ति रख दी गई)। बाद में मैजिस्ट्रेट ने यथास्थिति का आदेश बहाल कर दिया। एक गलत ऐक्ट था जिसे यथास्थिति के आदेश से जारी रखा गया और इस आधार पर किसी का अधिकार उत्पन्न नहीं हो सकता।

राजीव धवन:  22 व 23 दिसंबर 1949 से लेकर 5 जनवरी 1950 के बीच लगातार अवैध व गैर कानूनी हरकत की गई। क्या इस कारण उन्हें वहां का अधिकार मिल जाता है। हिंदू पक्षकारों को इन 10 दिनों के अलावा पहले का पोजेशन साबित करना होगा। जो ऐक्ट 22 व 23 दिसंबर 1949 को किया वह अवैध था। क्या अवैध ऐक्ट और उसका लगातार जारी रहना अधिकार का दावा साबित करेगा। गलती किसकी थी यहां मैजिस्ट्रेट के गलत ऑर्डर के कारण लगातार गलत होता रहा। क्या इसके लिए मैजिस्ट्रेट पर केस चलेगा। नहीं चल सकता।

राजीव धवन: क्या 1950 से पहले उनके पास कोई अधिकार था। उन्हें ये इस बात के सबूत देने होंगे कि उससे पहले उनके पास क्या अधिकार था। उनके पास क्या सबूत हैं। उनके अधिकार और साक्ष्य क्या हैं।एक गलत ऐक्ट लगातार जारी रहा और उसे ही क्या अधिकार कहा जाएगा?

राजीव धवन: लेकिन सवाल ये है योर लॉर्डशिप कि मैजिस्ट्रेट के आदेश लगातार गलत को जारी रखने का था। मैं सवाल पूछना चाहता हूं कि क्या मैजिस्ट्रेट पर मुकदमा हो सकता है।

राजीव धवन: निर्मोही अखाड़ा पहले बाहरी आंगन में राम चबूतरे पर पूजा करता था लेकिन अवैध ऐक्ट हुआ और फिर वो अंदर के आंगन में आए। इससे पहले वह भीतरी आंगन में कभी नहीं पूजा के लिए आए थे।

आपको बता दें कि बुधवार को मामले में संवैधानिक बेंच के सामने 21वें दिन सुनवाई हुई। अगली सुनवाई गुरुवार को जारी रहेगी।

लाइव स्ट्रीमिंग पर सुनवाई 16 को

-आरएसएस थिंक टैंक रहे के. गोविंदाचार्य की उस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 16 सितंबर को सुनवाई करेगा जिसमें कहा गया है कि अयोध्या मामले की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग कराई जाए।

- बाबरी मस्जिद तोड़े जाने के मामले में क्रिमिनल केस की सुनवाई करने वाले स्पेशल जज एसके यादव का कार्यकाल यूपी सरकार ने बढ़ा दिया है। यूपी सरकार ने इस दौरान उन्हें अन्य सुविधाएं भी देने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 19 जुलाई को जज यादव का कार्यकाल बढ़ाने का आदेश दिया था।


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