बांग्लादेश की राजनीतिक गलियारों में मंगलवार सुबह एक दुखद खबर ने हलचल मचा दी। देश की पहली महिला प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की अध्यक्ष खालिदा जिया का 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया और यह खबर ऐसे समय में आई है जब देश में चुनावी माहौल चरम पर है, और इससे ठीक एक दिन पहले ही उनकी ओर से आगामी चुनावों के लिए नामांकन दाखिल किया गया था। इस घटनाक्रम ने बांग्लादेश की राजनीति में एक बड़ा मोड़ ला दिया है, जिसे सिर्फ एक संयोग नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना के रूप में देखा जा रहा है जिसने पूरे देश को झकझोर दिया है।
खालिदा जिया का निधन और राजनीतिक प्रभाव
खालिदा जिया, जो लंबे समय से गंभीर बीमारियों से जूझ रही थीं, का। मंगलवार सुबह करीब 6 बजे ढाका के एवरकेयर अस्पताल में निधन हो गया। उनकी पार्टी, BNP ने एक फेसबुक पोस्ट के माध्यम से इस दुखद समाचार की पुष्टि की। उनकी मृत्यु ने बांग्लादेश की राजनीति में एक युग का अंत कर दिया है, खासकर ऐसे समय में जब देश आम चुनावों की तैयारी कर रहा है। उनकी मृत्यु की खबर ने न केवल उनके समर्थकों को बल्कि पूरे राजनीतिक वर्ग को स्तब्ध कर दिया है, क्योंकि वे बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य में एक प्रभावशाली व्यक्ति रही हैं। उनकी अनुपस्थिति निश्चित रूप से आगामी चुनावों और पार्टी की रणनीति पर गहरा असर डालेगी।
स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं और अस्पताल में भर्ती
डॉक्टरों के अनुसार, खालिदा जिया लंबे समय से उम्र से संबंधित कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित थीं और उनकी स्वास्थ्य स्थिति लगातार बिगड़ रही थी, जिसमें लीवर सिरोसिस एक प्रमुख समस्या थी। इसके अतिरिक्त, उन्हें गठिया, डायबिटीज और छाती व दिल से जुड़ी अन्य गंभीर परेशानियां भी थीं, जिन्होंने उनके स्वास्थ्य को और अधिक जटिल बना दिया था। इन बीमारियों के कारण उन्हें लगातार चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता थी। उनकी बिगड़ती हालत के कारण उन्हें 23 नवंबर से ढाका के एवरकेयर अस्पताल में। भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों की एक टीम उनकी निगरानी कर रही थी।
वेंटिलेटर पर जीवन संघर्ष
अस्पताल में भर्ती होने के बाद भी खालिदा जिया की हालत में सुधार नहीं हुआ। 11 दिसंबर को उनकी स्थिति बेहद नाजुक हो गई, जिसके बाद उन्हें जीवन रक्षक प्रणाली, यानी वेंटिलेटर पर रखा गया। यह दर्शाता है कि उनकी बीमारी कितनी गंभीर थी और उनके शरीर के कई अंग ठीक से काम नहीं कर रहे थे। दो दिन पहले, उनके निजी डॉक्टर ने सार्वजनिक रूप से बताया था कि उनकी स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है, जिससे उनके शुभचिंतकों और पार्टी कार्यकर्ताओं में चिंता बढ़ गई थी और उनकी हालत इतनी गंभीर थी कि उन्हें अस्पताल से बाहर ले जाना भी संभव नहीं था।
लंदन ले जाने की असफल योजना
BNP की ओर से जारी एक बयान में बताया गया कि सोमवार देर रात से ही खालिदा जिया की तबीयत तेजी से बिगड़ने लगी थी और उनकी बिगड़ती हालत को देखते हुए, पार्टी और परिवार ने उन्हें बेहतर इलाज के लिए लंदन ले जाने की योजना बनाई थी। इस उद्देश्य के लिए, कतर से एक विशेष विमान को स्टैंडबाय पर रखा गया था, ताकि उन्हें तुरंत स्थानांतरित किया जा सके और हालांकि, अस्पताल के मेडिकल बोर्ड ने उन्हें अस्पताल से एयरपोर्ट ले जाने की अनुमति नहीं दी, क्योंकि उनकी स्थिति इतनी नाजुक थी कि यात्रा के दौरान कोई भी जोखिम उठाना संभव नहीं था। यह निर्णय उनके जीवन को बचाने के लिए लिया गया था, लेकिन दुर्भाग्य से, उनकी हालत में सुधार नहीं हो सका।
निधन से ठीक एक दिन पहले नामांकन
खालिदा जिया के निधन से ठीक एक दिन पहले, सोमवार दोपहर करीब 3 बजे, उनकी ओर से बोगुरा-7 सीट से चुनावी नामांकन दाखिल किया गया था। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने डिप्टी कमिश्नर और रिटर्निंग ऑफिसर के कार्यालय में उनके चुनावी पर्चे जमा किए थे और यह एक असाधारण कदम था, क्योंकि नामांकन के वक्त यह बात सार्वजनिक थी कि खालिदा जिया अस्पताल में भर्ती हैं और वेंटिलेटर पर हैं। इसके बावजूद, BNP ने उन्हें चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया था, जो उनकी पार्टी के प्रति निष्ठा और उनके राजनीतिक कद को दर्शाता है और यह कदम शायद उनके समर्थकों को एकजुट करने और पार्टी को मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया था।
बेटे तारिक रहमान का चुनावी कदम
खालिदा जिया के बेटे और BNP के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान ने भी आगामी चुनावों के लिए नामांकन दाखिल किया था। उन्होंने ढाका-17 और बोगुरा-6 सीट से पर्चा भरा था और यह उनके राजनीतिक करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा था, क्योंकि रिपोर्टों के अनुसार, वे लगभग 17 साल बाद लंदन से लौटने के बाद यह बड़ा सियासी कदम उठा रहे थे। उनकी मां के निधन के बाद, तारिक रहमान पर पार्टी का नेतृत्व करने और उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की बड़ी जिम्मेदारी आ गई है। उनका नामांकन यह भी दर्शाता है कि BNP परिवार की राजनीतिक पकड़ को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
बोगुरा सीट का ऐतिहासिक महत्व
बोगुरा-7 सीट का बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के लिए एक विशेष और ऐतिहासिक महत्व रहा है और यह वही क्षेत्र है जहां पार्टी के संस्थापक और खालिदा जिया के पति, जियाउर रहमान का निवास रहा है। खालिदा जिया ने स्वयं इस सीट से कई बार चुनाव लड़ा और जीता है। उन्होंने 1991, 1996 और 2001 में इसी क्षेत्र से चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री पद संभाला था, जिससे यह सीट उनके और पार्टी के लिए एक भाग्यशाली और महत्वपूर्ण गढ़ बन गई थी। इस सीट से उनका नामांकन, भले ही वे अस्पताल में थीं, पार्टी के लिए इसके प्रतीकात्मक महत्व को रेखांकित करता है और खालिदा जिया के निधन के साथ ही बांग्लादेश की राजनीति का एक बड़ा अध्याय समाप्त हो गया है, और चुनाव से ठीक पहले आई इस खबर ने देश की सियासत को पूरी तरह से बदल दिया है, जिससे भविष्य की राजनीतिक दिशा पर गहरा प्रभाव पड़ने की संभावना है।